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अनूठी मिसाल: हर साल यहां दिखती है गंगा-यमुनी तहजीब, हिन्दु-मुस्लिम मिलकर मनाते हैं दुर्गा पूजा - पश्चिम चंपारण

मस्जिद और मंदिर के बीच चंद कदम का फासला भले दिखता हो. लेकिन लोगों के दिलों में एक-दूसरे के धर्म के प्रति दूरी नहीं है. एक ही प्रांगण में एक तरफ मस्जिद है तो दूसरी तरफ दुर्गा मंडप. इस धार्मिक आयोजन में दोनों धर्मों के लोग शिरकत करते हैं.

West Champaran
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Published : Oct 6, 2019, 3:27 PM IST

Updated : Oct 6, 2019, 3:36 PM IST

पश्चिम चंपारण: जिले के पटखौली के दुर्गा मंडप में हर साल दुर्गा पूजा मनाई जाती है. यहां की पूजा साम्प्रदायिक सौहार्द का एक अनुपम उदाहरण है. क्योंकि यहां राम और रहीम की पूजा एक साथ होती है. एक ही प्रांगण में एक तरफ मस्जिद है तो दूसरी तरफ दुर्गा मंडप. इस धार्मिक आयोजन में दोनों धर्मों के लोग शिरकत करते हैं.

भाईचारे का प्रतीक है यह पवित्र स्थल
दरअसल, मस्जिद और मंदिर के बीच चंद कदम का फासला भले दिखता हो. लेकिन यहां लोगों के दिलों में दूरियां नहीं हैं. बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक दशहरे की मूल भावना को आत्मसात करते इस मोहल्ले के लोगों ने सालों पूर्व धर्म-भेद को पूरी तरह से खत्म कर दिया है. भाईचारे का प्रतीक यह पवित्र स्थल समाज को एकता का संदेश देता है.

West Champaran
साम्प्रदायिक सौहार्द्र का अनूठा उदाहरण

'एक तरफ अजान होता है तो दूसरी तरफ पूजा'
मस्जिद के सामने दशहरे में पूजा पंडाल का निर्माण होता था. बताया जाता है कि हिंदू-मुस्लिम दोनों समुदाय ने चंदा-इकट्ठा कर मंदिर बनवाया है. इसी तरह कुछ साल पहले हुए मस्जिद निर्माण में भी दोनों समुदाय की एकजुटता दिखी. दुर्गा पूजा समिति के आयोजक मोहन गुप्ता की माने तो यहां 40 वर्षों से पूजा होती आ रही है. जहां एक तरफ अजान होता है तो दूसरी तरफ पूजा के मन्त्रों की आवाज गूंजती है. लेकिन आज तक कभी किसी बात को लेकर इनके बीच मतभेद या झगड़ा जैसी नौबत नहीं आई.

हिंदू-मुस्लिम साथ मनाते हैं दुर्गा पूजा

'इंसानियत से बड़ा कोई मजहब नहीं'पूजा समिति के सदस्य मो. मुश्ताक कहते हैं कि इंसानियत से बड़ा कोई मजहब नहीं है. उन्होंने कहा कि धर्म प्यार सिखाता है, नफरत नहीं. एक-दूसरे के साथ त्योहारी खुशियां बांटने से प्यार बढ़ता है. आने वाली पीढ़ियां हमारी परंपरा को कायम रखेंगी. निश्चित रूप से हमें इनसे सीख लेनी चाहिए.

पश्चिम चंपारण: जिले के पटखौली के दुर्गा मंडप में हर साल दुर्गा पूजा मनाई जाती है. यहां की पूजा साम्प्रदायिक सौहार्द का एक अनुपम उदाहरण है. क्योंकि यहां राम और रहीम की पूजा एक साथ होती है. एक ही प्रांगण में एक तरफ मस्जिद है तो दूसरी तरफ दुर्गा मंडप. इस धार्मिक आयोजन में दोनों धर्मों के लोग शिरकत करते हैं.

भाईचारे का प्रतीक है यह पवित्र स्थल
दरअसल, मस्जिद और मंदिर के बीच चंद कदम का फासला भले दिखता हो. लेकिन यहां लोगों के दिलों में दूरियां नहीं हैं. बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक दशहरे की मूल भावना को आत्मसात करते इस मोहल्ले के लोगों ने सालों पूर्व धर्म-भेद को पूरी तरह से खत्म कर दिया है. भाईचारे का प्रतीक यह पवित्र स्थल समाज को एकता का संदेश देता है.

