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नरकटियागंज में लाखों की लागत से बना कचरा डंपिंग यार्ड में उगाई जा रही सब्जियां, सवालों के घेरे में निर्माण

पश्चिमी चंपारण जिले में नरकटियागंज नगर परिषद (Narkatiaganj Municipal Council) क्षेत्र में करीब 5 लाख की लागत से बना कचरा डंपिंग यार्ड में दो साल से सूखा और गीला कचरा नहीं डाला गया है. लाखों खर्च के बावजूद जैविक खाद बनाने का सपना अधूरा ही है. अब कचरा डंपिंग यार्ड में अरहर और बैंगन की फसल लहरा रही हैं. हालांकि, स्थानीय लोगों की माने तो इसमें पैसों का बंदरबांट हुआ है.

कचरा डंपिग यार्ड में सब्जियां
कचरा डंपिग यार्ड में सब्जियां
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Published : Nov 23, 2021, 10:42 PM IST

पश्चिमी चंपारण: बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले में नरकटियागंज नगर परिषद (Narkatiaganj Municipal Council) के विकास के रथ के पहिये दिउलिया वार्ड 24 के निकट पहुंचते-पहुंचते ठहर जाते हैं. विकास के रथ के पहिये को न तो कहीं से रास्ता मिलता है और न ही वो उम्मीदें पूरी होती दिखती है, जिसका सपना नगर परिषद ने नगरवासियों को दिखाया था. वर्ष 2019 में नगर परिषद ने करीब 5 लाख में कचरा डंपिंग यार्ड बना (Garbage Dumping Yard) था. लेकिन, यहां कचरा तो नजर नहीं आता, बल्कि कचरा डंपिंग यार्ड में लहलहाती फसल जरूर दिखाई दे जाएंगे.

ये भी पढ़ें- बीजेपी विधायक बचौल का बवाली बयान- 'जब कृषि कानून वापस हो सकता है तो शराबबंदी क्यों नहीं?'

इन फसलों को बड़े ही सलीके से लगाया गया है. इस यार्ड को बने दो साल गुजर गये हैं, लेकिन इसके उत्थान पर न तो नगर सरकार की नजर पड़ी और ना ही अधिकारियों की. कचरा डंपिंग यार्ड देखते ही देखते खेत में तब्दील हो गया और नगर सरकार के नुमाइंदे एक तमाशबीन की तरह सब कुछ देखते रह गए. नगर वासियों को दिखाई गई वो उम्मीदें और वो सपने जिसमें कचरे से खाद निर्माण की कल्पना की गई थी, दो वर्ष के अंदर ही धाराशायी होती चली गयी.

कचरा डंपिग यार्ड में सब्जियां

व्यवस्था में इससे बड़ा दोष कुछ और नहीं हो सकता है, जहां कचरे से समृद्धि का सपना देखा गया. जहां रोजगार सृजन की कल्पना की गई, वहां अवैध तरीके से अब फसलें लहलहा रही हैं. नगर सभापति राधेश्याम तिवारी ने बताया कि सूखा व गीला कचरा के सेग्रीकेट के लिये बनाया गया था. यार्ड नगर में एकत्र सूखे व गीले कचरा के सेग्रीकेट के लिए उपरोक्त यार्ड का निर्माण कराया गया था.

ये भी पढ़ें- पराली जलाने की समस्या पर बोले कृषि मंत्री-'पशुपालन के जरिए होगा इसका समाधान'

''विभाग की ओर से मॉडल इस्टीमेट के तहत यार्ड निर्माण पर करीब 5 लाख रूपये खर्च कर दिये गये. हालांकि, 2020 में आये आंधी तूफान में यार्ड का छप्पर उड़ गया. खाली होने के कारण से उसमें खेती की जाने लगी. इसका निर्माण कचरे से जैविक खाद तैयार करने के लिए किया गया था, लेकिन खाद तो नहीं बन सका उल्टे फसले लहलहाने लगी.''- नगर सभापति राधेश्याम तिवारी, सभापति, नगर परिषद

अब कचरा डंपिंग यार्ड निर्माण को लेकर सवाल उठ रहे हैं. जिस जगह पर कचरा डंपिंग यार्ड बनाया गया, वहां वाहनों के पहुंचने का रास्ता ही नहीं है. ऐसे में स्थानीय लोगों का कहना है कि जब आने जाने का रास्ता ही नहीं है, तो कैसे लाखों रूपये खर्च कर डंपिंग यार्ड बना दिया गया.

पश्चिमी चंपारण: बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले में नरकटियागंज नगर परिषद (Narkatiaganj Municipal Council) के विकास के रथ के पहिये दिउलिया वार्ड 24 के निकट पहुंचते-पहुंचते ठहर जाते हैं. विकास के रथ के पहिये को न तो कहीं से रास्ता मिलता है और न ही वो उम्मीदें पूरी होती दिखती है, जिसका सपना नगर परिषद ने नगरवासियों को दिखाया था. वर्ष 2019 में नगर परिषद ने करीब 5 लाख में कचरा डंपिंग यार्ड बना (Garbage Dumping Yard) था. लेकिन, यहां कचरा तो नजर नहीं आता, बल्कि कचरा डंपिंग यार्ड में लहलहाती फसल जरूर दिखाई दे जाएंगे.

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इन फसलों को बड़े ही सलीके से लगाया गया है. इस यार्ड को बने दो साल गुजर गये हैं, लेकिन इसके उत्थान पर न तो नगर सरकार की नजर पड़ी और ना ही अधिकारियों की. कचरा डंपिंग यार्ड देखते ही देखते खेत में तब्दील हो गया और नगर सरकार के नुमाइंदे एक तमाशबीन की तरह सब कुछ देखते रह गए. नगर वासियों को दिखाई गई वो उम्मीदें और वो सपने जिसमें कचरे से खाद निर्माण की कल्पना की गई थी, दो वर्ष के अंदर ही धाराशायी होती चली गयी.

कचरा डंपिग यार्ड में सब्जियां

व्यवस्था में इससे बड़ा दोष कुछ और नहीं हो सकता है, जहां कचरे से समृद्धि का सपना देखा गया. जहां रोजगार सृजन की कल्पना की गई, वहां अवैध तरीके से अब फसलें लहलहा रही हैं. नगर सभापति राधेश्याम तिवारी ने बताया कि सूखा व गीला कचरा के सेग्रीकेट के लिये बनाया गया था. यार्ड नगर में एकत्र सूखे व गीले कचरा के सेग्रीकेट के लिए उपरोक्त यार्ड का निर्माण कराया गया था.

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''विभाग की ओर से मॉडल इस्टीमेट के तहत यार्ड निर्माण पर करीब 5 लाख रूपये खर्च कर दिये गये. हालांकि, 2020 में आये आंधी तूफान में यार्ड का छप्पर उड़ गया. खाली होने के कारण से उसमें खेती की जाने लगी. इसका निर्माण कचरे से जैविक खाद तैयार करने के लिए किया गया था, लेकिन खाद तो नहीं बन सका उल्टे फसले लहलहाने लगी.''- नगर सभापति राधेश्याम तिवारी, सभापति, नगर परिषद

अब कचरा डंपिंग यार्ड निर्माण को लेकर सवाल उठ रहे हैं. जिस जगह पर कचरा डंपिंग यार्ड बनाया गया, वहां वाहनों के पहुंचने का रास्ता ही नहीं है. ऐसे में स्थानीय लोगों का कहना है कि जब आने जाने का रास्ता ही नहीं है, तो कैसे लाखों रूपये खर्च कर डंपिंग यार्ड बना दिया गया.

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