पश्चिम चंपारण: जिले के पटखौली के दुर्गा मंडप में हर साल दुर्गा पूजा मनाई जाती है. यहां की पूजा साम्प्रदायिक सौहार्द का एक अनुपम उदाहरण है. क्योंकि यहां राम और रहीम की पूजा एक साथ होती है. एक ही प्रांगण में एक तरफ मस्जिद है तो दूसरी तरफ दुर्गा मंडप. इस धार्मिक आयोजन में दोनों धर्मों के लोग शिरकत करते हैं.
भाईचारे का प्रतीक है यह पवित्र स्थल
दरअसल, मस्जिद और मंदिर के बीच चंद कदम का फासला भले दिखता हो. लेकिन यहां लोगों के दिलों में दूरियां नहीं हैं. बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक दशहरे की मूल भावना को आत्मसात करते इस मोहल्ले के लोगों ने सालों पूर्व धर्म-भेद को पूरी तरह से खत्म कर दिया है. भाईचारे का प्रतीक यह पवित्र स्थल समाज को एकता का संदेश देता है.
![West Champaran](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/4668637_bettiah-news.jpg)
'एक तरफ अजान होता है तो दूसरी तरफ पूजा'
मस्जिद के सामने दशहरे में पूजा पंडाल का निर्माण होता था. बताया जाता है कि हिंदू-मुस्लिम दोनों समुदाय ने चंदा-इकट्ठा कर मंदिर बनवाया है. इसी तरह कुछ साल पहले हुए मस्जिद निर्माण में भी दोनों समुदाय की एकजुटता दिखी. दुर्गा पूजा समिति के आयोजक मोहन गुप्ता की माने तो यहां 40 वर्षों से पूजा होती आ रही है. जहां एक तरफ अजान होता है तो दूसरी तरफ पूजा के मन्त्रों की आवाज गूंजती है. लेकिन आज तक कभी किसी बात को लेकर इनके बीच मतभेद या झगड़ा जैसी नौबत नहीं आई.
'इंसानियत से बड़ा कोई मजहब नहीं'पूजा समिति के सदस्य मो. मुश्ताक कहते हैं कि इंसानियत से बड़ा कोई मजहब नहीं है. उन्होंने कहा कि धर्म प्यार सिखाता है, नफरत नहीं. एक-दूसरे के साथ त्योहारी खुशियां बांटने से प्यार बढ़ता है. आने वाली पीढ़ियां हमारी परंपरा को कायम रखेंगी. निश्चित रूप से हमें इनसे सीख लेनी चाहिए.