वैशाली: बिहार के वैशाली में एक अजब कारनामा हुआ है. नगर थाना पुलिस के अनुसार 20 साल पहले पिकअप लूटने के लिए एफआईआर दर्ज हुआ था. उसके बाद पुलिस के खौफ से आरोपी भागा भागा फिर रहा था. जबकि अभी जाकर पुलिस को जानकारी मिली कि वह पिछले 12 सालों से सरकारी स्कूल में टीचर के रुप में कार्यरत है. उस आरोपी पर दो लोगों के सिर पर हथौड़ी से वार कर पिकअप वैन लूटने का आरोप लगा है. सूचना मिलते ही पुलिस ने उस आरोपी को गिरफ्तार किया है.
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20 साल बाद गिरफ्तारी: वैशाली पुलिस के लेटलतीफी के कारण 20 साल पहले पिकअप वैन लूटने के क्रम में 2 लोगों को गंभीर रूप से जख्मी कर फरार हुए आरोपी को अब गिरफ्तार किया गया है. मजेदार बात यह है कि आरोपी बीते 12 सालों से सरकारी स्कूल में बतौर शिक्षक के रुप में कार्य कर रहा है. इस दौरान पीड़ित पक्ष ने लगातार पुलिस महकमे के आला अधिकारियों के यहां चक्कर लगाता रहा. इसके साथ ही शिक्षा विभाग को पत्र लिखकर यह जानकारी देते रहा कि आपका एक शिक्षक पुलिस के रिकॉर्ड में फरार आरोपी है. इसके बावजूद वह नौकरी करता रहा.
न्यायालय के दबाव में गिरफ्तारी: जब इस मामले में न्यायालय का दबाव पुलिस पर पड़ा तब जाकर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर व्यवहार न्यायालय में पेश किया. इस विषय में पीड़ित के भाई अमरनाथ शाह का कहना है कि उसके पिताजी ने केस लड़ना शुरू किया था. अब वह अपने पिताजी के बाद इस मामले को देख रहा है. उसने बताया कि 2003 में उनके घर से पिकअप वैन को भाड़ा पर गोरौल थाना क्षेत्र निवासी हरीश चंद्र प्रसाद मधुमक्खी के छाते लाने गए थे. हरिशंकर प्रसाद के साथ और भी लोग थे. उसी गाड़ी में चालक के अलावे हमारे बड़े भाई संजीव शाह मौजूद थे.
हथौड़े से मार किया था घायल: उसी समय बीच रास्ते में हरिश्चंद्र प्रसाद ने कई और लोगों के साथ संजीव शाह और गाड़ी चालक के सिर पर हथोड़े से प्रहार कर दिया. उसके बाद दोनों लोगों को मरा मानकर खेत में दोनों को फेंककर फरार हो गया. वहीं इलाज के दौरान घायल संजीव शाह के फर्द बयान पर मामला दर्ज हुआ. तभी से पुलिस आरोपी की गिरफ्तारी के लिए खाक छानती रही. जब कहीं जानकारी नहीं मिली तब उसके घर में कुर्की जब्ती के साथ ही अपराधी को फरार घोषित किया गया.
शिक्षक के पद पर कर रहा था नौकरी: इन सभी चीजों के बीच 2012 में आरोपी ने बतौर सरकारी शिक्षक मोतिहारी में ज्वाइन किया. इसके बाद उसकी ट्रांसफर मुजफ्फरपुर जिले में कर दी गई. पीड़ित के भाई अमरनाथ शाह ने शिक्षा विभाग को कई बार यह जानकारी दी कि हरिश्चंद्र प्रसाद पुलिस मामले का एक फरार आरोपी है. इसके बावजूद शिक्षा विभाग ने कार्रवाई नहीं की. साथ ही उस समय से पुलिस भी गिरफ्तार नहीं कर पाई. आरोपी हरिश्चंद्र प्रसाद सिंह रसूलपुर पंचायत के गोरौल थाना क्षेत्र निवासी बताया जाता है.
एफआईआर के बाद खानापूर्ति: पीड़ित अमरनाथ शाह के वकील मनीष उपाध्याय ने बताया कि यह पूरा समस्या सिस्टम का है. एफआईआर के बाद पुलिस की जांच भी चली. लेकिन यह सब कुछ खानापूर्ति की तरह किया गया. जब न्यायालय का दवाब पड़ा तब जाकर पुलिस ने अरेस्ट किया है. उन्होंने बताया कि गोरौल थाना क्षेत्र से ही पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया. अब न्यायालय में पेशी के बाद उसे जेल भेज दिया गया. इन सबके बीच गिरफ्तार आरोपी हरिश्चंद्र प्रसाद के मामले में पुलिस सहित शिक्षा विभाग पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं. उन्होंने बताया कि शायद इन सवालों का जवाब किसी के पास नहीं हो.
"यह पूरी समस्या सिस्टम के साथ प्रशासन का है. 2003 के केस में पुलिस की जांच का इस तरह से प्रोसेस चला कि जैसे पुलिस खानापूर्ति कर रही है. न्यायालय का प्रेशर पड़ा तब जाकर पुलिस ने अरेस्ट किया है. एक आरोपी को पकड़ने के लिए वैशाली पुलिस को 20 साल लग गए. घटना के बाद उसके घर में कुर्की भी की गई. वह व्यक्ति फरार बताया गया. इसके बाद 2012 में उसका जॉब भी होता है. इतने दिनों बाद इसकी गिरफ्तारी घर के पास से की गई. इस मामले का गवाह भी है. जख्मी भी है. इस तरह से यह मामला आगे भी चलेगा." - मनीष उपाध्याय, एडवोकेट
"2003 मेरे घर पर आए थे और डाला बॉडी पिकअप भान को भाड़ा करके ले गए थे. कहां था कि मधुमक्खी का छत्ता लाने जा रहे है. महुआ से आगे कहीं हथौड़ी और दो चार लोगों को और भी लिया इसके बाद जंगल में ले जाकर मेरे बड़े भाई को और ड्राइवर को हथौड़ी से मारना शुरू कर दिया. दोनों को अपने हिसाब से मरा हुआ समझकर फेंक कर गाड़ी सहित भाग गया. उसी समय से आदमी फरार चल रहा था. उसके बाद यह सरकारी शिक्षक में ज्वाइन कर लिया. थाना ने स्कूल में लेटर दिया था कि यह अपराधी फरार है. इसके बावजूद यह स्कूल में मेडिकल लगाकर वहां से भाग जाता था. हमें तो विश्वास भी नहीं हो पा रहा था कि यह कभी अरेस्ट भी हो पाएगा. इस हादसे में जो मेरे भाई घायल हुए हैं. उनका नाम संजीत साह है. साथ में घायल चालक का नाम सत्येंद्र राय है. इतने दिनों बाद भी गाड़ी बरामद नहीं हुआ है" - अमरनाथ शाह, पीड़ित के भाई