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Vaishali News: बिहार में 60 फीसदी लोगों के पास जमीन नहीं, 75 वर्षों से भूमि सुधार की दिशा में कोई काम नहीं हुआ - प्रशांत किशोर - जन सुराज के संयोजक प्रशांत किशोर

करीब 190 दिनों की पद यात्रा के बाद विभिन्न जिलों से होते हुए वैशाली पहुंचे प्रशांत किशोर ने बिहार के किसानों की बदहाली के कारण गिनाए. वैशाली में अपार जन समर्थन से उत्साहित प्रशांत किशोर ने यह भी कहा कि आप एक पदयात्रा करके या चार कदम पैदल चल कर गांधी नहीं बन सकते कुछ चुनाव जीतकर चाणक्य नहीं बन सकते यह महामानव हैं, जो सदियों में पैदा होते हैं.

प्रशांत किशोर राजनीतिक विशेषज्ञ
प्रशांत किशोर राजनीतिक विशेषज्ञ
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Published : Apr 11, 2023, 7:49 AM IST

जन सुराज के संयोजक प्रशांत किशोर

वैशालीः हाजीपुर के दिघी लाल पोखर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन कर प्रशांत किशोर ने मीडिया से अपनी बातों को साझा किया. उन्होंने बिहार में किसानों की समस्या पर जोर देते हुए कहा कि अभी तक जो मेरे समझ मे आई है बात की बिहार में किसानों की जो बदहाली है उसके तीन प्रमुख कारण है. पहला कारण है भूमि सुधार का ना होना बिहार में पिछले 75 सालों में भूमि सुधार के दिशा में कोई काम नहीं हुआ है, उसकी वजह से बिहार में 60% लोग ऐसे हैं जिनके पास जमीन है ही नहीं.

ये भी पढ़ेंः Prashant Kishor: 'भाजपा सांसद इसलिए काम नहीं करते क्योंकि, मोदी के नाम पर वोट मिलेगा'

बिहार में 60% लोग भूमिहीन: पीके ने दावा किया कि देश के स्तर पर 38% भूमिहीन है जबकि बिहार में 60% लोग भूमिहीन है और जो 40% लोगों के पास जमीन है और उनका लैंडहोल्डिंग देखिएगा तो पता चलेगा कि उसमें 90% यानी करीब करीब 35% से ज्यादा ऐसे लोग हैं जिनके पास 2 बीघे से भी कम जमीन है. ज्यादातर लोग समाज में या तो खेती अपने बाल बच्चों के पेट भरने के लिए खाने वाली खेती कर रहे हैं. आप खेत में वही पैदा कर पाते हैं जिससे आपके बाल बच्चों का पेट भर जाए वह कमाने का जरिया नहीं है. प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि आंकड़े बताते हैं कि बिहार में सिर्फ चार से 5% किसान ही ऐसे हैं जिनके लिए खेती आमदनी का जरिया है, बाकी लोग खेती पेट भरने के लिए कर रहे हैं या फिर क्षेत्रों में मजदूर हैं.

30 से 35% जमीन सूखे से प्रभावित: उन्होंने समस्या को गिनाते हुए कहा कि पहली समस्या है भूमि सुधार का लागू ना होना, दूसरी समस्या है जल प्रबंधन को लेकर बिहार में आधे से ज्यादा जो जमीन है वह बाढ़ प्रभावित है. हर जिले में कुछ प्रखंड कुछ ब्लॉक ऐसे हैं जहां बाढ़ की समस्या है जो आधी जमीन बची हुई है, उसमें करीब करीब 30 से 35% जमीन सूखे से प्रभावित है या जलजमाव से. जैसे छपरा सिवान में चौर की समस्या बहुत बड़ी समस्या है. दूसरी ओर प्रशांत किशोर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से लोगों से यह भी अपील किया कि उनकी बातों को लोग भरोसा ना करें उनके किए जा रहे काम पर भरोसा करें. उनके पदयात्रा के मायने हो सकते हैं लेकिन वह घर परिवार छोड़कर पैदल चल रहे हैं यह सही है. प्रशांत किशोर का मानना है कि जाति धर्म के राजनीति से चेतना जरूर दब गई है, लेकिन लोग प्रबुद्ध चीजों को समझेंगे.

