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गंडक की सहायक नदी में दिखी डॉल्फिन, देखने के लिए उमड़ी लोगों की भीड़ - Etv Bharat News

बगहा की हरहा नदी में डॉल्फिन देखी (Dolphin seen in harha river) गई है. इसको देख लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई. स्थानीय लोगों ने वीडियो बनाकर वायरल कर दिया है. बता दें की गंडक, नारायणी नदी में सैकड़ों की संख्या में डॉल्फिन हैं जिनको शांति का प्रतीक माना जाता है.

बगहा: गंडक नदी के सहायक नदी में दिखा डॉल्फिन
बगहा: गंडक नदी के सहायक नदी में दिखा डॉल्फिन
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Published : Dec 26, 2022, 4:22 PM IST

बगहा: बिहार के बगहा में गंडक नदी की सहायक नदी हरहा में डॉल्फिन (Dolphin seen in Bagaha harha river) देख लोगों की भीड़ जुट गई. स्थानीय लोगों की मानें तो डॉल्फिन पिछले 3 दिनों से मलपुरवा ब्रिज के पास दिखाई दे रही है. सुबह के समय इसे अठखेलियां करते हुए लोग देख कर आनंदित हो रहे हैं. वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के बगहा रेंज के रेंजर सहित एक्सपर्ट समेत डॉल्फिन पर काम करने वाले लोगों को शामिल कर एक टीम का गठन किया गया है. उन्होंने कहा कि डॉल्फिन को रेस्क्यू कर गंडक नदी में छोड़ा जाएगा.

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रेस्क्यू कर गंडक नदी में छोड़ी जाएगी डॉल्फिन: दरअसल गंडक नदी की सहायक नदी हरहा में डॉल्फिन मिली है. हालांकि यह जगह गंगे डॉल्फिन के लिए सुरक्षित जगह नहीं है. वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया (WTI) के फील्ड ऑफिसर पावेल घोस ने बताया कि इस मामले की जानकारी मिली है. डॉल्फिन को रेस्क्यू कर गंडक नदी में छोड़ दिया जाएगा. बता दें डॉल्फ़िन को दुनिया के सबसे पुराने जीवों में से एक माना जाता है. इसे स्थानीय भाषा में लोग सोंस बोलते हैं. भारत सरकार ने इस जलीय जीव को 1972 में भारतीय वन्य जीव संरक्षण कानून के दायरे में शामिल किया था.

बढ़ रही है जलीय जीवों की संख्या: बता दें की वाल्मीकिनगर से लेकर सोनपुर तक 2017- 18 में डॉल्फिन पर अध्ययन कराया गया था. इस दौरान 155 से 160 के करीब में डॉल्फिन की संख्या सामने आई थी. गंडक का पानी दूसरी नदियों की तुलना में अधिक साफ है. यही वजह है की इसमें घड़ियाल, मगरमच्छ, डॉल्फिन और अन्य जलीय जीवों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है और उनके लिए गंडक नदी बेहतर अधिवास साबित हो रहा है.

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बगहा: बिहार के बगहा में गंडक नदी की सहायक नदी हरहा में डॉल्फिन (Dolphin seen in Bagaha harha river) देख लोगों की भीड़ जुट गई. स्थानीय लोगों की मानें तो डॉल्फिन पिछले 3 दिनों से मलपुरवा ब्रिज के पास दिखाई दे रही है. सुबह के समय इसे अठखेलियां करते हुए लोग देख कर आनंदित हो रहे हैं. वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के बगहा रेंज के रेंजर सहित एक्सपर्ट समेत डॉल्फिन पर काम करने वाले लोगों को शामिल कर एक टीम का गठन किया गया है. उन्होंने कहा कि डॉल्फिन को रेस्क्यू कर गंडक नदी में छोड़ा जाएगा.

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रेस्क्यू कर गंडक नदी में छोड़ी जाएगी डॉल्फिन: दरअसल गंडक नदी की सहायक नदी हरहा में डॉल्फिन मिली है. हालांकि यह जगह गंगे डॉल्फिन के लिए सुरक्षित जगह नहीं है. वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया (WTI) के फील्ड ऑफिसर पावेल घोस ने बताया कि इस मामले की जानकारी मिली है. डॉल्फिन को रेस्क्यू कर गंडक नदी में छोड़ दिया जाएगा. बता दें डॉल्फ़िन को दुनिया के सबसे पुराने जीवों में से एक माना जाता है. इसे स्थानीय भाषा में लोग सोंस बोलते हैं. भारत सरकार ने इस जलीय जीव को 1972 में भारतीय वन्य जीव संरक्षण कानून के दायरे में शामिल किया था.

बढ़ रही है जलीय जीवों की संख्या: बता दें की वाल्मीकिनगर से लेकर सोनपुर तक 2017- 18 में डॉल्फिन पर अध्ययन कराया गया था. इस दौरान 155 से 160 के करीब में डॉल्फिन की संख्या सामने आई थी. गंडक का पानी दूसरी नदियों की तुलना में अधिक साफ है. यही वजह है की इसमें घड़ियाल, मगरमच्छ, डॉल्फिन और अन्य जलीय जीवों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है और उनके लिए गंडक नदी बेहतर अधिवास साबित हो रहा है.

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