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बाढ़ पीड़ितों का छलका दर्द: आक्रोशित महिलाएं बोलीं- नेता अब वोट मांगने आएंगे तो 'कूट' देंगे

पश्चिम चंपारण के कई गांव पानी में डूब चुके हैं, कई टापू में तब्दील हो गए हैं. ऐसा ही एक गांव है बिन टोली जो चारों तरफ से पानी से घिर गया है. ईटीवी भारत की टीम इस गांव में नाव के सहारे पहुंची और बाढ़ पीड़ितों का हाल जाना.

Flood Situation in Bettiah
Flood Situation in Bettiah
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Published : Jul 10, 2021, 4:20 PM IST

पश्चिम चंपारण(बेतिया): पश्चिमी चंपारण (West Champaran News) जिले में लगातार हो रही बारिश (Flood Situation in Bettiah) के कारण कई गांव बाढ़ की चपेट में हैं. मझौलिया प्रखंड के कई पंचायतों में बाढ़ का पानी घुस चुका है. पूरा प्रखंड (majhaulia block west champaran) जैसे टापू बना हुआ है. प्रखंड का डुमरी पंचायत का बिनटोली चारों तरफ से कोहड़ा नदी (Kohra River) से घिरा हुआ है. गांव में जाने का कोई रास्ता नहीं है, नाव ही एकमात्र सहारा है.

यह भी पढ़ें- Flood Situation in Bettiah: हर साल बाढ़ आते ही टापू बन जाता है ये गांव, जानें वजह..

इस गांव में लगभग 100 से ज्यादा परिवार फंसे हुए हैं और राहत का इंतजार कर रहे हैं. हर साल इस गांव के लोग गांव में पानी के बीच इसी तरह से घिर जाते हैं. स्थानीय लोगों में नाराजगी है कि बाढ़ के वक्त कोई उनकी सुध तक लेने नहीं आता. फिर चाहे वह स्थानीय मुखिया हो, वार्ड पार्षद हो या कोई जनप्रतिनिधि, किसी को इनकी तकलीफ नहीं दिखती है.

'हम लोग गांव में नाव से ही जाते हैं. दूसरा कोई रास्ता नहीं है. सरकार की तरफ से कोई मदद अब तक नहीं मिली है. मुखिया भी गांव से मुंह मोड़ चुके हैं.' - नाविक

जब भी मानसून की बारिश होती है यह गांव टापू बन जाता है. गांव में जाने का कोई रास्ता नहीं बचता. ईटीवी भारत को जब इस गांव की बारे में जानकारी मिली तो ईटीवी भारत ने वहां के लोगों से संपर्क करने की कोशिश की. बिन टोली के लोगों ने तुरंत नाव की व्यवस्था की और ईटीवी भारत को लेकर अपने गांव पहुंची.

'कोई पूछने वाला नहीं हम वोट क्यों देंगे. पंचायत चुनाव में वोट मांगने आने पर हम सभी को गांव से बाहर कर देंगे.'-बाढ़ पीड़ित

देखें ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट

वहां के लोगों में एक उम्मीद जगी कि उन्हें सरकारी सहायता मिलेगी. उनका कहना है कि घर में खाने का राशन तक खत्म हो गया है. घर में छोटे-छोटे बच्चे हैं. समझ में नहीं आता कि क्या खाएं और क्या बच्चों को खिलाएं. अगर किसी की तबीयत खराब हो जाए तो गांव में ही मरण हो जाता है. लेकिन गांव से बाहर नहीं निकल सकते.

किसी तरह से खा रहे हैं. हमें न विधायक, मुखिया किसी की जरुरत नहीं. तबीयत खराब होने पर लोगों को अस्पताल ले जाने की भी व्यवस्था नहीं.'- बाढ़ पीड़ित

सरकारी नाव की व्यवस्था नहीं है कि कोई सामान खरीदने गांव से बाहर निकल सके. ऐसे में निजी नाव ही एकमात्र सहारा है. वह भी दूसरे से मांग कर कभी कबार गांव में आता है. पीने के लिए जो पानी है वह भी बाढ़ का पानी है. सांप बिच्छू का डर बना रहता है. रात को सोते वक्त डर सताता है कि ना जाने पानी कब उनके घर के अंदर प्रवेश कर जाए.

