बगहाः बिहार के पश्चिमी चंपारण में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (VTR) बगहा में बाघ बार-बार अपना ठिकाना बदल रहा है. बाघ को पकड़ने में वन विभाग की रेस्क्यू टीम के पसीने (Rescue Team Upset To Catch Tiger In Bagaha ) छूट रहे हैं. अब बाघ ने फिर से अपना ठिकाना बदल लिया है. इसे पकड़ने के लिए हाथी से लेकर जिप्सी तक में गश्ती की जा रही है. पिछले कई दिनो से 150 से ज्यादा वनकर्मी बाघ को पकड़ने में पसीना बहा रहे हैं. दरअसल वाल्मीकि टाइगर रिजर्व जंगल से भटककर रिहायशी इलाके में पहुंचा बाघ आदमखोर नहीं है. वह अपना टेरिटरी तलाशने के चक्कर में बार-बार ठिकाना बदल रहा है. यह बाघ अभी महज तीन साल का है. ऐसे में जब तक पकड़ा नहीं जाता, तब तक किसी भी नतीजे पर पहुंचना और कोई भी कयास लगाना जल्दबाजी होगी.
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VTR में बाघों की संख्या बढ़कर हुई 60 से ज्यादा: वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (Valmiki Tiger Reserve) का 980 वर्ग किमी में फैला जंगल जैव विविधताओं से भरा हुआ है. इस जंगल में बाघ, तेंदुआ, गौर यानी जंगली भैंसों समेत हिरण और विभिन्न प्रजातियों के सांप और पशु पक्षी पाए जाते हैं. वाल्मीकि टाइगर रिजर्व घोषित होने के बाद वन क्षेत्र में बाघों की संख्या 28 से बढ़कर 60 से ज्यादा (Increasing number of tigers in VTR) हो गई है. वहीं तेंदुओं की संख्या सैकड़ों में होगी. इसके अलावा जंगली भैंस आपको एक झुंड में 150 से ज्यादा देखने को मिलेंगे.
बाघों की संख्या बढ़ने से रिहायशी इलाकों में बढ़ा खतरा: वन विभाग ने टाइगर्स की संख्या बढ़ाने और उनके संरक्षण को लेकर कई तरह की योजनाएं बनाई हैं. जिसके तहत विटीआर वनक्षेत्र में ग्रासलैंड को बड़े पैमाने पर विकसित किया जा रहा है ताकि शाकाहारी वन्य जीवों की संख्या बढ़ सके और बाघों के लिए बेहतर हैबिटेट बन जाए. बता दें कि तेंदुआ और बाघों की संख्या बढ़ने के बाद रिहायशी इलाकों में रहने वाले लोगों को खतरा बढ़ गया है. क्योंकि वनक्षेत्र का सीमा खुला हुआ है और जंगल से बिल्कुल सटे हुए खेत और लोगों के घर भी हैं. ऐसे में जब कोई मादा बाघ या तेंदुआ जंगल किनारे के इलाकों में प्रजनन करता है और उसके बच्चे जन्म लेते हैं तो वे अपना आशियाना यानी टेरिटरी स्थापित करते हैं जहां वे रह सकें.
बाघ के हमले में अब तक आधा दर्जनो लोगों की मौत: पिछले पांच माह में बाघ के हमले में तकरीबन आधा दर्जनो लोगों की मौत हो चुकी है लेकिन इस बात की कोई पुष्टि नहीं हो पाई है कि एक ही बाघ ने सभी पर हमला किया है. इस बारे में वीटीआर के फील्ड डायरेक्टर नेशामणि का कहना है कि बाघ जंगल क्षेत्र में रहते हैं और कई दफा उनका प्रजनन जंगल और गांव से सटे इलाकों में होता है. इस लिहाज से वे जब बड़े होने लगते हैं तो अपना टेरिटरी कायम करने में जुट जाते हैं.
अपना टेरिटरी तलाश रहा बाघ: उन्होंने आगे बताया कि फिलहाल जो बाघ है और बार-बार ठिकाना बदल रहा है, वो सही मायने में अपना टेरिटरी तलाश कर रहा है. उन्होंने बताया कि एक मादा बाघ ने तीन वर्ष पहले तीन बच्चों को जन्म दिया था और वह वापस जंगल के अंदर चली गई लेकिन उसके तीनों बच्चे अभी अपना टेरिटरी तलाश रहे हैं. उसी में से फिलहाल एक बाघ का मूवमेंट इस इलाके में लगातार देखा जा रहा है, जिसको कैप्चर करने का प्रयास चल रहा है. उन्होंने बताया कि सीमावर्ती क्षेत्र में जन्म होने के कारण भोजन की तलाश में ये गन्ना के खेत में घुस आते हैं और चीता, हिरण या अन्य जीवों का शिकार करते हैं. इसी बीच यदि कोई इंसान सामने पड़ जाता है तो उसके साथ भी घटना घट जाती है.
आदमखोर बाघ कहना होगी जल्दबाजी: वन संरक्षक नेशामणि के (Conservator of Forests Neshamani K) ने बताया कि वन्य जीवों को क्या पता है कि वे अपने वीटीआर वन क्षेत्र से बाहर घूम रहे हैं. उन्होंने बताया कि जरूरी नहीं है कि अब तक जिन 6 लोगों पर बाघ ने हमला किया है, वह एक ही बाघ हो. दूसरे बाघ भी रास्ता भटककर आ सकते हैं, साथ ही इन बाघों को अभी मैन इटर यानी आदमखोर बाघ कहना जल्दबाजी होगी. जब तक ये साफ नहीं हो जाता कि 5 माह के भीतर जिन लोगों पर बाघ ने हमला किया है, वह एक ही बाघ है.
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टेरिटरी कायम करने को लेकर बाघों में छिड़ती है जंग: टाइगर एक्सपर्ट्स बताते हैं कि अमूमन जंगल में बाघों को अपने टेरिटरी कायम करने को लेकर जंग छिड़ जाती है. ऐसे में कई दफा नौजवान हो रहा बाघ भी आपसी संघर्ष में मारा जाता है. बता दें कि टाइगर अपना टेरिटरी अपना मूत्र और मल त्याग कर बनाता है और उस टेरिटरी में दूसरा बाघ नहीं घुस सकता नहीं तो टकराव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है. विशेषज्ञों के मुताबिक जब भी मादा बाघ अपने बच्चों को जन्म देती है तो वह बिल्कुल सुरक्षित ठिकाना खोजती है. जब वह मादा बच्चों को जन्म देती है तो उन बच्चों को वयस्क बाघों से खतरा नहीं के बराबर रहता है, लेकिन वहीं जब नर बच्चे को जन्म देती है तो टेरिटरी कायम करने को लेकर वयस्क बाघों से टकराव की आशंका प्रबल रहती है.
बाघ के पगमार्क को किया जा रहा फॉलो: नेशामणि के ने बताया कि बाघ के पगमार्क को फॉलो किया जा रहा है साथ हीं कैमरे से भी उसकी निगरानी हो रही है. कभी वह गन्ने के खेत में छुप रहा है तो कभी जंगल का रुख कर ले रहा है. इसलिए उसे पकड़ने में परेशानी हो रही है. उन्होंने कहा कि जिस बाघ को पकड़ने की कोशिश की जा रही है यदि वह आदमखोर होता तो अब तक गन्ना के खेत मे से कई वनकर्मियों को अपना शिकार बना चुका होता.
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