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प्रेग्नेंट महिला की जिंदगी से खेल रहा स्वास्थ्य केंद्र, ANM करवाती हैं प्रसव - बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था

जिले के एक स्वास्थ्य केंद्र में गर्भवती महिलाओं का प्रसव उनकी जान खतरे में डालकर कराया जा रहा है. यहां दो एएनएम कर्मियों के भरोसे प्रसव कराया जाता है. वहीं, यहां कोई अनुभवी महिला चिकित्सक नहीं है.

Health Center does not have any female doctor In Bettiah
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Published : Apr 17, 2019, 6:49 PM IST

बेतिया: बगहा से सुदूर वाल्मीकि टाइगर रिजर्व की वादियों में संचालित अतिरिक्त उप स्वास्थ्य केंद्र, वाल्मीकिनगर में गर्भवती महिलाओं का प्रसव उनकी जान खतरे में डालकर कराया जा रहा है. यहां दो एएनएम कर्मियों के भरोसे प्रसव कराया जाता है. वहीं, यहां कोई अनुभवी महिला चिकित्सक नहीं है.

प्रशासनिक उदासीनता का आलम ये है कि इस स्वास्थ्य केंद्र में कोई ड्रेसर भी नहीं है. ऐसे में अस्पताल में गर्भवती महिलाओं की जिंदगी दांव पर लगाई जा रही है. बता दें कि वाल्मीकिनगर के भैसालोटन स्थित एकमात्र अतिरिक्त प्राथमिक उप स्वास्थ्य केंद्र में आसपास के दर्जनों गांवों के लोग इलाज कराने आते हैं. यहां सुबह 8 बजे से 2 बजे तक ओपीडी संचालित होता है. अस्पताल का रंग रोगन देख यहीं अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार ने अपने विकास के दावों में कोई कोर कसर नही छोड़ रखी है. परन्तु हालात ठीक इसके विपरीत है.

ये रहा अस्पताल

बेहतर इलाज के लिए इतनी दूरी
अनुमंडल मुख्यालय से 60 किमी दूर अवस्थित वाल्मीकिनगर के लोगों को बेहतर इलाज के लिए अनुमंडलीय अस्पताल का रुख करना पड़ता है. ऐसे में रात हो या दिन तकरीबन 50 किमी घने जंगल से होकर बगहा पहुंचना नाकों चने चबाने से कम नहीं है. ऐसे हालात में मजबूरी वश लोग इस अतिरिक्त प्राथमिक उप स्वास्थ्य केंद्र का रुख करते हैं और भगवान भरोसे गर्भवती महिलाओं का प्रसव करवाते हैं.

संसाधनों की नही है कमी
इस अस्पताल में तकरीबन सभी संसाधन मौजूद हैं. चिकित्सक के मुताबिक प्रसव कराने और बलगम जांच कराने के संसाधनों के साथ-साथ अस्पताल में मौजूद रहने वाली दवाइयों और एम्बुलेंस की भी समुचित व्यवस्था है. लेकिन कर्मियों की कमी के वजह से एएनएम से प्रसव करवाया जाता है.

कई वर्षों से बंद पड़ी है एक्स-रे
इस अस्पताल में एक्सरे मशीन भी है. पूर्व में ये काफी सुचारू तरीके से संचालित थी, लेकिन एक बार इसके खराब हो जाने के बाद भी मशीन दोबारा ठीक नहीं हुई.

क्यों नहीं हुई नियुक्ति
एक तरफ सुदूर इलाके में बसे आर्थिक रूप से पिछड़े गरीब लोगों की मजबूरी कहे या अस्पताल प्रशासन की लाचारी, कड़वा सच यही है कि इस अस्पताल में महिला चिकित्सक नहीं होने का खामियाजा सीधे तौर पर यहां आने वाली गर्भवती महिलाओं को भोगना पड़ रहा है. वहीं, दूसरी तरफ अस्पताल के स्थापना के बाद से ही यहां महिला चिकित्सक की प्रतियुक्ति न होना सरकार की उदासीनता को दर्शाता है.

बेतिया: बगहा से सुदूर वाल्मीकि टाइगर रिजर्व की वादियों में संचालित अतिरिक्त उप स्वास्थ्य केंद्र, वाल्मीकिनगर में गर्भवती महिलाओं का प्रसव उनकी जान खतरे में डालकर कराया जा रहा है. यहां दो एएनएम कर्मियों के भरोसे प्रसव कराया जाता है. वहीं, यहां कोई अनुभवी महिला चिकित्सक नहीं है.

प्रशासनिक उदासीनता का आलम ये है कि इस स्वास्थ्य केंद्र में कोई ड्रेसर भी नहीं है. ऐसे में अस्पताल में गर्भवती महिलाओं की जिंदगी दांव पर लगाई जा रही है. बता दें कि वाल्मीकिनगर के भैसालोटन स्थित एकमात्र अतिरिक्त प्राथमिक उप स्वास्थ्य केंद्र में आसपास के दर्जनों गांवों के लोग इलाज कराने आते हैं. यहां सुबह 8 बजे से 2 बजे तक ओपीडी संचालित होता है. अस्पताल का रंग रोगन देख यहीं अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार ने अपने विकास के दावों में कोई कोर कसर नही छोड़ रखी है. परन्तु हालात ठीक इसके विपरीत है.

