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पीसीसी निर्माण के लिए तिरहुत नहर बांध पर हो रही मिट्टी की अवैध कटाई, प्रशासन है बेखबर

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Published : Oct 28, 2019, 9:36 AM IST

तिरहुत नहर बांध पर मिट्टी की कटाई थारू टोला निवासी रूदल यादव और खेत के मालिक की मिलीभगत से की जा रही है. क्योंकि खेत के बगल में स्थित बांध को काटने से खेत का क्षेत्रफल बढ़ जाएगा.

बांध की कटाई

बेतियाः वाल्मीकि टाइगर रिजर्व स्थित भेड़िहारी कंपार्ट गांव में तिरहुत नहर का बांध काटकर पीसीसी सड़क निर्माण में मिट्टी भराई का मामला प्रकाश में आया है. इस मामले की जानकारी अब तक प्रशासन को नहीं है और नहर स्थित बांध से 100 फीट से ज्यादा दूर की मिट्टी काट ली गई है.

मौके पर पहुंचकर ईटीवी भारत ने ली सुध
दरअसल, भेड़िहारी कंपार्ट एक अति पिछड़ा इलाका है. यही वजह है कि ग्रामीणों को इस बात की कत्तई जानकारी नहीं की इस मसले की जानकारी कहां और किसको दी जाए. उनका कहना है कि बांध काटने से वह कमजोर हो जाएगा और आगे चलकर बाढ़ कटाव की नौबत आ सकती है. ऐसे में स्थानीय लोगों ने ईटीवी भारत पर भरोसा जताया और इस मामले की जानकारी हम तक पहुंचाई.

bagha
काटे गए पेड़ और बांध की मिट्टी

मजदूरों ने किए चौंकाने वाले खुलासे
जब ईटीवी भारत की टीम मौके पर पहुंची तो उस वक्त भी बांध से मिट्टी की कटाई हो रही थी. यहां मौजूद मजदूरों ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए. मजदूरों का कहना है कि बांध से मिट्टी काटकर थारू टोला और रोहुआ टोला में पीसीसी निर्माण कार्य में उपयोग किया गया है. इस मिट्टी की कटाई थारू टोला निवासी रूदल यादव और खेत के मालिक की मिलीभगत से की गई है. क्योंकि खेत के बगल में स्थित बांध को काटने से खेत का क्षेत्रफल बढ़ जाएगा.

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काटा गया बांध

संवेदकों को भी नहीं है मामले की जानकारी
बांध की मिट्टी को कट रहे मजदूरों का कहना है कि इस मामले की जानकारी पीसीसी निर्माण कार्य करा रहे संवेदकों को भी नहीं है. संवेदको ने मिट्टी भराई के लिए रूदल यादव को टेंडर दिया हुआ है. रूदल यादव वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के इको विकास समिति से भी जुड़े हैं. हालांकि वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना अंतर्गत क्षेत्र में किसी भी तरह का खनन प्रतिबंधित है. ऐसे में बांध काटना बिल्कुल ही अवैध है. इतना ही नही बांध पर उगे हरे पेड़ भी काट लिए गए हैं.

मिट्टी भराई के लिए काटा जा रहा तिरहुत नहर का बांध

इस क्षेत्र में हमेशा होती मिट्टी की अवैध कटाई
बता दें कि वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के अति प्रतिबन्धित क्षेत्रों में खनन का ये मामला नया नहीं है. प्रशासन और खनन करने वालों के बीच लुका छिपी का खेल हमेशा चलता रहता है. ऐसे में देखने वाली बात यह है कि मामले का खुलासा होने के बाद प्रशासन किस तरह की कार्रवाई करती है और मामले को कितने संवेदनशीलता से लेती है.

बेतियाः वाल्मीकि टाइगर रिजर्व स्थित भेड़िहारी कंपार्ट गांव में तिरहुत नहर का बांध काटकर पीसीसी सड़क निर्माण में मिट्टी भराई का मामला प्रकाश में आया है. इस मामले की जानकारी अब तक प्रशासन को नहीं है और नहर स्थित बांध से 100 फीट से ज्यादा दूर की मिट्टी काट ली गई है.

मौके पर पहुंचकर ईटीवी भारत ने ली सुध
दरअसल, भेड़िहारी कंपार्ट एक अति पिछड़ा इलाका है. यही वजह है कि ग्रामीणों को इस बात की कत्तई जानकारी नहीं की इस मसले की जानकारी कहां और किसको दी जाए. उनका कहना है कि बांध काटने से वह कमजोर हो जाएगा और आगे चलकर बाढ़ कटाव की नौबत आ सकती है. ऐसे में स्थानीय लोगों ने ईटीवी भारत पर भरोसा जताया और इस मामले की जानकारी हम तक पहुंचाई.

