नई दिल्ली: आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 ने सप्ताह में 60 घंटे से अधिक काम करने के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों पर प्रकाश डाला है. इसमें लंबे समय तक काम करने के प्रति सावधान करने के लिए कई अध्ययनों का हवाला दिया गया है. देश में कार्य-जीवन संतुलन पर बहस जारी है. इसमें कहा गया है कि भारत के कार्य घंटों के नियम निर्माताओं को बढ़ती मांग को पूरा करने और वैश्विक बाजारों में भाग लेने से रोकते हैं. इसमें यह भी कहा गया है कि कार्य घंटों की विभिन्न सीमाएं - प्रति दिन, सप्ताह, तिमाही और वर्ष - अक्सर परस्पर विरोधी होती हैं, जिससे श्रमिकों की कमाई की क्षमता कम हो जाती है.
इसकी शुरुआत हाल ही में व्यापारिक नेताओं द्वारा 70 से 90 घंटे के कार्य सप्ताह की वकालत करने वाली टिप्पणियों से हुई है. सर्वेक्षण के अनुसार काम पर अत्यधिक समय बिताना मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है. क्योंकि दिन में 12 या उससे अधिक घंटे काम करने वाले व्यक्ति काफी अधिक तनाव का अनुभव करते हैं. रिपोर्ट में WHO और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) द्वारा किए गए अध्ययनों का उल्लेख किया गया है, जो प्रति सप्ताह 55-60 घंटे से अधिक काम करने को स्वास्थ्य जोखिमों में वृद्धि से जोड़ते हैं.