'हमलोग बुरी हालत में रह रहे हैं. जब चुनाव रहता है तो सब आते हैं लेकिन अब कोई नहीं आता.'- बाढ़ पीड़ित

स्थानीय लोगों का कहना है कि अभी पंचायत चुनाव भी होने वाला है ऐसे में अगर मुखिया हमारे गांव में आयेंगे तो उसे गांव से बाहर कर दिया जाएगा. चुनाव के वक्त हमारी याद आती है लेकिन जब गांव आज टापू बना हुआ है तो कोई जनप्रतिनिधि हमारी सुध लेने नहीं आ रहे हैं. ग्रामीणों में नाराजगी साफ देखी जा सकती है.

बता दें कि जिले में लगातार हो रही बारिश के कारण कई गांव टापू बने हुए हैं. सबसे ज्यादा पश्चिमी चंपारण जिले में तबाही है. मझौलिया प्रखंड के कई पंचायत टापू में तब्दील हो चुके हैं. कई गांवों में पानी घुस चुका है. आने जाने का कोई रास्ता नहीं बचा.

ऐसे में बाढ़ पीड़ितों की मांग है कि जिला प्रशासन एक सरकारी नाव की व्यवस्था करे ताकि लोग सुचारु रुप से गांव से बाहर निकल सके. साथ ही सरकारी राशन की भी व्यवस्था की जाए ताकि परिवार का पेट भर सके. फिलहाल ग्रामीण सरकारी राशन का इंतजार कर रहे हैं. वह आस लगाए बैठे हैं कि सरकार उनकी मदद करे और पानी की बीच उनकी तकलीफ थोड़ी कम हो सके.

लगातार हो रही बारिश के कारण अधिकांश नदियों का जलस्तर (Flood Situation in Bihar) बढ़ने लगा है. नदियों ने रौद्र रूप धारण कर लिया है. कई इलाकों में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं. ग्रामीणों को यह डर सता रहा है कि अगर ऐसे ही हालात रहे तो कटाव और बाढ़ के खतरों के बीच जिंदगी कैसे चलेगी?

गौरतलब है कि नेपाल से पश्चिम चंपारण आने वाली नदियां उफनाई हुईं हैं. इसके चलते जिले का बड़ा इलाका बाढ़ प्रभावित है. गंडक, पंडई और मशान नदी का पानी गांवों में फैल रहा है. बिन टोली गांव में कोहड़ा नदी का प्रकोप है. इसका पानी लगातार गांव में प्रवेश कर रहा है.

पश्चिम चंपारण(बेतिया): पश्चिमी चंपारण (West Champaran News) जिले में लगातार हो रही बारिश (Flood Situation in Bettiah) के कारण कई गांव बाढ़ की चपेट में हैं. मझौलिया प्रखंड के कई पंचायतों में बाढ़ का पानी घुस चुका है. पूरा प्रखंड (majhaulia block west champaran) जैसे टापू बना हुआ है. प्रखंड का डुमरी पंचायत का बिनटोली चारों तरफ से कोहड़ा नदी (Kohra River) से घिरा हुआ है. गांव में जाने का कोई रास्ता नहीं है, नाव ही एकमात्र सहारा है.

यह भी पढ़ें- Flood Situation in Bettiah: हर साल बाढ़ आते ही टापू बन जाता है ये गांव, जानें वजह..

इस गांव में लगभग 100 से ज्यादा परिवार फंसे हुए हैं और राहत का इंतजार कर रहे हैं. हर साल इस गांव के लोग गांव में पानी के बीच इसी तरह से घिर जाते हैं. स्थानीय लोगों में नाराजगी है कि बाढ़ के वक्त कोई उनकी सुध तक लेने नहीं आता. फिर चाहे वह स्थानीय मुखिया हो, वार्ड पार्षद हो या कोई जनप्रतिनिधि, किसी को इनकी तकलीफ नहीं दिखती है.

'हम लोग गांव में नाव से ही जाते हैं. दूसरा कोई रास्ता नहीं है. सरकार की तरफ से कोई मदद अब तक नहीं मिली है. मुखिया भी गांव से मुंह मोड़ चुके हैं.' - नाविक

जब भी मानसून की बारिश होती है यह गांव टापू बन जाता है. गांव में जाने का कोई रास्ता नहीं बचता. ईटीवी भारत को जब इस गांव की बारे में जानकारी मिली तो ईटीवी भारत ने वहां के लोगों से संपर्क करने की कोशिश की. बिन टोली के लोगों ने तुरंत नाव की व्यवस्था की और ईटीवी भारत को लेकर अपने गांव पहुंची.

