बेतिया: गेहूं की बुआई और सिंचाई का समय चल रहा है. किसान खेतों में गेहूं की बुआई कर रहे हैं. लेकिन इन किसानों को खेती के लिए वह सुविधा मुहैया नहीं हो पा रही है जिसकी इन्हें दरकार है. किसानों का कहना है कि खेतों में सिंचाई की व्यवस्था नहीं है. खाद्य महंगे मिल रहे हैं. यहां तक गेहूं के बीज भी महंगे दाम देकर खरीदना पड़ रहा है.
खेती के लिए सही व्यवस्था नहीं
खेतों में गेहूं की बुआई और सिंचाई का काम चल रहा है. ऐसे में नौतन के किसान अपने खेतों में गेहूं की बुआई कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि खेती करने में लागत ज्यादा लग जा रही है. ऐसे में खेती करना अब मुश्किल हो चुका है. 70 रुपए किलो गेहूं के बीज खरीद के आ रहे हैं. तो वहीं खाद्य 12 सौ रुपया एक बोरी मिल रहा है. जबकि सिंचाई के लिए नहर की कोई व्यवस्था नहीं है. इसके लिए पंप सेट से खेतों में घंटे के हिसाब से पानी पटाया जाता है. प्रति घंटा डेढ़ सौ रुपया लगता है. ऐसे में खेती करना बहुत ही महंगा हो गया है और जब अनाज तैयार हो जा रहा है तो उसका उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है.
किसानों को झेलनी पड़ रही परेशानी
बता दें कि नवंबर महीने से गेहूं की बुआई का काम शुरू हो जाता है. किसान अपने खेतों की जुताई शुरू कर चुके हैं. और कई जगह किसान अपने खेतों में गेहूं लगा भी चुके हैं. ऐसे में कई किसानों के सामने कई तरह की परेशानियां भी आ रही है. सिंचाई के लिए नहर की व्यवस्था नहीं होने से किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. जिस कारण किसानों को पंपसेट से खेतों में पानी पटाना पड़ रहा है. इसके लिए उन्हें डेढ़ सौ रुपये प्रति घंटा भी देना पड़ता है.
उचित मूल्य नहीं मिलने से किसान परेशान
देश में किसान बढ़ती महंगाई और फसलों के उचित मूल्य नहीं मिलने से परेशान हैं और आज पूरे देश में किसान आंदोलन कर रहे हैं. ऐसे में सरकार को किसानों के लिए खेतों तक मुफ्त सिंचाई की व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि किसानों को सिंचाई में किसी प्रकार की परेशानी ना हो. यूरिया खाद्य की कालाबाजारी से लेकर सरकार को हर पहलू पर ध्यान देने की आवश्यकता है जिसे किसान परेशान ना हो और वह खेती अच्छे ढंग से कर सके. क्योंकि किसान हमारे अन्नदाता है.