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बगहा के वित्त रहित मदरसा के जर्जर भवन में चलता है सरकारी विद्यालय, बच्चे 200 मीटर दूर जाते हैं शौचालय - ईटीवी भारत

Bagaha News: बिहार की सुस्त पड़ी शिक्षा व्यवस्था केके पाठक के आते ही पटरी पर लौटने लगी है. शिक्षा व्यवस्था में आमूल चूल परिवर्तन को लेकर केके पाठक द्वारा नित नए आदेश जारी किए जा रहे हैं और सरकारी विद्यालयों में उस फरमान को तत्काल गति दी जा रही है. इसी बीच बगहा में एक विद्यालय ऐसा भी है, जहां नौनिहाल भय के साए में शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं. पढ़ें पूरी खबर.

बगहा में जर्जर भवन में चलता है सरकारी विद्यालय
बगहा में जर्जर भवन में चलता है सरकारी विद्यालय
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Dec 13, 2023, 6:05 AM IST

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बगहा: बिहार की बिगड़ी शिक्षा व्यवस्था की तस्वीर को बदलने में केके पाठक लगे हुए हैं. एक के बाद एक फरमान, एक के बाद एक बदलाव से सरकारी स्कूलों की दशा और दिशा बदलने भी लगी है, लेकिन शायद इसे पूरा बदलने में थोड़ा वक्त लगेगा. केके पाठक के एक्शन में आने के बाद यहां के सरकारी स्कूलों की पोल खुलने लगी. स्कूलों की कमियां एक-एक कर उजागर होने लगी, एक ऐसा ही मामला बगहा के सरकारी विद्यालय से आया है, जहां की स्थिती देखकर आप खुद हैरान हो जाएंगे.

जर्जर भवन में पढ़ने को मजबूर हैं बच्चे: दरअसल, ये मामला रामनगर प्रखंड के भावल पंचायत स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय कुड़िया का है. इस विद्यालय का भवन पूरी तरह जर्जर हो चुका है कि कभी भी गिर सकता है. यहां किसी भी कमरे में सुरक्षा के नाम पर न तो दरवाजा है और न ही खिड़कियां. पढ़ाई के समय में कुत्ते, बकरी, गाय-बैल जैसे जानवर क्लास रूम तक पहुंच जाते हैं. इतना ही नहीं बरसात का मौसम आते ही यहां पढ़ाई बंद कर दी जाती है, क्योंकि विद्यालय की छत से पानी टपकने लगता है.

क्लासरूम के जर्जर भवन का हाल
क्लासरूम के जर्जर भवन का हाल

छात्रों ने ईटीवी भारत को बताई अपनी परेशानी: जब ईटीवी भारत संवाददाता ने ग्राउंड पर जाकर विद्यालय की स्थिति की जानकारी ली. वहां मौजूद बच्चों से उनकी परेशानी को जानने की कोशिश की तो पता चला कि बच्चे डर के साए में स्कूल जाने को मजबूर हैं. बच्चे पढ़ाई पर ध्यान लगाने की जगह ये सोचते रहते हैं कि कहीं कोई जानवर न आ जाए, कहीं ऊपर की छत न गिर जाए. इतना ही नहीं बच्चों ने बताया कि विद्यालय में शौचालय की भी व्यवस्था नहीं है.

"स्कूल बहुत टूटा-फूटा है. यहां बैठकर पढ़ने में डर लगता है. दरवाजा नहीं होने से जानवर भी आ जाते हैं."- छात्र

मासूम बच्चों की जिंदगी के साथ खिलवाड़
मासूम बच्चों की जिंदगी के साथ खिलवाड़

'शिक्षा विभाग नहीं दे रहा ध्यान': वहीं इस बाबत जब विद्यालय के प्रधानाध्यापक से पूछा गया तो उनका कहना है कि वर्ष 2007 में इस राजकीय प्राथमिक विद्यालय कुड़िया की नींव पड़ी, तबसे यह विद्यालय वित्त रहित मदरसा के भवन में संचालित हो रहा है. भवन काफी जर्जर है, इसलिए परेशानी होती है. हालांकि काफी जद्दोजहद के बाद दो वर्ष पूर्व जिलाधिकारी के स्तर से 17 डिसमिल जमीन विद्यालय को मुहैया कराई गई तबसे भवन निर्माण के लिए लगातार पत्राचार किया जा रहा है. लेकिन अभी तक विभाग ने कोई एक्शन नहीं लिया है.

