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सारण: मॉनसून, प्रशासन और जनप्रतिनिधियों ने मोड़ा मुंह तो थक हारकर किसानों ने छोड़ दी खेती

रबी फसल अच्छी नहीं होने से यहां के किसान पहले ही आर्थिक रूप से कमजोर हैं. वहीं इस बार मॉनसून ने दगा दे दिया. मक्का, बाजरा के अलावा साग-सब्जी की खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

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Published : Jul 24, 2019, 10:20 AM IST

Updated : Jul 24, 2019, 7:02 PM IST

खेती छोड़ चुके गंगाजल गांव के किसान

सारण: जहां एक तरफ उत्तर बिहार बाढ़ की चपेट में है. वहीं, सूबे के कई जिले सूखे की मार झेल रहे हैं. वैशाली जिले के हजारों किसान इस बार धान की खेती छोड़ चुके हैं. जिले में मॉनसून की दगाबाजी के कारण किसानों ने पारम्परिक धान की खेती से दूरी बना ली है.

जिले के सोनपुर प्रखंड स्थित गंगाजल गांव, जहां के किसान बारिश नहीं होने के कारण धान की खेती छोड़ दी है. बारिश के साथ सरकार की तरफ से मिलने वाली सहायता से भी वंचित हैं. बिहार स्टेट बोरिंग भी बेकार पड़ा है. खास बात यह है कि यहां नहर की भी व्यवस्था नहीं है.

मॉनसून की दगा से गंगाजल गांव के किसानों ने छोड़ी खेती

रबी फसल भी दे चुकी है दगा
रबी फसल अच्छी नहीं होने से यहां के किसान पहले ही आर्थिक रूप से कमजोर हैं. वहीं इस बार मॉनसून ने दगा दे दिया. मक्का, बाजरा के अलावा साग-सब्जी की खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. स्थानीय किसानों ने बिहार स्टेट बोरिंग की मरम्मत करवाने की हरसंभव कोशिश की. जनप्रतिनिधि से लेकर जिला प्रशासन के तमाम पदाधिकारियों से गुहार लगाने के बाद भी नतीजा नहीं निकल पाया. जनप्रतिनिधि और जिला प्रशासन से सहायता नहीं मिलने के बाद किसानों ने थक-हार कर किसानी छोड़ दी.

sonpur farming
खेतों को निहारता किसान

सैकड़ों किसानों को नहीं मिला मुआवजा
ईटीवी भारत से बातचीत के क्रम में किसानों ने अपना दुखड़ा सुनाया. पिछले साल भी इस गांव के सैकड़ों किसानों को रबी फसल से आशानुरूप फायदा नहीं मिल सका था. वहीं सरकार की तरफ से कोई मुआवजा भी नहीं मिला.

सरकार से मदद की आस लगाए किसान
अमूमन यह हाल पूरे प्रखंड का है. यहां ज्यादातर किसान पानी की किल्लत की वजह से धान की खेती मनमुताबिक नहीं कर पा रहे हैं. पिछले साल फसल नुकसान का मुआवजा कुछ किसानों को मिला था. इसका प्रचार-प्रसार ढंग से नहीं होने के कारण इसके बारे में अधिकतर किसानों को जानकारी नहीं है. सूखे की मार झेल रहे किसान सरकार से मदद की आस लगाए बैठे हैं.

सारण: जहां एक तरफ उत्तर बिहार बाढ़ की चपेट में है. वहीं, सूबे के कई जिले सूखे की मार झेल रहे हैं. वैशाली जिले के हजारों किसान इस बार धान की खेती छोड़ चुके हैं. जिले में मॉनसून की दगाबाजी के कारण किसानों ने पारम्परिक धान की खेती से दूरी बना ली है.

जिले के सोनपुर प्रखंड स्थित गंगाजल गांव, जहां के किसान बारिश नहीं होने के कारण धान की खेती छोड़ दी है. बारिश के साथ सरकार की तरफ से मिलने वाली सहायता से भी वंचित हैं. बिहार स्टेट बोरिंग भी बेकार पड़ा है. खास बात यह है कि यहां नहर की भी व्यवस्था नहीं है.

मॉनसून की दगा से गंगाजल गांव के किसानों ने छोड़ी खेती

रबी फसल भी दे चुकी है दगा
रबी फसल अच्छी नहीं होने से यहां के किसान पहले ही आर्थिक रूप से कमजोर हैं. वहीं इस बार मॉनसून ने दगा दे दिया. मक्का, बाजरा के अलावा साग-सब्जी की खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. स्थानीय किसानों ने बिहार स्टेट बोरिंग की मरम्मत करवाने की हरसंभव कोशिश की. जनप्रतिनिधि से लेकर जिला प्रशासन के तमाम पदाधिकारियों से गुहार लगाने के बाद भी नतीजा नहीं निकल पाया. जनप्रतिनिधि और जिला प्रशासन से सहायता नहीं मिलने के बाद किसानों ने थक-हार कर किसानी छोड़ दी.

sonpur farming
खेतों को निहारता किसान

सैकड़ों किसानों को नहीं मिला मुआवजा
ईटीवी भारत से बातचीत के क्रम में किसानों ने अपना दुखड़ा सुनाया. पिछले साल भी इस गांव के सैकड़ों किसानों को रबी फसल से आशानुरूप फायदा नहीं मिल सका था. वहीं सरकार की तरफ से कोई मुआवजा भी नहीं मिला.