ये रहा अस्पताल

बेहतर इलाज के लिए इतनी दूरी
अनुमंडल मुख्यालय से 60 किमी दूर अवस्थित वाल्मीकिनगर के लोगों को बेहतर इलाज के लिए अनुमंडलीय अस्पताल का रुख करना पड़ता है. ऐसे में रात हो या दिन तकरीबन 50 किमी घने जंगल से होकर बगहा पहुंचना नाकों चने चबाने से कम नहीं है. ऐसे हालात में मजबूरी वश लोग इस अतिरिक्त प्राथमिक उप स्वास्थ्य केंद्र का रुख करते हैं और भगवान भरोसे गर्भवती महिलाओं का प्रसव करवाते हैं.

संसाधनों की नही है कमी
इस अस्पताल में तकरीबन सभी संसाधन मौजूद हैं. चिकित्सक के मुताबिक प्रसव कराने और बलगम जांच कराने के संसाधनों के साथ-साथ अस्पताल में मौजूद रहने वाली दवाइयों और एम्बुलेंस की भी समुचित व्यवस्था है. लेकिन कर्मियों की कमी के वजह से एएनएम से प्रसव करवाया जाता है.

कई वर्षों से बंद पड़ी है एक्स-रे
इस अस्पताल में एक्सरे मशीन भी है. पूर्व में ये काफी सुचारू तरीके से संचालित थी, लेकिन एक बार इसके खराब हो जाने के बाद भी मशीन दोबारा ठीक नहीं हुई.

क्यों नहीं हुई नियुक्ति
एक तरफ सुदूर इलाके में बसे आर्थिक रूप से पिछड़े गरीब लोगों की मजबूरी कहे या अस्पताल प्रशासन की लाचारी, कड़वा सच यही है कि इस अस्पताल में महिला चिकित्सक नहीं होने का खामियाजा सीधे तौर पर यहां आने वाली गर्भवती महिलाओं को भोगना पड़ रहा है. वहीं, दूसरी तरफ अस्पताल के स्थापना के बाद से ही यहां महिला चिकित्सक की प्रतियुक्ति न होना सरकार की उदासीनता को दर्शाता है.

Intro:बगहा से सुदूर वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के वादियों में संचालित अतिरिक्त स्वास्थ्य उप केंद्र, वाल्मीकिनगर में गर्भवती महिलाओं का प्रसव यहाँ कार्यरत दो ए एन एम कर्मियों के भरोसे होता है। सरकार व प्रशासनिक तौर पर उपेक्षा का दंश झेल रहे इस स्वास्थ्य उपकेंद्र में न तो ड्रेसर है और ना ही महिला चिकित्सक। ऐसे में अस्पताल प्रशासन यहाँ गर्भवती महिलाओं का जीवन दांव पर लगा ए एन एम से प्रसव करवाते आ रहे हैं।


Body:नही है महिला चिकित्सक व ड्रेसर।
वाल्मीकिनगर के भैसालोटन स्थित एकमात्र अतिरिक्त प्राथमिक उप स्वास्थ्य केंद्र में आस पास के दर्जनों गांवों के लोग इलाज कराने आते हैं। यहां सुबह 8 बजे से 2 बजे तक ओपीडी संचालित होता है। हस्पताल का रंग रोगन देख यहीं अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार ने अपने विकास के दावों में कोई कोर कसर नही छोड़ रखी है। परन्तु हालात ठीक इसके विपरीत है। यहां न तो ड्रेसर है और ना ही महिला चिकित्सक। ऐसे में गर्भवती महिलाओं का प्रसव का जिम्मा अस्पताल में कार्यरत दो ए एन एम के कंधों पर है।
बेहतर इलाज के लिए 40 किमी घना जंगल पार करना पड़ता है।
अनुमंडल मुख्यालय से 60 किमी दूर अवस्थित वाल्मीकिनगर के लोगों को बेहतर इलाज के लिए अनुमंडलीय अस्पताल का रुख करना पड़ता है। ऐसे में रात हो या दिन तकरीबन 50 किमी घने जंगल से होकर बगहा पहुचना नाकों चने चबाने से कम नही है। ऐसे हालात में मजबूरी वश लोग इस अतिरिक्त प्राथमिक उप स्वास्थ्य केंद्र का रुख करते हैं और भगवान भरोसे गर्भवती महिलाओं का प्रसव करवाते हैं।
संसाधनों की नही है कमी।
इस हस्पताल में तकरीबन सभी संसाधन मौजूद हैं। चिकित्सक के मुताबिक प्रसव कराने व बलगम जांच कराने के संसाधनों के साथ साथ अस्पताल में मौजूद रहने वाली दवाइयों व एम्बुलेंस की भी समुचित व्यवस्था है। लेकिन कर्मियों की कमी के वजह से ए एन एम से प्रसव करवाया जाता है।
एक्सरे मशीन भी कई वर्षों से पड़ा है बन्द।
सनद रहे कि इस अस्पताल में एक्सरे मशीन भी लगा हुआ है। पूर्व में ये काफी सुचारू तरीक़े से संचालित होता रहा, लेकिन एक बार खराब हुआ फिर कई वर्ष गुजर गए मशीन बन्द का बन्द ही पड़ा है।


Conclusion:एक तरफ सुदूर इलाके में बसे आर्थिक रूप से पिछड़े गरीब लोगों की मजबूरी कहे या अस्पताल प्रशासन की लाचारी, कड़वा सच यही है कि इस अस्पताल में महिला चिकित्सक नही होने का खामियाजा सीधे तौर पर यहाँ के गर्भवती महिलाओं को जच्चा बच्चा का जीवन दांव पर लगा कर भोगना पड़ता है। वहीं दूसरी तरफ अस्पताल के स्थापना के बाद से ही यहां महिला चिकित्सक
की प्रतियुक्ति न होना सरकार के उदासीनता को दर्शाता है।
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