'कोई पूछने वाला नहीं हम वोट क्यों देंगे. पंचायत चुनाव में वोट मांगने आने पर हम सभी को गांव से बाहर कर देंगे.'-बाढ़ पीड़ित

देखें ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट

वहां के लोगों में एक उम्मीद जगी कि उन्हें सरकारी सहायता मिलेगी. उनका कहना है कि घर में खाने का राशन तक खत्म हो गया है. घर में छोटे-छोटे बच्चे हैं. समझ में नहीं आता कि क्या खाएं और क्या बच्चों को खिलाएं. अगर किसी की तबीयत खराब हो जाए तो गांव में ही मरण हो जाता है. लेकिन गांव से बाहर नहीं निकल सकते.

किसी तरह से खा रहे हैं. हमें न विधायक, मुखिया किसी की जरुरत नहीं. तबीयत खराब होने पर लोगों को अस्पताल ले जाने की भी व्यवस्था नहीं.'- बाढ़ पीड़ित

सरकारी नाव की व्यवस्था नहीं है कि कोई सामान खरीदने गांव से बाहर निकल सके. ऐसे में निजी नाव ही एकमात्र सहारा है. वह भी दूसरे से मांग कर कभी कबार गांव में आता है. पीने के लिए जो पानी है वह भी बाढ़ का पानी है. सांप बिच्छू का डर बना रहता है. रात को सोते वक्त डर सताता है कि ना जाने पानी कब उनके घर के अंदर प्रवेश कर जाए.

'हमलोग बुरी हालत में रह रहे हैं. जब चुनाव रहता है तो सब आते हैं लेकिन अब कोई नहीं आता.'- बाढ़ पीड़ित

स्थानीय लोगों का कहना है कि अभी पंचायत चुनाव भी होने वाला है ऐसे में अगर मुखिया हमारे गांव में आयेंगे तो उसे गांव से बाहर कर दिया जाएगा. चुनाव के वक्त हमारी याद आती है लेकिन जब गांव आज टापू बना हुआ है तो कोई जनप्रतिनिधि हमारी सुध लेने नहीं आ रहे हैं. ग्रामीणों में नाराजगी साफ देखी जा सकती है.

बता दें कि जिले में लगातार हो रही बारिश के कारण कई गांव टापू बने हुए हैं. सबसे ज्यादा पश्चिमी चंपारण जिले में तबाही है. मझौलिया प्रखंड के कई पंचायत टापू में तब्दील हो चुके हैं. कई गांवों में पानी घुस चुका है. आने जाने का कोई रास्ता नहीं बचा.

ऐसे में बाढ़ पीड़ितों की मांग है कि जिला प्रशासन एक सरकारी नाव की व्यवस्था करे ताकि लोग सुचारु रुप से गांव से बाहर निकल सके. साथ ही सरकारी राशन की भी व्यवस्था की जाए ताकि परिवार का पेट भर सके. फिलहाल ग्रामीण सरकारी राशन का इंतजार कर रहे हैं. वह आस लगाए बैठे हैं कि सरकार उनकी मदद करे और पानी की बीच उनकी तकलीफ थोड़ी कम हो सके.

लगातार हो रही बारिश के कारण अधिकांश नदियों का जलस्तर (Flood Situation in Bihar) बढ़ने लगा है. नदियों ने रौद्र रूप धारण कर लिया है. कई इलाकों में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं. ग्रामीणों को यह डर सता रहा है कि अगर ऐसे ही हालात रहे तो कटाव और बाढ़ के खतरों के बीच जिंदगी कैसे चलेगी?

गौरतलब है कि नेपाल से पश्चिम चंपारण आने वाली नदियां उफनाई हुईं हैं. इसके चलते जिले का बड़ा इलाका बाढ़ प्रभावित है. गंडक, पंडई और मशान नदी का पानी गांवों में फैल रहा है. बिन टोली गांव में कोहड़ा नदी का प्रकोप है. इसका पानी लगातार गांव में प्रवेश कर रहा है.

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