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खबर का असर: 6 साल से जर्जर पुल की मरम्मत शुरू, नए पुल की भी मिली सौगात

ग्रामीणों के आंदोलन के बाद हरहा नदी पर बने पुल का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है. इस पुल की वजह से ग्रामीणों को काफी परेशानी हो रही थी. पुरानी प्लेट से हीं रिपेयरिंग के काम से स्थानीय दुखी हैं.

बगहा में 6 वर्षों से जर्जर पुल का मरम्म्तीकरण शुरू
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Published : Aug 7, 2019, 12:25 PM IST

पश्चिम चंपारण: जिले के बगहा नगर परिषद के अंतर्गत हरहा नदी पर बनी सोझी घाट पुल तकरीबन 6 वर्षों से जर्जर हो चुका था. पिछले महीने ईटीवी भारत ने 'मौत को दावत दे रहा वर्षों से जर्जर हुआ पुल, जान जोखिम में डाल लोग करते हैं आवाजाही' खबर प्रमुखता से चलाई थी. जिसका असर प्रशासन पर देखने को मिल रहा है. प्रशासन ने जायजा लेते हुए इसकी मरम्मत का कार्य पिछले एक हफ्ते से शुरू कर दिया है.

Bagha news
आवागमण में परेशानी

मार्च तक हरहा नदी पर नया पुल
ग्रामीणों को प्रशासन ने दिलासा दिया है कि उनको नए पुल का सौगात भी मिलेगा. जिसके टेंडर की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है.ग्रामीण प्रत्येक दो-तीन महीनें के अंतराल पर इस पुल के निर्माण को लेकर आंदोलन कर रहे थे. लेकिन प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा था. यहां तक कि क्षेत्र के विधायक और सांसद भी ग्रामीणों को सिर्फ दिलासा ही देते रहे कि जल्द ही पुल निर्माण का काम होगा. इस बार के लोकसभा चुनाव के दौरान प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की अनदेखी से आक्रोशित ग्रामीणों ने वोट के बहिष्कार का फैसला किया था. हालांकि, प्रशासन के मान-मनौवल के बाद ग्रामीणों ने वोट दिया. इसी बीच ईटीवी भारत ने इस खबर को प्रमुखता से चलाया जिसके बाद इस पुल की मरम्मत हो रही है.

Bagha News
जर्जर पुल का मरम्म्तीकरण शुरू

पुराने प्लेट से ही रिपेयरिंग का काम
जहां पुल के मरम्मत को लेकर एक तरफ लोगों में खुशी है. वहीं, ग्रामीणों को दुख इस बात का है कि पुराने प्लेट को ही लगा कर फिर से रिपेयरिंग का काम किया जा रहा है. जो ज्यादा टिकाऊ नहीं है. ग्रामीण पुल निर्माण आंदोलन में शामिल रमेश कुमार फौजी ने ईटीवी को धन्यवाद देते हुए कहा कि इसके मरम्मत में ईटीवी की अहम भूमिका रही है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर मार्च में नया पुल नहीं बनेगा तो एक फिर आंदोलन होगा.

6 वर्षों से जर्जर पुल का मरम्म्तीकरण शुरू

अधिकारी कुछ भी बोलने से करते रहे परहेज
प्रदुमन तिवारी का कहना है कि गन्ना या धान के सीजन में सैकड़ों गांवों के किसानों का यही मुख्य मार्ग है. अगर पुराने प्लेट से ही काम होगा तो आवाजाही में फिर से समस्या आएगी. पुल मरम्मत के काम से असंतुष्ट ग्रामीणों के बाबत जब प्रशासन की राय लेने की कोशिश की गई तो अधिकारी कुछ भी बोलने और मीडिया से मुखातिब होने से परहेज करते रहें.

पश्चिम चंपारण: जिले के बगहा नगर परिषद के अंतर्गत हरहा नदी पर बनी सोझी घाट पुल तकरीबन 6 वर्षों से जर्जर हो चुका था. पिछले महीने ईटीवी भारत ने 'मौत को दावत दे रहा वर्षों से जर्जर हुआ पुल, जान जोखिम में डाल लोग करते हैं आवाजाही' खबर प्रमुखता से चलाई थी. जिसका असर प्रशासन पर देखने को मिल रहा है. प्रशासन ने जायजा लेते हुए इसकी मरम्मत का कार्य पिछले एक हफ्ते से शुरू कर दिया है.

Bagha news
आवागमण में परेशानी

मार्च तक हरहा नदी पर नया पुल
ग्रामीणों को प्रशासन ने दिलासा दिया है कि उनको नए पुल का सौगात भी मिलेगा. जिसके टेंडर की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है.ग्रामीण प्रत्येक दो-तीन महीनें के अंतराल पर इस पुल के निर्माण को लेकर आंदोलन कर रहे थे. लेकिन प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा था. यहां तक कि क्षेत्र के विधायक और सांसद भी ग्रामीणों को सिर्फ दिलासा ही देते रहे कि जल्द ही पुल निर्माण का काम होगा. इस बार के लोकसभा चुनाव के दौरान प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की अनदेखी से आक्रोशित ग्रामीणों ने वोट के बहिष्कार का फैसला किया था. हालांकि, प्रशासन के मान-मनौवल के बाद ग्रामीणों ने वोट दिया. इसी बीच ईटीवी भारत ने इस खबर को प्रमुखता से चलाया जिसके बाद इस पुल की मरम्मत हो रही है.

