बेतिया: इंसान को हेल्दी रहने के लिए जिस तरह सही डाइट का पता होना जरूरी है, उसी तरह सही हाइट का पता होना भी काफी जरूरी है. हर उम्र की एक आइडियल हाइट होती है जो लड़के और लड़कियों में उम्र के साथ बढ़ती है. लेकिन बिहार के बेतिया जिले का मरहिया गांव (Marhiya village of Bettiah) में लड़कियों की लंबाई उनकी शादी में बाधा बन गई है. उन्हें आसानी से दूल्हा नहीं मिल रहा है.
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बेतिया का लंबूओं का गांव: दरअसल, मरहिया गांव में पुरुषों की लंबाई 6 फीट से ज्यादा है, जबकि लड़कियों की लंबाई 5 फीट 10 इंच है. लड़कियों की लंबाई सामान्य से ज्यादा होने के कारण उन्हें दूल्हा नहीं मिल रहा है. तो लड़कों की लंबाई उनके लिए फायदेमंद साबित हो रही है. क्योंकि गांव के ज्यादातर लड़के सेना भर्ती हो रहे है.
''हमारे मरहिया गांव में लगभग 75 फीसदी लोग लंबे हैं. यहां के सभी लोग 6 फीट से ज्यादा लंबाई (Height of people of Marhiya village)के हैं. यहां सभी लोग आर्मी में भर्ती होना चाहते हैं और करते भी हैं. इसके लिए हमें हमारी लंबाई का फायदा भी मिलता है.''- सिद्धांत कुमार सिंह, स्थानीय
ज्यादा लंबाई होने का फायदा: इस मरहिया गांव के लोगों की लंबाई (Height of people of Marhiya village) 6 फीट से ज्यादा है. जिस कारण यह गांव पश्चिमी चंपारण का अनोखा गांव के नाम से भी जाना जाता है. इस गांव के लोगों की लंबाई 6 फीट 3 इंच से 6 फीट 9 इंच तक है. लंबाई होने के कारण इस गांव के लोग इसका फायदा भी उठाते हैं. यहां के अधिकांश लोग आर्मी में हैं और देश की सेवा करना चाहते हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि हमें लंबाई का फायदा मिलता है. हम आर्मी की तैयारी करते हैं, जिसमें हमें सबसे ज्यादा फायदा लंबाई का होता है.
ज्यादा लंबाई होने का नुकसान: इस लंबाई का सबसे बड़ा नुकसान या यूं कहे परेशानी ये है कि इस गांव की लड़कियों की लंबाई भी लड़कों से कम नहीं है, जिस कारण उनकी शादी में थोड़ी बहुत परेशानी परिजनों को उठानी पड़ती है. जब घर के परिजनों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि लड़कों को लंबाई से ज्यादा नहीं परेशानी होती है, लेकिन लड़कियों की लंबाई ज्यादा होती है. जिस कारण शादी विवाह में थोड़ी बहुत परेशानी होती है, क्योंकि लंबा वर ढूंढना पड़ता है.
''मरहिया गांव में लड़कियों की लंबाई ज्यादा होती है, इसलिए हम लोगों को ज्यादा परेशानी होती है. लंबी लड़कियों लड़कियों के लिए लंबे वर ढूंढने पड़ते हैं, जो आसानी से नहीं मिलते हैं. यही कारण है कि लड़कियों की लंबाई उनकी शादी में रोड़ा (Girls height became Hindrance in their Marriage)बनी हुई है.''- संजय कुमार सिंह, स्थानीय
बताया जाता है कि यहां 120 बच्चे सेना में जाने के लिए प्रतिदिन सुबह 4 बजे के बाद मैदान में दौड़ लगाते हैं. मरहिया गांव के 250 घरों में कुल 1400 से अधिक की आबादी रहती है, जिसमें 500 से ज्यादा ऐसे लोग हैं, जिनकी लंबाई 6 फीट से ज्यादा है. यह सभी लोग बिहार के सिवान से आए हुए हैं. यह लोग मूल रूप से बिहार के सिवान हलुआर पिपरा गांव के कौशिक वंशीय राजपूत हैं. 5 पीढ़ियों से पश्चिम चंपारण के मरहिया गांव में रहते हैं.
मरहिया गांव का इतिहास: यहां के लोग बताते हैं कि पूर्व में बेतिया के महाराज हरेंद्र किशोर सिंह की जब पालकी जा रही थी तो उस पर एक हाथी ने हमला कर दिया था. तभी उसी रास्ते से तलवारबाज ध्रुव नारायण सिंह उस रास्ते से गुजर रहे थे. उन्होंने तलवार के एक प्रहार से हाथी की सूंड काट दी थी, जिससे हाथी घायल होकर गिर गया और उसने दम तोड़ दिया, जिससे राजा की जान बच गई. महाराजा हरेंद्र किशोर सिंह ने उनकी बहादुरी की प्रशंसा करते हुए मरहिया गांव में 100 बीघा जमीन देकर उन्हें पुरस्कृत किया और राजा ने यहीं बसने की बात कही. तब से यह लोग इसी गांव में रहते हैं. एक परिवार से अब तक 100 घर हो गए हैं और आबादी 700 से अधिक हो चुकी है.
क्या कहता है NIN का रिसर्च: ICMR यानी इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च. इसकी शाखा है NIN, यानी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन. ऑफिस हैदराबाद में है. कई सारे सर्वे के आधार पर NIN का काम है, देश की जनता को क्या खाना चाहिए, कितनी मात्रा में खाना चाहिए, कितना वजन हो, कितनी हाइट होनी चाहिए, ये सब बताना. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन (NIN) के मुताबिक देश की महिलाओं की औसत हाइट 5 फीट 3 इंच और पुरुषों की ऊंचाई 5 फीट 8 इंच है.
बता दें कि अफ्रीका के तंजानिया के रहने वाले मसाई जनजाति के लोगों की लंबाई (Height of Masai Tribe People) भी 6 फीट से ज्यादा की होती है. यहां पुरूषों और महिलाओं की लंबाई 6 फीट या इससे ज्यादा ही होती है. अपनी लंबाई और शारीरिक बनावट के कारण ये जनजाति आसानी से जंगली जानवरों का भी शिकार आसानी से कर लेते हैं. मसाई जनजाति के लोग अपने रहन सहन और रीति रिवाजों को लेकर पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बने हुए हैं. मसाई जनजाति में सेवानिवृत्त हो चुके पुरूष मसाई समूह के लिए प्रमुख मामलों के निर्णय लेते हैं.
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