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मूर्तिकारों पर इस साल भी कोरोना की पड़ रही मार, नहीं मिल रहे खरीदार - कोरोना के कारण मां सरस्वती की नहीं बिक रही प्रतिमा

कोरोना ने इस वर्ष भी मूर्तिकारों की रोजी-रोटी पर ग्रहण लगा दिया है. मुनाफा वाले दिनों में मूर्तिकार के हाथ खाली हैं. जिससे उन्हें भविष्य की चिंता सता रही है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट..

मूर्तिकार
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Published : Jan 29, 2022, 1:00 PM IST

बेतिया: बिहार में सरस्वती पूजा की तैयारी शुरू हो गई है. बेतिया में भी 5 फरवरी को सरस्वती पूजा (Saraswati Puja in Bettiah) को लेकर मूर्तिकार मां सरस्वती की मूर्ति बनाने में जुटे हुए हैं. लेकिन इस बार भी कोरोना ने मूर्तिकारों (Corona Effect On Business Of Sculptors) की रोजी-रोटी पर ग्रहण लगा दिया है. जिसकी वजह से मूर्तिकारों की स्थिति काफी खराब है. उन्हें अपने और परिवार का पेट पालने की चिंता सता रही है. मूर्तिकारों की माने तो स्कूल और कोचिंग बंद रहने के कारण मूर्तियों का ऑर्डर नहीं मिल पा रहा है. वहीं, जो ऑर्डर मिला भी है, उसे भी कैंसिल करा दिया गया है.

इसे भी पढ़ें: सरस्वती पूजा 2022: शिक्षण संस्थान बंद होने से नहीं मिल रहे मूर्तियों के खरीदार, मूर्तिकारों की बढ़ी चिंता

प्रत्येक शिक्षण संस्थान में छात्र-छात्राओं को बसंत पंचमी के महीने में ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा का इंतजार रहता है. जिसे लेकर मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकारों में भी खासा उत्साह देखा जाता है. लेकिन मूर्ति कला को पेशा बनाने वाले मूर्तिकार कोरोना महामारी की मार से परेशान हो चुके हैं. कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले को देख सरकार ने नाइट कर्फ्यू लगाया है. धार्मिक स्थल, कोचिंग संस्थान, कॉलेज, स्कूल, पार्क और सिनेमा हॉल बंद कर दिए गए हैं. ऐसे में सरस्वती पूजा के लिए मूर्ति बना रहे कलाकारों का दर्द किसी से छिपा नहीं है.

कोरोना के कारण मूर्तिकारों को पिछले साल भी भारी नुकसान उठाना पड़ा था. मिट्टी में जान लाने वाले मूर्तिकारों का हाल बदहाल कर दिया है. अपने पारंपरिक काम को रोजगार बनाने वाले इन कलाकारों के लिए अपना और परिवारों का पेट पालना मुश्किल होता जा रहा है. दरअसल पिछले साल भी कोरोना का कहर इन कलाकारों पर आफत बनकर टूटा था. जिससे मूर्ति बनाने के पेशे से जुड़े लोगों के लिये दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर पाना भारी पड़ रहा है.

ये भी पढ़ें: Corona Effect: कोरोनाकाल में भगवान भरोसे 'मूर्तिकार', आर्थिक संकट के चक्रव्यूह में फंसे

सरकार की गाइडलाइंस के बाद एडवांस ऑर्डर को भी लोग कैंसिल करवा रहे हैं. जिससे मूर्तिकारों को लगे खर्च भी निकालना मुश्किल हो गया है. मूर्तिकार बताते हैं कि पूरे साल बसंत पंचमी का इंतजार करते हैं. मूर्तिकारों की पूरी कमाई इसी समय होती है, लेकिन इस साल कमाई की संभावना नहीं दिख रही है. कमाई नहीं होने से कर्ज लेकर गुजारा करना पड़ रहा है. इस साल भी सब कुछ भगवान भरोसे ही है.

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बेतिया: बिहार में सरस्वती पूजा की तैयारी शुरू हो गई है. बेतिया में भी 5 फरवरी को सरस्वती पूजा (Saraswati Puja in Bettiah) को लेकर मूर्तिकार मां सरस्वती की मूर्ति बनाने में जुटे हुए हैं. लेकिन इस बार भी कोरोना ने मूर्तिकारों (Corona Effect On Business Of Sculptors) की रोजी-रोटी पर ग्रहण लगा दिया है. जिसकी वजह से मूर्तिकारों की स्थिति काफी खराब है. उन्हें अपने और परिवार का पेट पालने की चिंता सता रही है. मूर्तिकारों की माने तो स्कूल और कोचिंग बंद रहने के कारण मूर्तियों का ऑर्डर नहीं मिल पा रहा है. वहीं, जो ऑर्डर मिला भी है, उसे भी कैंसिल करा दिया गया है.

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प्रत्येक शिक्षण संस्थान में छात्र-छात्राओं को बसंत पंचमी के महीने में ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा का इंतजार रहता है. जिसे लेकर मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकारों में भी खासा उत्साह देखा जाता है. लेकिन मूर्ति कला को पेशा बनाने वाले मूर्तिकार कोरोना महामारी की मार से परेशान हो चुके हैं. कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले को देख सरकार ने नाइट कर्फ्यू लगाया है. धार्मिक स्थल, कोचिंग संस्थान, कॉलेज, स्कूल, पार्क और सिनेमा हॉल बंद कर दिए गए हैं. ऐसे में सरस्वती पूजा के लिए मूर्ति बना रहे कलाकारों का दर्द किसी से छिपा नहीं है.

कोरोना के कारण मूर्तिकारों को पिछले साल भी भारी नुकसान उठाना पड़ा था. मिट्टी में जान लाने वाले मूर्तिकारों का हाल बदहाल कर दिया है. अपने पारंपरिक काम को रोजगार बनाने वाले इन कलाकारों के लिए अपना और परिवारों का पेट पालना मुश्किल होता जा रहा है. दरअसल पिछले साल भी कोरोना का कहर इन कलाकारों पर आफत बनकर टूटा था. जिससे मूर्ति बनाने के पेशे से जुड़े लोगों के लिये दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर पाना भारी पड़ रहा है.

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सरकार की गाइडलाइंस के बाद एडवांस ऑर्डर को भी लोग कैंसिल करवा रहे हैं. जिससे मूर्तिकारों को लगे खर्च भी निकालना मुश्किल हो गया है. मूर्तिकार बताते हैं कि पूरे साल बसंत पंचमी का इंतजार करते हैं. मूर्तिकारों की पूरी कमाई इसी समय होती है, लेकिन इस साल कमाई की संभावना नहीं दिख रही है. कमाई नहीं होने से कर्ज लेकर गुजारा करना पड़ रहा है. इस साल भी सब कुछ भगवान भरोसे ही है.

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