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4 दिवसीय छठ महापर्व का समापन, घाट पर उमड़ी हजारों की भीड़ - पश्चिम चंपारण में छठ

नहाय खाय के साथ शुरू हुए इस चार दिवसीय महापर्व का सुबह अर्घ्य देने के बाद परना होता है. जिसमें 36 घंटे के निर्जला उपवास के बाद छठ व्रतियां अपना व्रत तोड़ती हैं.

छठ महापर्व
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Published : Nov 3, 2019, 8:16 AM IST

पश्चिम चंपारण: जिले में रविवार को आस्था और विश्वास के सबसे बड़े महापर्व छठ को लेकर उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने छठ व्रतियां घाटों पर पहुंची. छठ घाट पर पहुंचने के बाद व्रतियों ने कोसी की पूजा कर भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया.

घाटों की सजावट और गीत रहे आकर्षण का केंद्र
रविवार को सूर्योपासना के पावन पर्व का चौथा और आखिरी दिन था. मौके पर छठ व्रतियों ने उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया और मनोकामनाएं पूरे होने की प्रार्थना की. छठ महापर्व में अस्ताचलगामी और उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने की परम्परा है. ऐसे में 2 बजे रात से ही छठ व्रतियां घाटों पर पहुंचने लगी और पूजा-अर्चना करना शुरू कर दिया. घाटों पर बज रहे छठ के मनभावन गीत और घाटों की सजावट अलग आकर्षण के केंद्र बने रहे.

उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने घाटों पर पहुंची छठ व्रतियां

अर्घ्य देने के बाद होगा परना
नहाय खाय के साथ शुरू हुए इस चार दिवसीय महापर्व का सुबह अर्घ्य देने के बाद परना होता है. जिसमें 36 घंटे के निर्जला उपवास के बाद छठ व्रतियां अपना व्रत तोड़ देंगी.

पश्चिम चंपारण: जिले में रविवार को आस्था और विश्वास के सबसे बड़े महापर्व छठ को लेकर उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने छठ व्रतियां घाटों पर पहुंची. छठ घाट पर पहुंचने के बाद व्रतियों ने कोसी की पूजा कर भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया.

घाटों की सजावट और गीत रहे आकर्षण का केंद्र
रविवार को सूर्योपासना के पावन पर्व का चौथा और आखिरी दिन था. मौके पर छठ व्रतियों ने उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया और मनोकामनाएं पूरे होने की प्रार्थना की. छठ महापर्व में अस्ताचलगामी और उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने की परम्परा है. ऐसे में 2 बजे रात से ही छठ व्रतियां घाटों पर पहुंचने लगी और पूजा-अर्चना करना शुरू कर दिया. घाटों पर बज रहे छठ के मनभावन गीत और घाटों की सजावट अलग आकर्षण के केंद्र बने रहे.

उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने घाटों पर पहुंची छठ व्रतियां

अर्घ्य देने के बाद होगा परना
नहाय खाय के साथ शुरू हुए इस चार दिवसीय महापर्व का सुबह अर्घ्य देने के बाद परना होता है. जिसमें 36 घंटे के निर्जला उपवास के बाद छठ व्रतियां अपना व्रत तोड़ देंगी.

Intro:आस्था एवं विश्वास के सबसे बड़े महापर्व छठ को लेकर उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के लिए छठ व्रती घाटों पर पहुचने लगे हैं। व्रतियों ने छठ घाट पहुंच कोसी की पूजा अर्चना की और अब उन्हें उदय होते भाष्कर भगवान का इंतजार है।


Body:सूर्योपासना के पावन पर्व का आज चौथा और अंतिम दिन है। इस मौके पर छठ व्रती उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देंगे और अपनी मनोकामनाएं पूर्ण होने की प्रार्थना करेंगे। छठ महोत्सव में अस्ताचलगामी और उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने की परम्परा इस पर्व को विशेष श्रेणी में ला खड़ा करता है। आज उदय होते सूर्य भगवान को अर्घ्य अर्पित करने के साथ ही इस महापर्व का समापन हो जाएगा। इसी कड़ी में 2 बजे रात से ही छठ व्रतियों का छठ घाट पहुंच पूजा अर्चना करना शुरू हो गया है। छठ घाटों पर बज रहे छठ के मनभावन गीत और घाटों की सजावट अलग आकर्षण के केंद्र बने हैं। कहने में कोई अतिशयोक्ति नही की छठ पूजा प्रकृति से भी जुड़ा हुआ है और इसमें फल फूल और गन्ना के पूजा का विशेष महत्व है।


Conclusion:खाय नहाय के साथ शुरू हुए इस चार दिवसीय छठ पूजा का आज परना है। 36 घण्टे के निर्जला उपवास के बाद छठ व्रती महिलाएं उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद अपना व्रत तोड़ेंगी।
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