वैशालीः बिहार के वैशाली में ट्राई साइकिल वितरण समारोह (Tricycle distribution in Vaishali ) में अधिकारियों की लापरवाही का मामला सामने आया है. दूर दूर से आए कई दिव्यांगों को ट्राई साइकिल नहीं दिया गया. जिस कारण सभी को परेशानियों का सामना करना पड़ा. कई लोग कार्यक्रम स्थल पर ही रूक गए तो कई किसी तरह घर चले गए. बता दें कि हाजीपुर के अक्षयवट राय स्टेडियम में सामाजिक अधिकारिता शिविर का आयोजन किया गया था. जिसमें दिव्यांगों के बीच ट्राई साइकिल के साथ-साथ अन्य उपकरण का वितरण होना था. लेकिन आधे से ज्यादा लोगों को लाभ नहीं दिया गया.
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स्टेडियम में ही कैद हो गए दिव्यांगः अक्षयवट राय स्टेडियम में कार्यक्रम का आयोजन किया गया था जिससे दिव्यांगजनों के जीवन मे बदलाव आ सके. लेकिन शाम होते ही दिव्यांगों के जीवन मे ऐसा बदलाव आया कि 30 से 40 दिव्यांग स्टेडियम में ही कैद होकर रह गए. जिले के सुदूरवर्ती इलाके से आये लगभग सौ दिव्यांगों को तो ट्राई साइकिल, साइकिल या सहायक उपकरण तो दे दिया गया लेकिन तीस से चालीस दिव्यांगों को शाम तक साइकिल नहीं मिली. दो चार लोगों को शाम में साइकिल मिली भी लेकिन उनसे वापस ले लिया गया. ऐसे में 20 से 25 दिव्यांग इसी स्टेडियम में फंस गए. जो अब रात को घर भी नहीं जा सकते हैं.
मैदान का चक्कर लगाते रहेः दिव्यांग पूरे मैदान का चक्कर लगाते रहे लेकिन कोई सुनने वाला नहीं मिला. काफी देर बाद जिला प्रशासन के निर्देश पर गेट खोला गया और किसी तरह दिव्यांग कड़कती ठंड में स्टेडियम से बाहर निकल पाए. दरअसल, केंद्रीय मंत्री और स्थानीय सांसद पशुपति कुमार पारस ने आज उपकरण वितरण कार्यक्रम का उद्घाटन किया. कई दिव्यांगों के बीच सहायक उपकरण का वितरण किया गया लेकिन लगभग 30 से 40 दिव्यांगों को सबुह से शाम तक बैठाया गया. रात में बताया गया कि आज साइकिल का वितरण नहीं होगा. जिससे दिव्यांग आक्रोशित हो गए है.
"जैसे नंबर में हम लोग लगे थे हमको गाड़ी पहले मिल गया. दूसरे आदमी को नहीं मिला. इसी कारण हम को भी रोक रहे हैं कि दूसरे को नहीं मिला है तो तुम भी यहीं रूको. क्योंकि एक गाड़ी में भाड़ा करके हम दो लोग आए थे. बोलता है कि वहां से आर्डर लेकर कर आओ" -बिंदेश्वर पासवान, दिव्यांग.
2 दिन पहले तैयारी करनी थीः प्रखंड स्तर पर सभी दिव्यांगों को सूचित कर बुलाया गया था. सभी के पास पर्चा भी था. जिन दिव्यांगों को उपकरण नहीं मिला उनके भी आधे पर्चे ले लिए गए थे. जिसे की सामान मिलने के बाद रसीद के तौर पर लेना था. हालांकि इस विषय में तहकीकात करने पर पता चला कि जिस कंपनी को ट्राई साइकिल कंप्लीट करने का जिम्मा दिया गया था उसे 1 दिन का समय ही मिल पाया था. 1 दिन में कानपुर से आए एक व्यक्ति ने जितना संभव हुआ ट्राई साइकिल को जोड़ा बाकी वैसे रह गया. कानपुर से आए अनीश का कहना है कि कम से कम 2 दिन उसे मिलने चाहिए थे.
"साइकिल कसने के लिए हम यहां कानपुर से आए थे. हमको कल बोले कि वहां जाइए वहां पर कैंप है. 80 ट्राईसाईकिल के लिए बोले थे हमको कंपनी से भेजा जाता हैं. इसके लिए कम से कम 2 दिन पहले बताना चाहिए था. 16 गाड़ी हम लोग तैयार नहीं कर पाए. हम रातभर में बाकी साइकल कसम्प्लीट करेंगे" - अनीश कुमार, एलएम्पो लिमिटेड कंपनी, कानपुर.
"हम सभी दिव्यांगजन ट्राई साइकिल और मशीनों के लिए यहां पर आए थे. सुबह 8:00 बजे आ गए थे. लगभग 45 लोगों को उपकरण नहीं मिला है. महिला दिव्यांगों को साइकिल से नीचे उतार भी दिया गया. गेट में ताला भी मार दिया गया. दो लोग साइकिल ले लिया है इसलिए बोल रहे हैं कि किसी को नहीं जाने देंगे." - आशीष रंजन, जिलाध्यक्ष, दिव्यांग कल्याण संघ.