बेतिया: जिले में वाल्मीकिनगर विधानसभा अंतर्गत दियारा क्षेत्र में पिछले एक माह से गंडक नदी के जलस्तर में लगातार वृद्धि हो रही है. इसके कारण 500 एकड़ गन्ने और धान की फसल नदी में विलीन हो गई है. इसके लेकर किसानों में मायूसी छा गई है. एक ओर कोरोना महामारी से किसानों की स्थिति दयनीय हो गई थी, वहीं लगातार बारिश और बाढ़ के कारण किसानों की स्थिति और भी खराब हो गई है.
नष्ट हुई धान की फसल
बाढ़ के पानी से किसानों की 30 से 40 प्रतिशत से भी अधिक धान, केला, मुंगफली, अरहर, गन्ना की फसल नष्ट हो गई है. वहीं अब कटाव से बची फसल भी नदी में विलीन हो रही है. यह देख किसानों में मायूसी छाई हुई है. वहीं प्रशासन की तरफ से अभी तक कोई सार्थक पहल नहीं किया गया है. इससे किसानों में आक्रोश व्याप्त हो गया है. प्रखंड के सेमरा लबेदहा के दियारा क्षेत्र कांटी, बलजोरा, कठहवा रेता, वृता, बलुआ, पिपरासी रेता, मुजा टोला, धनहा, सिसही आदि दियारावर्ती क्षेत्रों में लगातार कटाव जारी है.
500 एकड़ फसल नदी में विलीन
दियारावर्ती क्षेत्रों में 500 एकड़ से अधिक फसल नदी में विलीन हो गई है. इससे किसानों को लाखों रुपये की क्षति हुई है. किसान शिवशंकर यादव, पुनीत शुक्ला, बलराम चौधरी, अभिज्ञान शुक्ल, जितेंद्र यादव, उमा यादव आदि ने बताया कि खाद्यान की फसल पहले ही नष्ट हो चुकी थी. वहीं अब नगदी फसल भी कटाव में विलीन हो गई है. इससे किसानों को उनके निवाले पर भी आफत आ गई है. किसानों ने उचित मुआवजे की मांग की है. वहीं बीएओ संजय शर्मा ने बताया कि फसल क्षति के मुआवजे के लिए फसलों का सर्वे कराया जा रहा है.
6 करोड़ 20 लाख की फसल बर्बाद
किसान समन्वयक नीरज सिंह ने बताया कि वर्तमान में एक एकड़ में 400 कुंतल गन्ने की उपज सामान्य रूप से हो रही है. वहीं 310 रुपये प्रति कुंतल भुगतान भी मिल रहा है. इस हिसाब से 6 करोड़ 20 लाख रुपये का लगभग नुकसान हो चुका है. इसके अलावा अन्य फसलों का भी नुकसान हुआ है.
उच्चाधिकारियों को लिखा पत्र
सेमरा लबेदहा पंचायत की मुखिया मनोरमा देवी, पिपरासी मुखिया उर्मिला देवी और सौरहा मुखिया पुनीता देवी ने बताया कि फसलों के नुकसान होने से किसानों की आर्थिक स्थिति काफी दयनीय हो गई है. इसके लिए मुखिया के लोगों ने किसानों को उचित मुआवजे की मांग के लिए उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा है.