बेतिया: नौतन प्रखंड के विशंभरपुर पंचायत के विशंभरपुर गांव और भगवानपुर गांव में सैकड़ों बाढ़ पीड़ित फंसे हैं. इलाके के गांव टापू में तब्दील हो गए हैं. बच्चे, महिलाएं, बुजुर्ग सब गांव में बाढ़ के पानी के बीच फंसे है. हैरानी की बात ये है कि अब तक कोई प्रशासनिक अधिकारी बाढ़ पीड़ितों की सुध लेने नहीं पहुंचा है.
टापू में तब्दील हुए गांव
नौतन प्रखंड के विशंभरपुर और भगवानपुर गांव एक बार फिर डूब गए हैं. 200 से 250 सौ घर वाला यह गांव टापू में तब्दील हो गया है. आने-जाने के लिए नाव ही सहारा है. तीन दिन से भारी बारिश और गंडक बराज से पानी छोड़े जाने पर यह गांव दुबारा डूब गया है. अभी दो महीने पहले ही ये गांव डूबा था. महीनों तक बाढ़ पीड़ितों ने चंपारण तटबंध पर शरण ली थी.
नहीं मिली मुआवजा राशी
दो महीने पहले बाढ़ का कहर झेल कर एक सप्ताह पहले ही इन लोगों ने घर वापसी की. लेकिन, लगातार हो रही बारिश और गंडक बराज से छोड़े गए पानी की वजह से ये एक बार फिर नए सिरे से बाढ़ का कहर झेलने को मजबूर है. लोगों का आरोप है कि पहले ही डूबे रहने के बावजूद भी मुआवजे के 6 हजार रुपये अबतक नहीं मिले. और अब बीती रात से हम फिर डूब गए है.
सरकारी नाव का भी परिचालन नहीं
बाढ़ पीड़ित नावों से अपना साजों सामान बाहर निकाल रहे है. मवेशियों को भी सुरक्षित बाहर निकाल रहे है. लेकिन, अभी तक इन्हें देखने कोई अधिकारी नहीं पहुंचा है. इलाके में सरकारी नाव का भी परिचालन नहीं हो रहा जिससे गांव में फंसे सैकड़ों लोग बाहर निकल सके.