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चांद तारा ने दिव्यांगता को दी मात, हर रोज 1.5 KM जमीन पर घसीट कर पहुंचती है स्कूल

बिहार के बेतिया की चांद तारा के बुलंद हौसलों ने दिव्यांगता को भी मात दे दी है. रोज जमीन पर घसीटते हुए डेढ़ किलोमिटर का सफर तय (Struggle Of Chand Tara To Go To School) कर छात्रा स्कूल ज्ञान अर्जित करने पहुंचती है. पढ़ें पूरी खबर..

Divyang Girl Chand Tara From Bettiah
Divyang Girl Chand Tara From Bettiah
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Published : May 31, 2022, 1:38 PM IST

बेतिया: इंसान अगर कुछ करने की ठान ले तो नामुमकिन कुछ भी नहीं है. बेतिया की चांद तारा ने अपनी हिम्मत और पढ़ाई करने के जुनून के आगे हर परेशानी को हराया है और बुलंद हौसलों की उड़ान जमीन पर भरती है. दोनों पैरों से दिव्यांग छात्रा चांद तारा ( Divyang Girl Chand Tara From Bettiah) सालों से रेंग-रेंगकर स्कूल जाती है. घिसट-घिसट कर धरती नापती है और स्कूल पहुंचती है. उसकी पढ़ाई करने की ललक के आगे दिव्यांगता हार गयी है. चांद तारा रोजाना जमीन पर खुद को घसीटते हुए डेढ़ किलोमीटर का सफर तय करते हुए स्कूल पहुंचती है.

पढ़ें- VIDEO: 500 मीटर तक पगडंडियों पर एक पांव से स्कूल जाती है 10 साल की सीमा

पढ़ना चाहती है चांद तारा: ये तस्वीर मझौलिया प्रखंड के हरपुर गढ़वा पंचायत (Divyang Girl From Harpur Garhwa Panchayat) के वार्ड नंबर 13 की है. दिव्यांग छात्रा हरपुर गढ़वा के राजकीय प्राथमिक विद्यालय गढ़वा कन्या उर्दू विद्यालय की पांचवी क्लास में पढ़ती है. सीमा पढ़ाई पूरी कर शिक्षक बनना चाहती है ताकि आगे चलकर अन्य बच्चों को शिक्षित कर सके. साथ ही ये मासूम सरकार से ट्राई साइकिल मांग रही है ताकि स्कूल जा सके.

"मेरा नाम चांद तारा है. बहुत दूर से घसीट घसीटकर स्कूल आते हैं. हमें साइकिल दे दो, पैर लगवा दो."- चांद तारा, दिव्यांग छात्रा

जमीन पर घसीटते हुए डेढ़ किमी दूर जाती है स्कूल: चांद तारा ( Divyang Student Chand Tara Story From Bettiah) के पिता नहीं हैं. उनका इंतकाल हो चुका है. इसकी परवरिश मां करती है. चांद तारा के पांच बहन और चार भाई हैं लेकिन भाइयों ने भी इससे मुंह फेर लिया है. लगभग 15 साल की चांद तारा के हौसले बुलंद हैं. जैसा नाम है, वैसे ही इसकी सोच है. पढ़ने का लगन है. कुछ बनने का जुनून है. तभी तो सालों से धरती पर घिसक-घिसक कर डेढ़ किलोमीटर दूर स्कूल जाती है. इसे आज तक ट्राई साइकिल भी नहीं मिली है. यही नहीं इसे राशन कार्ड तक नहीं मिला है. इस बेबस, लाचार, छात्रा की किसी ने आज तक सुध नहीं ली है.

"3 बार साइकिल के लिए लिखा पढ़ी की गयी लेकिन इस बच्ची को आज तक कुछ नहीं मिला. इसे पढ़ने का बहुत लगन है. मास्टर बनना चाहती है. इसे ट्राई साइकिल नहीं मिलने से परेशानी हो रही है. रोज घसीट घसीट कर स्कूल जाती है. दो दो बार आवेदन देने के बाद भी कुछ नहीं हुआ."- तबरेज आलम, वार्ड सदस्य

"दोनों पैर नहीं है. बहुत दूर स्कूल जाती है. कुछ मदद की जाए. मेरी बेटी आगे पढ़ना चाहती है."- इशबुन नेशा, चांद तारा की मां

