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बेतिया: 12 सालों से स्कूल भवन की बाट जोहते नौनिहाल, जमीन पर बैठकर करते हैं पढ़ाई

चनपटिया प्रखंड स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय नगदहिया की प्रधानाचार्य मीरा सिंह ने बताया कि जब स्कूल भवन की मांग की गई तो आश्वासन दिया गया कि बहुत जल्द स्कूल को भवन मिलने वाला है.

Children studying on the ground in Betia's government school
जमीन पर बैठकर पढ़ते बच्चे.
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Published : Dec 9, 2019, 11:56 PM IST

बेतिया: सूबे में बदहाल शिक्षा व्यवस्था की कहानी कोई नई नहीं है. सरकार जहां एक तरफ शिक्षा के स्तर को ऊपर उठाने की बात करती है तो दूसरी तरफ भवन के अभाव में नौनिहालों का भविष्य अंधेरे में जा रहा है. ऐसा ही एक नजारा चनपटिया प्रखंड के नगदहिया गांव में देखने को मिला, जहां स्कूल भवन नहीं होने के कारण बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं. इनके सिर के ऊपर जो शेड है वो भी गांव के लोगों की दरियादिली से है.

चनपटिया प्रखंड स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय नगदहिया की प्रधानाचार्य मीरा सिंह ने बताया कि जब स्कूल भवन की मांग की गई तो आश्वासन दिया गया कि बहुत जल्द स्कूल को भवन मिलने वाला है. पैसा आ चुका है. इससे पहले भी स्कूल भवन बनाने के लिए सरकार की तरफ से फंड मिला था लेकिन स्कूल प्रांगण के चारों तरफ अतिक्रमण के कारण भवन नहीं बन सका. हालांकि प्रधानाचार्या ने इस बार भवन निर्माण की बात कही.

Children studying on the ground in Betia's government school
राजकीय प्राथमिक विद्यालय

लोगों ने भवन निर्माण में डाली रुकावट
वहीं, जब ईटीवी भारत के संवादाता ने स्थानीय लोगों से स्कूल भवन नहीं होने का कारण पूछा तो गांव के शिवनाथ यादव ने बताया कि स्कूल बनाने के लिए जमीन पर्याप्त है. लेकिन यहां कुछ लोग स्कूल भवन के निर्माण में रुकावट डाल रहे हैं. जिस कारण से स्कूल को अभी तक भवन नहीं मिल पाया है.

पेश है रिपोर्ट

12 साल से अटका है भवन निर्माण का काम
ऐसे में अब सवाल उठता है कि इस स्कूल के लिये 12 साल से की जा रही भवन की मांग कब पूरी होगी? इस उम्र में जहां बच्चों को आसानी से शिक्षा मिलनी चाहिये थी वहीं इन्हें बरसात, धूप और ठंड के कारण इधर से उधर दौड़ लगानी पड़ती है. अब देखने वाली बात ये है कि 12 साल से जमीन पर बैठकर पढ़ाई कर रहे इन बच्चों को उचित शिक्षा का अधिकार कब मिलता है.

बेतिया: सूबे में बदहाल शिक्षा व्यवस्था की कहानी कोई नई नहीं है. सरकार जहां एक तरफ शिक्षा के स्तर को ऊपर उठाने की बात करती है तो दूसरी तरफ भवन के अभाव में नौनिहालों का भविष्य अंधेरे में जा रहा है. ऐसा ही एक नजारा चनपटिया प्रखंड के नगदहिया गांव में देखने को मिला, जहां स्कूल भवन नहीं होने के कारण बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं. इनके सिर के ऊपर जो शेड है वो भी गांव के लोगों की दरियादिली से है.

चनपटिया प्रखंड स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय नगदहिया की प्रधानाचार्य मीरा सिंह ने बताया कि जब स्कूल भवन की मांग की गई तो आश्वासन दिया गया कि बहुत जल्द स्कूल को भवन मिलने वाला है. पैसा आ चुका है. इससे पहले भी स्कूल भवन बनाने के लिए सरकार की तरफ से फंड मिला था लेकिन स्कूल प्रांगण के चारों तरफ अतिक्रमण के कारण भवन नहीं बन सका. हालांकि प्रधानाचार्या ने इस बार भवन निर्माण की बात कही.

