पश्चिमी चंपारण: पश्चिमी चंपारण लोकसभा क्षेत्र के सुगौली विधानसभा आज भी विकास से कोसों दूर है. यहां की राजमाली पंचायत तक जाने के लिए चचरी का बना पुल ही एक मात्र सहारा है. लोग अपनी जान जोखिम में डाल इस चचरी पुल से अवागमन करते हैं. कुल मिलाकर इस पंचायत में प्रवेश करते ही विकास के तमाम दावों की पोल ये चचरी पुल खोल देता है.
ये चचरी पुल राजमाली पंचायत की पहचान बन गया है. यहां आज तक पक्का पुल या पुलिया नहीं बनी है. आजादी के इतने दशक बीतने के बाद भी बांस से बनी चचरी पुल इस क्षेत्र के पिछड़ापन और विकास के दावों की पोल खोल रहा है. सुगौली प्रखंड से अगर किसी को राजमाली पंचायत जाना होता है, तो वह इस बांस से बने पुल को पार कर जाता है, ये लोगों की मजबूरी है.
क्या कहते हैं लोग
स्थानीय लोगों की मानें, तो पहले लोग गांव में आने के लिए रेलवे ट्रैक का इस्तेमाल करते थे. लेकिन कई बार हादसा हो चुका है और इस हादसे में कई लोगों की जान भी जा चुकी है. इसको लेकर ग्रामीणों ने रेलवे से लेकर सांसद को पत्र लिखकर निर्माण करवाने की बात कही. मगर अब तक किसी ने भी उनकी फरियाद को नहीं सुनी. लिहाजा पंचायत के लोगों ने चंदा इकट्ठा कर खुद बांस की चचरी का पुल बनवाया और अवागमन करने लगे.
बरसात में हालत खराब
बरसात के समय तो स्थिति और भी बदतर हो जाती है. स्थिति ऐसी है कि अगर एक भी चचरी कुछ गड़बड़ रही तो हजारों लोगों का आना-जाना दुर्लभ बन जाता है. गांव के लोगों को सुगौली बाजार जाना हो, तो उन्हें 10 किलोमीटर अतिरिक्त चक्कर लगा कर जाना पड़ता है. इस क्षेत्र की बदहाली का आलम यह है कि बांस की चचरी पर झूलते हुए जब कोई मोटरसाइकिल निकलती है तो लोगों में एक डर बन जाता है. वहीं, जरा सी चूक लोगों की जान जोखिम में डाल देती है.