"बच्ची पढ़ने में बहुत अच्छी है. शिक्षक बनना चाहती है. उसे साइकिल सरकार को देनी चाहिए. हम भी सरकार से उसके लिए मांग करते हैं. बच्ची के पिता भी नहीं है. चांद तारा बहुत परेशानी में है."- शंभु पाठक, शिक्षक

पढ़ें - कद छोटा, हौसला बुलंद! मैट्रिक की परीक्षा दे रहा शमशेर अंसारी बनना चाहता है IAS ऑफिसर


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बेतिया: इंसान अगर कुछ करने की ठान ले तो नामुमकिन कुछ भी नहीं है. बेतिया की चांद तारा ने अपनी हिम्मत और पढ़ाई करने के जुनून के आगे हर परेशानी को हराया है और बुलंद हौसलों की उड़ान जमीन पर भरती है. दोनों पैरों से दिव्यांग छात्रा चांद तारा ( Divyang Girl Chand Tara From Bettiah) सालों से रेंग-रेंगकर स्कूल जाती है. घिसट-घिसट कर धरती नापती है और स्कूल पहुंचती है. उसकी पढ़ाई करने की ललक के आगे दिव्यांगता हार गयी है. चांद तारा रोजाना जमीन पर खुद को घसीटते हुए डेढ़ किलोमीटर का सफर तय करते हुए स्कूल पहुंचती है.

पढ़ें- VIDEO: 500 मीटर तक पगडंडियों पर एक पांव से स्कूल जाती है 10 साल की सीमा

पढ़ना चाहती है चांद तारा: ये तस्वीर मझौलिया प्रखंड के हरपुर गढ़वा पंचायत (Divyang Girl From Harpur Garhwa Panchayat) के वार्ड नंबर 13 की है. दिव्यांग छात्रा हरपुर गढ़वा के राजकीय प्राथमिक विद्यालय गढ़वा कन्या उर्दू विद्यालय की पांचवी क्लास में पढ़ती है. सीमा पढ़ाई पूरी कर शिक्षक बनना चाहती है ताकि आगे चलकर अन्य बच्चों को शिक्षित कर सके. साथ ही ये मासूम सरकार से ट्राई साइकिल मांग रही है ताकि स्कूल जा सके.

"मेरा नाम चांद तारा है. बहुत दूर से घसीट घसीटकर स्कूल आते हैं. हमें साइकिल दे दो, पैर लगवा दो."- चांद तारा, दिव्यांग छात्रा

जमीन पर घसीटते हुए डेढ़ किमी दूर जाती है स्कूल: चांद तारा ( Divyang Student Chand Tara Story From Bettiah) के पिता नहीं हैं. उनका इंतकाल हो चुका है. इसकी परवरिश मां करती है. चांद तारा के पांच बहन और चार भाई हैं लेकिन भाइयों ने भी इससे मुंह फेर लिया है. लगभग 15 साल की चांद तारा के हौसले बुलंद हैं. जैसा नाम है, वैसे ही इसकी सोच है. पढ़ने का लगन है. कुछ बनने का जुनून है. तभी तो सालों से धरती पर घिसक-घिसक कर डेढ़ किलोमीटर दूर स्कूल जाती है. इसे आज तक ट्राई साइकिल भी नहीं मिली है. यही नहीं इसे राशन कार्ड तक नहीं मिला है. इस बेबस, लाचार, छात्रा की किसी ने आज तक सुध नहीं ली है.

"3 बार साइकिल के लिए लिखा पढ़ी की गयी लेकिन इस बच्ची को आज तक कुछ नहीं मिला. इसे पढ़ने का बहुत लगन है. मास्टर बनना चाहती है. इसे ट्राई साइकिल नहीं मिलने से परेशानी हो रही है. रोज घसीट घसीट कर स्कूल जाती है. दो दो बार आवेदन देने के बाद भी कुछ नहीं हुआ."- तबरेज आलम, वार्ड सदस्य

"दोनों पैर नहीं है. बहुत दूर स्कूल जाती है. कुछ मदद की जाए. मेरी बेटी आगे पढ़ना चाहती है."- इशबुन नेशा, चांद तारा की मां

"बच्ची पढ़ने में बहुत अच्छी है. शिक्षक बनना चाहती है. उसे साइकिल सरकार को देनी चाहिए. हम भी सरकार से उसके लिए मांग करते हैं. बच्ची के पिता भी नहीं है. चांद तारा बहुत परेशानी में है."- शंभु पाठक, शिक्षक

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