बगहा: हिंदू पंचांग के अनुसार दिवाली के बाद छठ पूजा और छठ पूजा के उपरांत कार्तिक पूर्णिमा स्नान का त्योहार मनाया जाता है. दिवाली पर जहां मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है वहीं छठ पर्व सूर्यदेव और छठी मैया को समर्पित होता है. चार दिनों तक चलने वाला यह महापर्व पूरे विधि-विधान के साथ मनाया जाता है.
बगहा में छठ की तैयारियां शुरू: इन चार दिनों तक व्रत रखते हुए कई कठिन नियमों का पालन किया जाता है. लिहाजा शहर से लेकर गांव तक छठ घाट की साफ सफाई और उसकी तैयारियों में लोग जुटे हुए हैं. इसी क्रम में रामनगर के सोहसा पंचायत अंतर्गत त्रिवेणी नदी किनारे किए गए अतिक्रमण को हटाकर प्रशासन छठ व्रतियों के सुविधाओं का ख्याल रख रहा है.
बांसी नदी की सफाई नहीं होने से लोगों में नाराजगी: रामनगर CO ने बताया कि नदी किनारे अतिक्रमण किया गया था जिसको छठव्रतियों की सुविधा के लिहाज से हटाया गया है. वहीं दूसरी तरफ मधुबनी प्रखंड अंतर्गत बिहार यूपी सीमा पर अवस्थित बांसी नदी में अभी भी साफ सफाई नहीं हुई है और चारों तरफ कचरे का अंबार है. शैवाल व अन्य पौधों से नदी में पानी के दर्शन भी नही हो रहे हैं.
"कुछ दिन पहले नदी किनारे लोगों ने झोपड़ी बना ली. इसके कारण छठ व्रतियों को दिक्कत हो रही थी. अतिक्रमण हटा दिया गया है."- विनोद मिश्रा, अंचलाधिकारी, रामनगर
प्रशासन पर लापरवाही बरतने का आरोप: स्थानीय लोगों का कहना है कि इस बांसी नदी के एक छोर पर यूपी के लोग छठ पर्व मनाते हैं और दूसरी छोर पर बिहार के लोग छठ पूजा करते हैं. यूपी प्रशासन द्वारा नदी की साफ सफाई तो कर दी गई है जबकि बिहार प्रशासन को लिखित आवेदन देने के बावजूद कोई सुगबुगाहट नहीं दिख रही है.
"बांसी नदी में गंदगी में अंबार लगा है. लेकिन प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है. श्रद्धालुओं को इसमें स्नान करने में परेशानी होगी. एक छोर जो यूपी में पड़ता है उसकी वहां के प्रशासन ने सफाई करा ली है."- प्रदीप ठाकुर, स्थानीय
दफ्तर के चक्कर काट रहे ग्रामीण : सूर्य उपासना का सबसे बड़ा पर्व छठ लगातार चार दिनों तक चलता है, जिसमें हर एक दिन का विशेष महत्व होता है और साफ सफाई का पूरी तरह ध्यान रखा जाता है. विशेष रूप से प्रकृति पूजा को समर्पित इस पर्व पर बांसी नदी की साफ सफाई नहीं होने से ग्रामीण परेशान हैं. बताया जा रहा है की प्रमुख द्वारा भी प्रशासन को सफाई कराने के लिए लिखित आवेदन एक पखवाड़े पहले दिया गया है. लेकिन प्रशासन अभी चुप्पी साधे हुए है.
बांसी नदी का पौराणिक महत्व: बता दें कि बांसी नदी का पौराणिक महत्व है. यहां हर वर्ष कार्तिक स्नान के लिए भारी संख्या में लोग पहुंचते हैं. मान्यता है कि श्री राम भगवान जब शादी के बाद अयोध्या लौट रहे थे तो इस नदी किनारे उनकी बारात ठहरी थी. यही वजह है लोग कहते हैं कि सौ काशी नहीं एक बांसी. यानी 100 बार काशी में स्नान करने पर जितना फल मिलता है उतना फल एक बार बांसी नदी में स्नान करने पर प्राप्त होता है.
"प्रशासन को नदी की सफाई के लिए आवेदन दिया गया है. प्रखंड विकास पदाधिकारी से बात हुई है. शीघ्र ही इसकी सफाई की जाएगी."- विजया सिंह, ब्लॉक प्रमुख
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