सारण: जहां एक तरफ उत्तर बिहार बाढ़ की चपेट में है. वहीं, सूबे के कई जिले सूखे की मार झेल रहे हैं. वैशाली जिले के हजारों किसान इस बार धान की खेती छोड़ चुके हैं. जिले में मॉनसून की दगाबाजी के कारण किसानों ने पारम्परिक धान की खेती से दूरी बना ली है.
जिले के सोनपुर प्रखंड स्थित गंगाजल गांव, जहां के किसान बारिश नहीं होने के कारण धान की खेती छोड़ दी है. बारिश के साथ सरकार की तरफ से मिलने वाली सहायता से भी वंचित हैं. बिहार स्टेट बोरिंग भी बेकार पड़ा है. खास बात यह है कि यहां नहर की भी व्यवस्था नहीं है.
रबी फसल भी दे चुकी है दगा
रबी फसल अच्छी नहीं होने से यहां के किसान पहले ही आर्थिक रूप से कमजोर हैं. वहीं इस बार मॉनसून ने दगा दे दिया. मक्का, बाजरा के अलावा साग-सब्जी की खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. स्थानीय किसानों ने बिहार स्टेट बोरिंग की मरम्मत करवाने की हरसंभव कोशिश की. जनप्रतिनिधि से लेकर जिला प्रशासन के तमाम पदाधिकारियों से गुहार लगाने के बाद भी नतीजा नहीं निकल पाया. जनप्रतिनिधि और जिला प्रशासन से सहायता नहीं मिलने के बाद किसानों ने थक-हार कर किसानी छोड़ दी.
सैकड़ों किसानों को नहीं मिला मुआवजा
ईटीवी भारत से बातचीत के क्रम में किसानों ने अपना दुखड़ा सुनाया. पिछले साल भी इस गांव के सैकड़ों किसानों को रबी फसल से आशानुरूप फायदा नहीं मिल सका था. वहीं सरकार की तरफ से कोई मुआवजा भी नहीं मिला.
सरकार से मदद की आस लगाए किसान
अमूमन यह हाल पूरे प्रखंड का है. यहां ज्यादातर किसान पानी की किल्लत की वजह से धान की खेती मनमुताबिक नहीं कर पा रहे हैं. पिछले साल फसल नुकसान का मुआवजा कुछ किसानों को मिला था. इसका प्रचार-प्रसार ढंग से नहीं होने के कारण इसके बारे में अधिकतर किसानों को जानकारी नहीं है. सूखे की मार झेल रहे किसान सरकार से मदद की आस लगाए बैठे हैं.