"17 डिसमिल जमीन विद्यालय को मुहैया कराई गई लेकिन अभी तक विभाग ने भवन निर्माण के लिए कोई एक्शन नहीं लिया है. नए अधिगृहित भूमि पर शौचालय का निर्माण करा दिया है. लिहाजा बच्चे पढ़ते इस विद्यालय में हैं, लेकिन शौच करना हो तो यहां से 200 मीटर दूर नए अधिगृहित भूमि पर बने शौचालय में जाते हैं."- दिनेश मुखिया, प्रधानाध्यापक

वित्त रहित मदरसा के भवन में संचालित विद्यालय
वित्त रहित मदरसा के भवन में संचालित विद्यालय

"सरकार ने यदि बच्चों के शिक्षा की व्यवस्था की है तो भवन का बेहतर इंतजाम करना चाहिए. हमलोग गरीब परिवार से आते हैं. इतना पैसा नहीं है कि बच्चों को निजी विद्यालय में पढ़ा सकें. मजबूरी में हमारे बच्चे जर्जर भवन में पढ़ने को मजबूर हैं."- अभिभावक

पढ़ें: Bihar News: बिहार में 1 लाख से अधिक छात्रों का नाम स्कूलों से कटा, केके पाठक के आदेश पर बड़ा एक्शन

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बगहा: बिहार की बिगड़ी शिक्षा व्यवस्था की तस्वीर को बदलने में केके पाठक लगे हुए हैं. एक के बाद एक फरमान, एक के बाद एक बदलाव से सरकारी स्कूलों की दशा और दिशा बदलने भी लगी है, लेकिन शायद इसे पूरा बदलने में थोड़ा वक्त लगेगा. केके पाठक के एक्शन में आने के बाद यहां के सरकारी स्कूलों की पोल खुलने लगी. स्कूलों की कमियां एक-एक कर उजागर होने लगी, एक ऐसा ही मामला बगहा के सरकारी विद्यालय से आया है, जहां की स्थिती देखकर आप खुद हैरान हो जाएंगे.

जर्जर भवन में पढ़ने को मजबूर हैं बच्चे: दरअसल, ये मामला रामनगर प्रखंड के भावल पंचायत स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय कुड़िया का है. इस विद्यालय का भवन पूरी तरह जर्जर हो चुका है कि कभी भी गिर सकता है. यहां किसी भी कमरे में सुरक्षा के नाम पर न तो दरवाजा है और न ही खिड़कियां. पढ़ाई के समय में कुत्ते, बकरी, गाय-बैल जैसे जानवर क्लास रूम तक पहुंच जाते हैं. इतना ही नहीं बरसात का मौसम आते ही यहां पढ़ाई बंद कर दी जाती है, क्योंकि विद्यालय की छत से पानी टपकने लगता है.

क्लासरूम के जर्जर भवन का हाल
क्लासरूम के जर्जर भवन का हाल

छात्रों ने ईटीवी भारत को बताई अपनी परेशानी: जब ईटीवी भारत संवाददाता ने ग्राउंड पर जाकर विद्यालय की स्थिति की जानकारी ली. वहां मौजूद बच्चों से उनकी परेशानी को जानने की कोशिश की तो पता चला कि बच्चे डर के साए में स्कूल जाने को मजबूर हैं. बच्चे पढ़ाई पर ध्यान लगाने की जगह ये सोचते रहते हैं कि कहीं कोई जानवर न आ जाए, कहीं ऊपर की छत न गिर जाए. इतना ही नहीं बच्चों ने बताया कि विद्यालय में शौचालय की भी व्यवस्था नहीं है.

"स्कूल बहुत टूटा-फूटा है. यहां बैठकर पढ़ने में डर लगता है. दरवाजा नहीं होने से जानवर भी आ जाते हैं."- छात्र

मासूम बच्चों की जिंदगी के साथ खिलवाड़
मासूम बच्चों की जिंदगी के साथ खिलवाड़

'शिक्षा विभाग नहीं दे रहा ध्यान': वहीं इस बाबत जब विद्यालय के प्रधानाध्यापक से पूछा गया तो उनका कहना है कि वर्ष 2007 में इस राजकीय प्राथमिक विद्यालय कुड़िया की नींव पड़ी, तबसे यह विद्यालय वित्त रहित मदरसा के भवन में संचालित हो रहा है. भवन काफी जर्जर है, इसलिए परेशानी होती है. हालांकि काफी जद्दोजहद के बाद दो वर्ष पूर्व जिलाधिकारी के स्तर से 17 डिसमिल जमीन विद्यालय को मुहैया कराई गई तबसे भवन निर्माण के लिए लगातार पत्राचार किया जा रहा है. लेकिन अभी तक विभाग ने कोई एक्शन नहीं लिया है.

"17 डिसमिल जमीन विद्यालय को मुहैया कराई गई लेकिन अभी तक विभाग ने भवन निर्माण के लिए कोई एक्शन नहीं लिया है. नए अधिगृहित भूमि पर शौचालय का निर्माण करा दिया है. लिहाजा बच्चे पढ़ते इस विद्यालय में हैं, लेकिन शौच करना हो तो यहां से 200 मीटर दूर नए अधिगृहित भूमि पर बने शौचालय में जाते हैं."- दिनेश मुखिया, प्रधानाध्यापक

वित्त रहित मदरसा के भवन में संचालित विद्यालय
वित्त रहित मदरसा के भवन में संचालित विद्यालय

"सरकार ने यदि बच्चों के शिक्षा की व्यवस्था की है तो भवन का बेहतर इंतजाम करना चाहिए. हमलोग गरीब परिवार से आते हैं. इतना पैसा नहीं है कि बच्चों को निजी विद्यालय में पढ़ा सकें. मजबूरी में हमारे बच्चे जर्जर भवन में पढ़ने को मजबूर हैं."- अभिभावक

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