पश्चिम चंपारण: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गुरुवार को जिला मुख्यालय बेतिया के चनपटिया पहुंचे. जहां उन्होंने उद्यमियों से मुलाकात की. उनके हुनर को देखा और उनका हौसला अफजाई किया. उनके कार्यों को सराहा, साथ ही उन्हें हर संभव मदद का आश्वासन दिया.
इन उद्यमियों ने 'सीढ़ियां तो उन्हें मुबारक हो जिन्हें सिर्फ छत तक जाना है. मेरी मंजिल तो आसमान है और रास्ता मुझे खुद बनाना है' वाले कहावत को चरितार्थ किया है. कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में जहां पूरा विश्व जिंदगी की जंग लड़ रहा था. उस दौर में इस भीषण आपदा को अवसर में बदलने का जो काम पश्चिम चंपारण जिले में हुआ है. वैसा शायद ही कहीं बिहार में देखने को मिलेगा. इसे ही देखने के लिए बिहार के सीएम नीतीश कुमार खुद बेतिया पहुंचे.
"कोरोना के दौर में सरकार की मदद से जो लोग बाहर से अपने घर आए उनलोगों के साथ हमारी बातचीत भी हुई. हमारी ख्वाहिश थी कि जो लोग मजबूरी में यहां से बाहर जाते हैं, वो यहीं पर कुछ रोजगार करे. इसके लिए सरकार भी उनकी मदद करेगी. हमारी सरकार ने औद्योगिक नीति में कुछ नए प्रवाधान किए. उसके बाद हमने तय किया कि जो यहां काम शुरू करेंगे, उन्हें मदद दी जाएगी. कई जगहों पर ये काम किया गया. लेकिन यहां जो एक सेंटर बनाकर लोगों को काम दिया गया और लोगों को जो काम करने का अवसर मिलेगा, ये सराहनीय है. इसलिए हमारी इच्छा थी कि जाकर देखें कि किस तरह से और कितना बढ़िया काम किया गया है." - नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री बिहार
पश्चिम चंपारण व्यापार हब बनने की ओर
बता दें कि लॉकडाउन में दूसरे प्रदेशों में काम करने वाले प्रवासी मजदूर हजारों की संख्या में अपने घर वापस लौटे. ये प्रवासी मजदूर जिस हुनर की बदौलत आज तक दूसरे राज्यों की तस्वीर बदलते थे, उसी हुनर के बदौलत अपना काम शुरू किया. आज ये अपने जिले की तस्वीर बदलने में जुटे हुए हैं. इसी का असर है कि पश्चिम चंपारण जिला अब व्यापार का हब बनने की ओर तेजी से बढ़ चला है.
"इन उद्यमियों के काम स्थानीय के लिए नहीं है. ये जो कुछ भी बना रहे हैं, वो सीधा विदेश जा रहा है. बहुत अच्छी बात है. हम इन उद्यमियों को सब तरह से सहयोग करेंगे." - नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार
अपने घर में कर रहे अच्छी कमाई
आलम यह है कि 24 की संख्या में कढ़ाई और कपड़े बनाने का काम शुरू करने वाले लोगों के साथ आज 400 से अधिक लोग जुड़ चुके हैं. यहां पर साड़ी से लेकर शर्ट, पैंट और जैकेट से लेकर ट्रैकसूट तक बनाया जा रहा है. जो कामगर दूसरे राज्यों में रोजगार की तलाश में जाया करते थे, वो अब अपने घर में ही अच्छी कमाई कर रहे हैं.
54 उद्यमियों ने लगाया उद्योग
वैसे तो कोरोना को लोग पूरे विश्व के लिए एक अभिशाप की तरह देख रहे हैं. लेकिन इसी कोरोना के कारण आज दूसरे राज्यों में मजदूरी करने वाले लोग अपने घर में उद्यमी बन गए हैं. अब तक 54 उद्यमियों ने उद्योग लगाया है.
बेतिया का विकास मॉडल
कोरोना काल में आपदा को अवसर में बदलने की जो तस्वीर बेतिया ने पेश की है, वो अपने आप में एक मिसाल है. विकास की पटरी पर रोजगार की गाड़ी जिस रफ्तार से दौड़ पड़ी है, उससे तो यही लगता है कि आने वाले समय में बेतिया का विकास मॉडल पूरे देश के लिए एक मिसाल बनेगा.