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काटे गए पेड़ और बांध की मिट्टी

मजदूरों ने किए चौंकाने वाले खुलासे
जब ईटीवी भारत की टीम मौके पर पहुंची तो उस वक्त भी बांध से मिट्टी की कटाई हो रही थी. यहां मौजूद मजदूरों ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए. मजदूरों का कहना है कि बांध से मिट्टी काटकर थारू टोला और रोहुआ टोला में पीसीसी निर्माण कार्य में उपयोग किया गया है. इस मिट्टी की कटाई थारू टोला निवासी रूदल यादव और खेत के मालिक की मिलीभगत से की गई है. क्योंकि खेत के बगल में स्थित बांध को काटने से खेत का क्षेत्रफल बढ़ जाएगा.

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काटा गया बांध

संवेदकों को भी नहीं है मामले की जानकारी
बांध की मिट्टी को कट रहे मजदूरों का कहना है कि इस मामले की जानकारी पीसीसी निर्माण कार्य करा रहे संवेदकों को भी नहीं है. संवेदको ने मिट्टी भराई के लिए रूदल यादव को टेंडर दिया हुआ है. रूदल यादव वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के इको विकास समिति से भी जुड़े हैं. हालांकि वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना अंतर्गत क्षेत्र में किसी भी तरह का खनन प्रतिबंधित है. ऐसे में बांध काटना बिल्कुल ही अवैध है. इतना ही नही बांध पर उगे हरे पेड़ भी काट लिए गए हैं.

मिट्टी भराई के लिए काटा जा रहा तिरहुत नहर का बांध

इस क्षेत्र में हमेशा होती मिट्टी की अवैध कटाई
बता दें कि वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के अति प्रतिबन्धित क्षेत्रों में खनन का ये मामला नया नहीं है. प्रशासन और खनन करने वालों के बीच लुका छिपी का खेल हमेशा चलता रहता है. ऐसे में देखने वाली बात यह है कि मामले का खुलासा होने के बाद प्रशासन किस तरह की कार्रवाई करती है और मामले को कितने संवेदनशीलता से लेती है.

Intro:वाल्मीकि टाइगर रिजर्व स्थित भेड़िहारी कपार्ट गांव से होकर गुजरने वाले तिरहुत नहर का बांध काट कर पीसीसी सड़क निर्माण में मिट्टी भराई का मामला प्रकाश में आया है। इस मामले की जानकारी अब तक प्रशासन को नही हुई है और नहर स्थित बांध के दो जगहों पर 100 फ़ीट से ज्यादा दूर की मिट्टी काट ली गई है।


Body:बता दें कि वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना अंतर्गत किसी भी क्षेत्र में किसी भी तरह का खनन प्रतिबंधित है ऐसे में बांध काटना बिल्कुल ही अवैध है। इतना ही नही बांध पर उगे हरे पेड़ भी काट लिए गए हैं। चुकी भेड़िहारी कम्पार्ट एक अति पिछड़ा इलाका है यही वजह है कि ग्रामीणों को इस बात की कत्तई जानकारी नही की इस मसले की जानकारी कहाँ और किसको दी जाए। उनका कहना है कि बांध काटने से वह कमजोर हो जाएगा और आगे चलकर बाढ़ कटाव की नौबत आ सकती है। ऐसे में स्थानीय लोगों ने ईटीवी भारत पर विश्वास जताया और इस मामले की जानकारी हम तक पहुँचाई। जब हम मौके पर पहुंचे उस वक़्त भी बांध से मिट्टी कटाई हो रही थी और मजदूरों ने कई चौकाने वाले खुलासे किए। मजदूरों का कहना था कि बांध से मिट्टी काटकर थारू टोला और रोहुआ टोला में बने पीसीसी निर्माण कार्य मे उपयोग किया गया है। और ये मिट्टी थारू टोला निवासी रूदल यादव द्वारा खेत के मालिक की मिलीभगत से किया गया है। दरअसल खेत के बगल में स्थित बांध को काटने से खेत का क्षेत्रफल बढ़ जाएगा। मजदूरों का यह भी कहना था कि इस मसले की जानकारी पीसीसी निर्माण कार्य करा रहे संवेदको को भी नही है। संवेदको ने मिट्टी भराई के लिए रूदल यादव को टेंडर दिया हुआ है। रूदल यादव वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के इको विकास समिति से भी जुड़े हैं।
बाइट- 1 वाहन चालक
बाइट- 2 मौके पर मौजूद मजदूर
बाइट- 3 ग्रामीण।


Conclusion:वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के अतिप्रतिबन्धित क्षेत्रों में खनन का मामला नया नही है। प्रशासन और खनन करने वालों के बीच लुकाछिपी का खेल चलता रहता है। ऐसे में देखने वाली बात यह है कि ईटीवी भारत द्वारा इस मामले का खुलासा होने के बाद प्रशासन किस तरह की कार्रवाई करती है और मामले को कितने संवेदनशीलता से लेती है।
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