बेतिया: बिहार के नरकटियागंज में पुरानी मान्यता (Old Belief in Narkatiaganj) को पीछे छोड़ती एक बेटी ने अपने पिता को अंतिम विदाई दी है. रुंधे गले और बहते आसुओं के बीच पुरुष प्रधान समाज में बेटी ने एक ऐसा उदाहरण पेश कर बता दिया है कि बेटा और बेटी समान होते हैं. प्रकाशनगर के रहने वाले प्रमोद जायसवाल की बेटी रचना जायसवाल उर्फ मिनी ने अपने पिता को मुखाग्नि दी. नगर के चीनी मिल मुक्तिधाम घाट पर जब रचना अपने पिता के शव को कंधा देते हुए निकली तो देखने वाले अपने आंख के आंसुओ को नहीं रोक सके.
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बेटी ने निभाया बेटों का फर्ज: रचना ने बताया कि उसके लिए मां और पिता से बढ़कर कोई नहीं है. वह उन सारे रस्मों की अदायगी करेगी जो बेटे करते हैं. रचना ने हिन्दु रिति रिवाज के अनुसार अंतिम संसकार की वह सारी क्रियाएं की, जिसे माता-पिता के निधन के बाद बेटे करते हैं. हिंदू रीति रिवाज के अनुसार बेटियां और महिलाएं श्मशान में नहीं जाती हैं. मान्यता यह भी है कि बेटा न होने पर भी बेटियां पिता की अर्थी को कंधा या मुखाग्नि नहीं दे पाती हैं लेकिन नरकटियागंज में मंगलवार को ऐसा नहीं हुआ. प्रमोद जायसवाल के निधन के बाद उनकी बेटी ने ना केवल मुखाग्नि दी, बल्कि उन सारे रस्मों को भी अदा किया.
"मेरे लिए मां और पिता से बढ़कर कोई नहीं है. मैं उन सभी रस्मों की अदायगी करूंगी जो बेटे करते हैं. मैंने हिंदू रीति रिवाज के अनुसार अंतिम संस्कार की वह सारी क्रियाएं की, जिसे माता-पिता के निधन के बाद बेटे करते हैं. घर के अन्य सदस्यों को पिता के प्रोपर्टी से मतलब है लेकिन मुझे अपने पिता से बेपनाह प्यार है."- रचना जायसवाल
पिता के लिए दिल्ली से आई रचना: प्रकाश नगर निवासी प्रमोद जायसवाल का निधन मंगलवार की अहले सुबह हो गया. वो लंबे समय से बीमार चल रहे थे. पिता के बीमार होने की खबर मिलते ही बेटी रचना बीते 29 दिसंबर को दिल्ली से पटना आ गई थी. रचना दिल्ली में रहती है और पिछले कई दिनो से अपने बीमार पिता के इलाज और सेवा में लगी हुई थी. रचना ने बताया कि घर के अन्य सदस्यो को हमारे पिता के प्रोपर्टी से मतलब है लेकिन उसे अपने पिता से बेपनाह प्यार है. वह अपने माता-पिता को नहीं भूल सकती. आज जब उनके अंतिम समय का वक्त आया तो वो उनके साथ है.
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