Children studying on the ground in Betia's government school
राजकीय प्राथमिक विद्यालय

लोगों ने भवन निर्माण में डाली रुकावट
वहीं, जब ईटीवी भारत के संवादाता ने स्थानीय लोगों से स्कूल भवन नहीं होने का कारण पूछा तो गांव के शिवनाथ यादव ने बताया कि स्कूल बनाने के लिए जमीन पर्याप्त है. लेकिन यहां कुछ लोग स्कूल भवन के निर्माण में रुकावट डाल रहे हैं. जिस कारण से स्कूल को अभी तक भवन नहीं मिल पाया है.

पेश है रिपोर्ट

12 साल से अटका है भवन निर्माण का काम
ऐसे में अब सवाल उठता है कि इस स्कूल के लिये 12 साल से की जा रही भवन की मांग कब पूरी होगी? इस उम्र में जहां बच्चों को आसानी से शिक्षा मिलनी चाहिये थी वहीं इन्हें बरसात, धूप और ठंड के कारण इधर से उधर दौड़ लगानी पड़ती है. अब देखने वाली बात ये है कि 12 साल से जमीन पर बैठकर पढ़ाई कर रहे इन बच्चों को उचित शिक्षा का अधिकार कब मिलता है.

Intro:बेतिया: सूबे की बदहाल शिक्षा व्यवस्था की कहानी कोई नई नहीं है, सरकार जहां एक तरफ शिक्षा के स्तर को ऊपर उठाने की बात करती है तो दूसरी तरफ भवन के अभाव में नौनिहालों का भविष्य अंधेरे में है, जी हां ऐसा ही एक नजारा चनपटिया प्रखंड के नगदहिया गांव में देखने को मिला, जहां उस स्कूल भवन नहीं मिलने के कारण बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं, इनके ऊपर अगर एक सेड़ है तो वह भी गांव के लोगों की मदद से है, यह हम नहीं बल्कि चनपटिया प्रखंड में स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय नगदहिया की प्रधानाचार्य बोल रही हैं, स्कूल की प्रधानाचार्य मीरा सिंह से जब स्कूल भवन नहीं होने की बात कहीं गई तो उन्होंने कहा कि बहुत जल्द स्कूल को भवन मिलने वाला है, पैसा आ चुका है, इसके पहले स्कूल बनाने के लिए पैसा आया हुआ था लेकिन उस स्कूल प्रांगण के चारों तरफ अतिक्रमण था जिस कारण भवन नहीं बन पाया, प्रधानाचार्य कितनी सच बोल रही हैं यह तो स्कूल भवन बनने के बाद ही पता चल पाएगा, कारण कि 12 साल से बच्चे स्कूल भवन नहीं होने के कारण खुले में बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं, चाहे धूप हो, बरसात हो या ठंड।

बाइट- मीरा सिंह, प्रधानाचार्य,
बाइट - अजीत कुमार, शिक्षक


Body:जब वहां के स्थानीय लोगों से हमने स्कूल भवन नहीं होने का कारण पूछा तो गांव के शिवनाथ यादव ने बताया कि स्कूल बनाने के लिए जमीन पर्याप्त है लेकिन यहां कुछ लोग स्कूल भवन के निर्माण में रुकावट डाल रहे हैं, जिस कारण स्कूल को अभी तक भवन नहीं मिल पाया।

बाइट- शिवनाथ यादव, स्थानीय निवासी, नगदहिया गांव


Conclusion:अब ऐसे में सवाल उठता है कि 12 साल से इस स्कूल को भवन नहीं मिला.तो आखिर कब मिलेगा ? बरसात हो जाने पर बच्चों को इधर से उधर झुकना पड़ता है, गर्मी में चिलचिलाती धूप में बैठना पड़ता है और ठंड में खुले में बच्चे बैठने को मजबूर है,अब देखने वाली बात है कि 12 वर्ष बच्चे खुले आसमान के नीचे जमीन पर बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं तो उन्हें भवन के अंदर शिक्षा कब मिलती हैं।

जितेंद्र कुमार गुप्ता
ईटीवी भारत, बेतिया

पीटीसी
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