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साम्प्रदायिक सौहार्द्र का अनूठा उदाहरण

'एक तरफ अजान होता है तो दूसरी तरफ पूजा'
मस्जिद के सामने दशहरे में पूजा पंडाल का निर्माण होता था. बताया जाता है कि हिंदू-मुस्लिम दोनों समुदाय ने चंदा-इकट्ठा कर मंदिर बनवाया है. इसी तरह कुछ साल पहले हुए मस्जिद निर्माण में भी दोनों समुदाय की एकजुटता दिखी. दुर्गा पूजा समिति के आयोजक मोहन गुप्ता की माने तो यहां 40 वर्षों से पूजा होती आ रही है. जहां एक तरफ अजान होता है तो दूसरी तरफ पूजा के मन्त्रों की आवाज गूंजती है. लेकिन आज तक कभी किसी बात को लेकर इनके बीच मतभेद या झगड़ा जैसी नौबत नहीं आई.

हिंदू-मुस्लिम साथ मनाते हैं दुर्गा पूजा

'इंसानियत से बड़ा कोई मजहब नहीं'पूजा समिति के सदस्य मो. मुश्ताक कहते हैं कि इंसानियत से बड़ा कोई मजहब नहीं है. उन्होंने कहा कि धर्म प्यार सिखाता है, नफरत नहीं. एक-दूसरे के साथ त्योहारी खुशियां बांटने से प्यार बढ़ता है. आने वाली पीढ़ियां हमारी परंपरा को कायम रखेंगी. निश्चित रूप से हमें इनसे सीख लेनी चाहिए.

Intro:भले ही दुनिया के मानस पटल पर हिन्दू व मुस्लिम सम्प्रदाय के लोगों के बीच मतभेद का चित्र उभरता रहा हो लेकिन बगहा पुलिस जिला के पटखौली में वर्षों से राम रहीम की पूजा एक साथ होती आ रही है।यहां एक तरफ मस्जिद में अजान होता रहता है तो ठीक उसके बगल में नवरात्रि पूजा के मंडप में वैदिक मंत्रोच्चार के स्वर सुनाई देते हैं। ऐसे में यहां के लोग सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश कर समाज को एकता का एक अहम सन्देश दे रहे।


Body:पटखौली स्थित दुर्गा मंडप में प्रतिवर्ष दुर्गा पूजा मनाई जाती है। यहाँ का पूजा साम्प्रदायिक सौहार्द का एक अनुपम उदाहरण है क्योंकि यहां राम और रहीम की पूजा एक साथ होती है। एक ही प्रांगण में एक तरफ मस्जिद है तो दूसरी तरफ दुर्गा मंडप। लेकिन आज तक दोनों सम्प्रदायों के बीच कभी तनावपूर्ण स्थिति नही आई बल्कि यहाँ के दोनों समुदाय सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाकर दस कदम की दूरी पर राम रहीम को याद करते हैं और वर्तमान समाज को भाईचारे का अनूठा सन्देश पेश कर रहे हैं। सबसे अहम बात यह है कि इस मस्जिद के अध्यक्ष मो. मुस्ताक दुर्गा पूजा समिति के भी सदस्य हैं और प्रत्येक वर्ष दोनो पक्ष एक दूसरे के पूजा में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं।
दुर्गा पूजा समिति के आयोजक मोहन गुप्ता की माने तो यहां 40 वर्षों से पूजा होता आ रहा एक तरफ अजान होता है तो दूसरे तरफ हमारे मन्त्रों की आवाज गूंजती है। आज तक कभी किसी बात की समस्या नही आई । वहीं मस्जिद के अध्यक्ष सह दुर्गा पूजा समिति के वरीय सदस्य मो. मुस्ताक का कहना है कि जब हमलोगों को नमाज अता करना होता है तो मंदिर परिसर का साउंड हिन्दू भाई लोग बंद कर देते है। साथ ही साथ नमाज और मंत्र एक साथ होता है।




Conclusion:यह कहने में कोई अतिश्योक्ति नही की यहां के लोगों को साम्प्रदायिक सौहार्द की यह परंपरा विरासत में मिली है और ये दोनों समुदाय समाज मे एकता, भाईचारा और सौहार्द का अनोखा बानगी पेश कर रहे हैं।
Last Updated : Oct 6, 2019, 3:36 PM IST

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