बेतियाः वाल्मीकि टाइगर रिजर्व स्थित भेड़िहारी कंपार्ट गांव में तिरहुत नहर का बांध काटकर पीसीसी सड़क निर्माण में मिट्टी भराई का मामला प्रकाश में आया है. इस मामले की जानकारी अब तक प्रशासन को नहीं है और नहर स्थित बांध से 100 फीट से ज्यादा दूर की मिट्टी काट ली गई है.
मौके पर पहुंचकर ईटीवी भारत ने ली सुध
दरअसल, भेड़िहारी कंपार्ट एक अति पिछड़ा इलाका है. यही वजह है कि ग्रामीणों को इस बात की कत्तई जानकारी नहीं की इस मसले की जानकारी कहां और किसको दी जाए. उनका कहना है कि बांध काटने से वह कमजोर हो जाएगा और आगे चलकर बाढ़ कटाव की नौबत आ सकती है. ऐसे में स्थानीय लोगों ने ईटीवी भारत पर भरोसा जताया और इस मामले की जानकारी हम तक पहुंचाई.
मजदूरों ने किए चौंकाने वाले खुलासे
जब ईटीवी भारत की टीम मौके पर पहुंची तो उस वक्त भी बांध से मिट्टी की कटाई हो रही थी. यहां मौजूद मजदूरों ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए. मजदूरों का कहना है कि बांध से मिट्टी काटकर थारू टोला और रोहुआ टोला में पीसीसी निर्माण कार्य में उपयोग किया गया है. इस मिट्टी की कटाई थारू टोला निवासी रूदल यादव और खेत के मालिक की मिलीभगत से की गई है. क्योंकि खेत के बगल में स्थित बांध को काटने से खेत का क्षेत्रफल बढ़ जाएगा.
संवेदकों को भी नहीं है मामले की जानकारी
बांध की मिट्टी को कट रहे मजदूरों का कहना है कि इस मामले की जानकारी पीसीसी निर्माण कार्य करा रहे संवेदकों को भी नहीं है. संवेदको ने मिट्टी भराई के लिए रूदल यादव को टेंडर दिया हुआ है. रूदल यादव वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के इको विकास समिति से भी जुड़े हैं. हालांकि वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना अंतर्गत क्षेत्र में किसी भी तरह का खनन प्रतिबंधित है. ऐसे में बांध काटना बिल्कुल ही अवैध है. इतना ही नही बांध पर उगे हरे पेड़ भी काट लिए गए हैं.
इस क्षेत्र में हमेशा होती मिट्टी की अवैध कटाई
बता दें कि वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के अति प्रतिबन्धित क्षेत्रों में खनन का ये मामला नया नहीं है. प्रशासन और खनन करने वालों के बीच लुका छिपी का खेल हमेशा चलता रहता है. ऐसे में देखने वाली बात यह है कि मामले का खुलासा होने के बाद प्रशासन किस तरह की कार्रवाई करती है और मामले को कितने संवेदनशीलता से लेती है.