पश्चिम चंपारण (बगहा): झोपड़ी की छत पर छाता लिए बैठे ये बच्चे पश्चिम चंपारण (West Champaran) जिले के बगहा के बनहवा परसा गांव के हैं. घरों में बाढ़ (Flood) का पानी इतना अधिक भर गया है कि इन्हें झोपड़ी की छत पर शरण लेनी पड़ी है. गांव के कुछ लोग पेड़ों पर शरण लिए हुए हैं.
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बनहवा परसा से मेघवल आने वाली ढोंगई नदी ने इलाके में जमकर तबाही मचाई है. रामनगर के मेघवल मठिया पंचायत में लोगों के घरों में पानी घुस गया है. पानी भरने के चलते घरों के चूल्हे डूब गए हैं. इसके चलते खाने की भी आफत आ गई है. लोग चिउड़ा, बिस्किट और सत्तू खाकर किसी तरह काम चला रहे हैं. बाढ़ पीड़ित राहत के लिए सरकार और जनप्रतिनिधियों की ओर टकटकी लगाकर देख रहे हैं, लेकिन कोई उनकी सुध लेने नहीं आया है.
गांव के लोग घरों की छत पर और ऊंचे स्थानों पर शरण लिए हुए हैं. बाढ़ के चलते हादसे भी हो रहे हैं. मठिया गांव में बाढ़ के पानी में एक बच्चा डूबने लगा. गांव के लोगों ने उसकी जान बचाई. बनहवा परसा गांव के निवासी उपेंद्र महतो ने बताया कि बहुत अधिक पानी आ गया है. गांव के सभी घर डूब गए हैं. कोई सरकारी अधिकारी हमलोगों को देखने नहीं आए हैं. कोई मदद नहीं मिली है. खाने-पीने और रहने की समस्या है. मालती देवी ने कहा कि बाढ़ के पानी में चूल्हा डूब गया. कैसे खाना बनेगा?
रामनगर में पहाड़ी नदियों और जंगल से आने वाली बाढ़ के चलते भारी तबाही मची है. दर्जनों गांव बाढ़ से प्रभावित हुए हैं. ग्रामीणों की सैकड़ों एकड़ की फसल बर्बाद हो गई है. प्रशासन ने इस इलाके को अब तक बाढ़ प्रभावित नहीं माना है. इसके चलते पीड़ितों को मुआवजा मिलने पर भी संदेह है.
बता दें कि पश्चिम चंपारण और नेपाल में भारी बारिश के चलते जिले की कई नदियां उफनाईं हुईं हैं. जिले का बड़ा इलाका बाढ़ प्रभावित है. मझौलिया प्रखंड के कई पंचायतों में बाढ़ का पानी घुस गया है. पूरा प्रखंड टापू बना हुआ है. प्रखंड के डुमरी पंचायत का बिनटोली चारों तरफ से कोहड़ा नदी (Kohra River) से घिरा हुआ है. गांव में जाने का कोई रास्ता नहीं है, नाव ही एकमात्र सहारा है.
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