वैशाली : तो क्या विश्व प्रसिद्ध सोनपुर का हरिहर क्षेत्र मेला अनिश्चितकाल के लिए बंद हो जाएगा? सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि इसे बंद करने का आह्वान किया गया है. अगर जिला प्रशासन से बात नहीं बनी, तो आज से मेला बंद हो सकता है. सोनपुर के चिड़िया मठ में स्थानीय लोगों और व्यवसाइयों ने एक बैठक आहूत कर यह फैसला लिया है. यही नहीं प्रशासन को 5 बजे तक का इसके लिए अल्टीमेटम भी दिया गया है.
सोनपुर मेला पर लगा 'ग्रहण' : मेला आम लोगों के लिए बिल्कुल सचकर तैयार है. 25 नवंबर को बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव इसका विधिवत उद्घाटन भी किया था, लेकिन उद्घाटन के करीब एक हफ्ता बीत जाने के बाद भी प्रशासन का रुख स्पष्ट नहीं है. सोनपुर मेला में लगे पांच थिएटर में से किसी भी थिएटर को लाइसेंस नहीं दिया गया है. यही नहीं कई दिनों तक मेले में लगे झूले को भी लाइसेंस नहीं दिया गया है. जिससे व्यवसाइयों को रोज लाखों रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है.
लाखों रुपए का हो रहा है नुकसान : इससे नाराज व्यवसाइयों और स्थानीय लोगों ने मिलकर मेला को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने का निर्णय लिया है. दरअसल, सोनपुर मेले के नखास का टेंडर लाखों रुपए में किया गया था. स्थानीय लोगों का दावा है कि टेंडर के मैप में थिएटर को भी दिखाया गया था. मेले में 5 थिएटर लगाए गए हैं, जिसमें 500 से ज्यादा लड़कियां और अन्य कर्मी मौजूद हैं. वही थिएटर नहीं चालू होने से थिएटर मालिकों में आक्रोश है. कई राज्यों से रोजी रोटी की तलाश में थिएटर में काम करने वाले पहुंचे लोगों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
राजगीर मेले से तुलना : सोनपुर के चिड़िया मठ में आहूत बैठक में यह भी चर्चा की गयी कि बिहार के राजगीर में कुछ दिनों पहले ही मलमास मेले का आयोजन किया गया था. जिसमें पहले दिन से खेल तमाशा, झूला, मारुति कुआ, सर्कस व थिएटर आदि का लाइसेंस देकर पूरी तरीके से जगमगा दिया गया था. परंतु हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला के उद्घाटन के सप्ताह भर बाद भी किसी प्रकार का लाइसेंस न देकर मेले को पूरी तरह समाप्त करने की साजिश की जा रही है.
ग्रामीणों और व्यापारियों को हो रही परेशानी : सोनपुर मेला में पूर्णिमा के दिन से ही 7 किलोमीटर दूर ही गाड़ियों को रोक दिया जा रहा है. जिसके कारण इस बार मेला में स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या काफी कम रही. मेले के सप्ताह भर बीत जाने के बाद भी विभिन्न चौक चौराहा पर बैरिकेडिंग कर गांव में ही ग्रामीणों को प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है. साथ ही व्यापारियों को भी मेले में सामान लाने में काफी परेशानी हो रही है.
'सौतेला व्यवहार किया जा रहा है' : यही नहीं बैठक में यह भी कहा गया कि विभिन्न मेला सहित राजगीर मेला में भी पारंपरिक अस्त्र तलवार, बरछी, भाला इत्यादि की बिक्री की जाती है. परंतु सोनपुर में इसे प्रतिबंधित कर दिया जाता है. मेले में रात 10 बजे के बाद प्रशासन के द्वारा किसी पर्यटक को प्रवेश नहीं दिया जा रहा है. इन सब बातों से नीतीश कुमार सरकार का सोनपुर के प्रति सौतेला व्यवहार प्रतीत होता है.
RJD विधायक ने उठाए थे सवाल : बता दें कि, सोनपुर मेला 2023 के उद्घाटन के दौरान उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के सामने ही सोनपुर से राजद विधायक राम अनुज राय ने मंच यह आरोप लगाया था कि सोनपुर मेले को समाप्त करने की साजिश चल रही है. जिस पर अब सोनपुर के आम लोगों और व्यवसाइयों ने मुहर लगा दी है. सरकार पर मेला समाप्ति की साजिश रचने का आरोप लगाते हुए सोनपुर मेला को अनिश्चितकालीन बंद करने का आह्वान किया गया है.
थिएटर कर रहा है लंबा इतिहास : बताया जाता है किसी जमाने में हाथी-घोड़े खरीदने मुगल बादशाह से लेकर वीर कुंवर सिंह तक सोनपुर मेला पहुंचते थे. मेले में आए राजा महाराजाओं के मनोरंजन के लिए यहां नाच-गाने व ड्रामा का प्रोग्राम होता था, जो बाद में चलकर थिएटर के रूप में तब्दील हो गया. सोनपुर मेले के इतिहास में गुलाब बाई के नाम से एक थिएटर लगाया जाता था. गुलाब बाई को नौटंकी क्वीन की उपाधि मिली थी. उन्हें उनके मंच पर बेहतरीन अभिनय के लिए 1990 में पद्मा श्री से सम्मानित किया गया था.
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