सरकार से मदद की आस लगाए किसान
अमूमन यह हाल पूरे प्रखंड का है. यहां ज्यादातर किसान पानी की किल्लत की वजह से धान की खेती मनमुताबिक नहीं कर पा रहे हैं. पिछले साल फसल नुकसान का मुआवजा कुछ किसानों को मिला था. इसका प्रचार-प्रसार ढंग से नहीं होने के कारण इसके बारे में अधिकतर किसानों को जानकारी नहीं है. सूखे की मार झेल रहे किसान सरकार से मदद की आस लगाए बैठे हैं.

Intro:लोकेशन: वैशाली
रिपोर्टर: राजीव कुमार श्रीवास्तवा

सारण जिले के सोनपुर प्रखण्ड क्षेत्र में स्थित गंगाजल गाव में रहने वाले हजारों किसानों ने इस बार पानी की अभाव के चलते धान की खेती छोड़ दी हैं।


Body:सोनपुर प्रखण्ड के गंगाजल गाव में इस बार यहा के हजारों किसानों ने पानी की किल्लत के चलते अपनी पुरानी पारंपरिक धान की खेती छोड़ दी । मालूम हो कि यहा इस बार मॉनसून ने दगा तो दिया ही साथ ही क्षेत्र के सरकारी व्यवस्था पर बिहार स्टेट बोरिंग महिनों से जर्जर स्थिति में पड़कर पूरी तरह से ध्वस्त हो गया हैं । इससे किसानों की परेशानी और बढ़ गयीं। इनकी मानें तो क्षेत्र में नहर भी सूखे पड़े हैं ।आर्थिक तौर पर कमजोर किसान पहले से ही रबी की फ़सलों में अच्छी उत्पादन नही होने के कारण आर्थिक परेशानी से जूझ रहें थे रही सही इस बार उनका मक्का, बाजरा , साग-सब्जी की खेती पानी के बिना नुकसान उठाना पड़ा ।ऐसे में वे धान की खेती के लिये अपना बचा खुचा पैसे लगाकर खेत को साफ सुथरा कर उसकी जोताई कर करीब एक महीना पूर्व से खेत तैयार कर इंद्र भगवान से क्षेत्र में पानी की वर्षात के लिये कामनायें किये पर नतीजा सिफर निकला फिर बिहार स्टेट बोरिंग की मरम्मत के लिये अपने जन प्रतिनिधियों से मसलन मुखिया, विधायक , सांसद और प्रखण्ड में जाकर कृषि पदाधिकारी से लेकर बीडीओ सीओ अनुमंडल के एसडीओ और यहा से 60 किलोमीटर दूरी पर स्थित कलक्टर साहब से गुहार लगायी पर उसे कोई मदद नहीं मिली । हार थक कर उंसके साथ गाव के सैकड़ों किसानों ने इस बार धान की खेती नही करने का अपना फैसला लिया ।
इस पहलुओं पर Etv भारत ने पड़ताल किया तो खबर को सही पाया। बतादें कि पिछले बार इस गाव के सैकड़ों किसानों को रबी फसल में आशानुरूप फायदा नहीं मिलने से खासी परेशानी हुई थी ।उन्हें मुआवजा भी सरकारी तौर पर नही मिला था ।

प्रखण्ड क्षेत्र मे 23 पंचायत हैं हर पंचायत में 14 से 16 वार्ड हैं इसके अंतर्गत किसानों ने कई एकड़ो में धान की खेती करते थे जो इस बार ज्यादातर किसान पानी की किल्लत के चलते धान मन मुताबिक नही किये ।

सरकार के फसल बीमा योजना के तहत प्रखण्ड के कुछ पंचायतो में कुछ किसानो को पिछले बार हुए उनके फ़सलो के नुकसान पर राशि मिली थी पर यह योजना के बारे में ठीक तरह से प्रचार नही होने के चलते अधिकतर किसानों को इसके बारे में जानकारी नही हैं।




Conclusion:बहरहाल, पीड़ित किसानों को सरकार की ओर से कुछ मदद मिल जाये ,यही उम्मीद यहा के किसान मीडिया के माध्यम से सरकार तक पहुचाना चाहते हैं।

स्टार्टिंग: विओ से
बाइट किसान पुरुष
बाइट: महिला किसान
बाइट किसान पुरुष

PTC: संवाददाता, राजीव, वैशाली ।
Last Updated : Jul 24, 2019, 7:02 PM IST
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