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बेतिया: 4 घंटे अस्पताल गेट पर खड़े रहने के बाद भी नहीं मिला बेड, तड़प-तड़प कर कोरोना संक्रमित मरीज ने तोड़ा दम

समय पर बेड नहीं मिलने से एक एंबुलेंस चालक की मौत हो गई. कोरोना संक्रमित एंबुलेंस चालक को जीएमसीएच अस्पताल में बेड नहीं मिला. उसके बाद ऑटो में ही उसकी मौत हो गई.

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Published : May 11, 2021, 2:22 PM IST

बेतिया: जिले के सबसे बड़े अस्पताल जीएमसीएच में कोरोना संक्रमित मरीज अब अस्पताल के अंदर नहीं बल्कि गेट पर ही दम तोड़ रहे हैं. आलम यह है कि चार घंटे गेट पर खड़े रहने के बाद भी अस्पताल में प्रवेश नहीं मिला और कोरोना संक्रमित मरीज ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया. मरने वाले व्यक्ति का नाम भरत महतो है. जो खुद एक एम्बुलेंस चालक था.

ये भी पढ़ें- रोहतास: सामाजिक कार्यकर्ता ने कई अस्पतालों में किया ऑक्सीमीटर का वितरण

एंबुलेंस चालक की मौत
एंबुलेंस चालक भरत महतो मझौलिया पीएचसी पहुंचे. जहां से उसे बेहतर इलाज के लिए जीएमसीएच रेफर कर दिया गया. लेकिन जीएमसीएच पहुंचने पर पता चला कि अस्पताल में बेड नहीं हैं. उसे अस्पताल में प्रवेश नहीं मिला. जिसके बाद ऑटो में ही उसकी मौत हो गई. इससे आक्रोशित परिजनों ने ऑटो को जीएमसीएच के मेन गेट पर खड़ा कर घंटों रास्ता जाम कर दिया. मौके पर पहुंची नगर थाने की पुलिस ने किसी तरह परिजनों को समझा-बुझाकर मामला शांत कराया.

ये भी पढ़ें- गया: बिना जांच के ही मोबाइल पर आ रहे कोरोना रिपोर्ट, डीपीएम बोले- तकनीकी गड़बड़ी

सबसे बड़े अस्पताल में नहीं है बेड
ऐसे में सबसे अहम सवाल है कि जिला प्रशासन से लेकर अस्पताल प्रबंधन तक बेड के साथ-साथ आक्सीजन की कमी नहीं होने का लगातार दावा कर रहा हैं. इसके बावजूद इस मरीज को अस्पताल में प्रवेश क्यों नहीं मिला. अगर इस अस्पताल में बेड नहीं था तो उसे दूसरे अस्पताल में क्यों नहीं भेजा गया.

बेतिया: जिले के सबसे बड़े अस्पताल जीएमसीएच में कोरोना संक्रमित मरीज अब अस्पताल के अंदर नहीं बल्कि गेट पर ही दम तोड़ रहे हैं. आलम यह है कि चार घंटे गेट पर खड़े रहने के बाद भी अस्पताल में प्रवेश नहीं मिला और कोरोना संक्रमित मरीज ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया. मरने वाले व्यक्ति का नाम भरत महतो है. जो खुद एक एम्बुलेंस चालक था.

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एंबुलेंस चालक की मौत
एंबुलेंस चालक भरत महतो मझौलिया पीएचसी पहुंचे. जहां से उसे बेहतर इलाज के लिए जीएमसीएच रेफर कर दिया गया. लेकिन जीएमसीएच पहुंचने पर पता चला कि अस्पताल में बेड नहीं हैं. उसे अस्पताल में प्रवेश नहीं मिला. जिसके बाद ऑटो में ही उसकी मौत हो गई. इससे आक्रोशित परिजनों ने ऑटो को जीएमसीएच के मेन गेट पर खड़ा कर घंटों रास्ता जाम कर दिया. मौके पर पहुंची नगर थाने की पुलिस ने किसी तरह परिजनों को समझा-बुझाकर मामला शांत कराया.

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सबसे बड़े अस्पताल में नहीं है बेड
ऐसे में सबसे अहम सवाल है कि जिला प्रशासन से लेकर अस्पताल प्रबंधन तक बेड के साथ-साथ आक्सीजन की कमी नहीं होने का लगातार दावा कर रहा हैं. इसके बावजूद इस मरीज को अस्पताल में प्रवेश क्यों नहीं मिला. अगर इस अस्पताल में बेड नहीं था तो उसे दूसरे अस्पताल में क्यों नहीं भेजा गया.

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