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जर्जर पुल का मरम्म्तीकरण शुरू

पुराने प्लेट से ही रिपेयरिंग का काम
जहां पुल के मरम्मत को लेकर एक तरफ लोगों में खुशी है. वहीं, ग्रामीणों को दुख इस बात का है कि पुराने प्लेट को ही लगा कर फिर से रिपेयरिंग का काम किया जा रहा है. जो ज्यादा टिकाऊ नहीं है. ग्रामीण पुल निर्माण आंदोलन में शामिल रमेश कुमार फौजी ने ईटीवी को धन्यवाद देते हुए कहा कि इसके मरम्मत में ईटीवी की अहम भूमिका रही है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर मार्च में नया पुल नहीं बनेगा तो एक फिर आंदोलन होगा.

6 वर्षों से जर्जर पुल का मरम्म्तीकरण शुरू

अधिकारी कुछ भी बोलने से करते रहे परहेज
प्रदुमन तिवारी का कहना है कि गन्ना या धान के सीजन में सैकड़ों गांवों के किसानों का यही मुख्य मार्ग है. अगर पुराने प्लेट से ही काम होगा तो आवाजाही में फिर से समस्या आएगी. पुल मरम्मत के काम से असंतुष्ट ग्रामीणों के बाबत जब प्रशासन की राय लेने की कोशिश की गई तो अधिकारी कुछ भी बोलने और मीडिया से मुखातिब होने से परहेज करते रहें.

Intro:पिछले माह ईटीवी भारत ने "मौत को दावत दे रहा वर्षों से जर्जर हुआ पूल, जान जोखिम में डाल लोग करते हैं आवाजाही" खबर प्रमुखता से चलाई थी। जिसका असर प्रशासन पर देखने को मिल रहा है। प्रशासन ने सुधि लेते हुए इसके मरम्मती का कार्य विगत एक हफ्ते से शुरू कर दिया है। साथ हीं ग्रामीणों को दिलासा दिया है कि इनको नए पूल का सौगात भी मिलेगा जिसके टेंडर की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। एक रिपोर्ट...


Body:बगहा नगर परिषद अंतर्गत हरहा नदी पर बना सोझी घाट पूल तकरीबन 6 वर्षों से जर्जर हो चुका था। ग्रामीण प्रत्येक दो और तीन माह के अंतराल पर इस पूल के निर्माण को लेकर आंदोलन करते आ रहे थे लेकिन प्रशासन कान व आंख बंद कर सोया हुआ था। यहाँ तक कि क्षेत्र के विधायक और सांसद भी ग्रामीणों को सिर्फ भरोसा और दिलासा ही देते रहे कि शीघ्र ही पूल निर्माण का कार्य होगा। लेकिन वादे हैं , वादों का क्या? इस बार के लोकसभा चुनाव के दरम्यान प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के अनदेखी से आक्रोशित ग्रामीणों ने वोट बहिष्कार तक का फैसला ले लिया। हालांकि प्रशासन ने मान मनौवल किया तब इनलोगों ने अपने वोट का उपयोग किया। इसी बीच ईटीवी भारत ने इस खबर को काफी प्रमुखता से चलाया जिसके बाद प्रशासन की नींद खुली और अब इस पूल का मरम्मतीकरण हो रहा है। प्रशासन ने ग्रामीणों को यह भी दिलासा दिया है कि मार्च महीने तक सोझी घाट के हरहा नदी पर नया पूल भी बनेगा। पूल निर्माण आंदोलन के अगुवा रहे रमेश कुमार फौजी ने ईटीवी को धन्यवाद देते हुए कहा कि इस पूल के मरम्मती में ईटीवी की अहम भूमिका रही है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि मार्च में नया पूल नहीं बनता है तो एक मर्तबा फिर आंदोलन होगा। जहाँ पूल मरम्मती को लेकर एक तरफ लोगों में खुशी है , वहीं ग्रामीणों को दुख इस बात का है कि पुराने प्लेट को ही लगा कर फिर से रिपेयरिंग का कार्य किया जा रहा जो ज्यादा टिकाऊ नही है। ग्रामीण प्रदुमन तिवारी का कहना है कि गन्ना या धान के सीजन में सैकड़ों गांवों के किसानों का यहीं मुख्य मार्ग है। यदि पुराने प्लेट से ही कार्य होगा तो आवाजाही में फिर से समस्या आएगी। बाइट-रमेश कुमार फौजी, पूल निर्माण आंदोलनकारी बाइट- प्रद्युमन तिवारी, ग्रामीण।


Conclusion:पूल मरम्मती कार्य से असंतुष्ट ग्रामीणों के बाबत जब प्रशासन की राय लेने की कोशिश की गई तो अधिकारी कुछ भी बोलने और मीडिया से मुखातिब होने से परहेज करते रहे। ऐसे में देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन ने ग्रामीणों को नया पूल निर्माण को लेकर सच्चा दिलासा दिया है या फिर लोगों के आंदोलन को रोकने का तरीका अपनाया है।
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