"बिहार में सिर्फ 4 से 5% किसान ही ऐसे हैं जिनके लिए खेती आमदनी का जरिया है. बाकी लोग खेती पेट भरने के लिए कर रहे हैं या फिर क्षेत्रों में मजदूर हैं पहली समस्या है भूमि सुधार का लागू ना होना दूसरी समस्या है जल प्रबंधन को लेकर बिहार में आधे से ज्यादा जो जमीन है वह बाढ़ प्रभावित है. हर जिले में कुछ प्रखंड कुछ ब्लॉक ऐसे हैं जहां बाढ़ की समस्या है जो आधी जमीन बची हुई है उसमें करीब करीब 30 से 35% जमीन सूखे से प्रभावित है या जलजमाव से. जैसे छपरा सिवान में चौर की समस्या बहुत बड़ी समस्या है"- प्रशांत किशोर, राजनीतिक विशेषज्ञ

जन सुराज के संयोजक प्रशांत किशोर

वैशालीः हाजीपुर के दिघी लाल पोखर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन कर प्रशांत किशोर ने मीडिया से अपनी बातों को साझा किया. उन्होंने बिहार में किसानों की समस्या पर जोर देते हुए कहा कि अभी तक जो मेरे समझ मे आई है बात की बिहार में किसानों की जो बदहाली है उसके तीन प्रमुख कारण है. पहला कारण है भूमि सुधार का ना होना बिहार में पिछले 75 सालों में भूमि सुधार के दिशा में कोई काम नहीं हुआ है, उसकी वजह से बिहार में 60% लोग ऐसे हैं जिनके पास जमीन है ही नहीं.

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बिहार में 60% लोग भूमिहीन: पीके ने दावा किया कि देश के स्तर पर 38% भूमिहीन है जबकि बिहार में 60% लोग भूमिहीन है और जो 40% लोगों के पास जमीन है और उनका लैंडहोल्डिंग देखिएगा तो पता चलेगा कि उसमें 90% यानी करीब करीब 35% से ज्यादा ऐसे लोग हैं जिनके पास 2 बीघे से भी कम जमीन है. ज्यादातर लोग समाज में या तो खेती अपने बाल बच्चों के पेट भरने के लिए खाने वाली खेती कर रहे हैं. आप खेत में वही पैदा कर पाते हैं जिससे आपके बाल बच्चों का पेट भर जाए वह कमाने का जरिया नहीं है. प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि आंकड़े बताते हैं कि बिहार में सिर्फ चार से 5% किसान ही ऐसे हैं जिनके लिए खेती आमदनी का जरिया है, बाकी लोग खेती पेट भरने के लिए कर रहे हैं या फिर क्षेत्रों में मजदूर हैं.

30 से 35% जमीन सूखे से प्रभावित: उन्होंने समस्या को गिनाते हुए कहा कि पहली समस्या है भूमि सुधार का लागू ना होना, दूसरी समस्या है जल प्रबंधन को लेकर बिहार में आधे से ज्यादा जो जमीन है वह बाढ़ प्रभावित है. हर जिले में कुछ प्रखंड कुछ ब्लॉक ऐसे हैं जहां बाढ़ की समस्या है जो आधी जमीन बची हुई है, उसमें करीब करीब 30 से 35% जमीन सूखे से प्रभावित है या जलजमाव से. जैसे छपरा सिवान में चौर की समस्या बहुत बड़ी समस्या है. दूसरी ओर प्रशांत किशोर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से लोगों से यह भी अपील किया कि उनकी बातों को लोग भरोसा ना करें उनके किए जा रहे काम पर भरोसा करें. उनके पदयात्रा के मायने हो सकते हैं लेकिन वह घर परिवार छोड़कर पैदल चल रहे हैं यह सही है. प्रशांत किशोर का मानना है कि जाति धर्म के राजनीति से चेतना जरूर दब गई है, लेकिन लोग प्रबुद्ध चीजों को समझेंगे.

"बिहार में सिर्फ 4 से 5% किसान ही ऐसे हैं जिनके लिए खेती आमदनी का जरिया है. बाकी लोग खेती पेट भरने के लिए कर रहे हैं या फिर क्षेत्रों में मजदूर हैं पहली समस्या है भूमि सुधार का लागू ना होना दूसरी समस्या है जल प्रबंधन को लेकर बिहार में आधे से ज्यादा जो जमीन है वह बाढ़ प्रभावित है. हर जिले में कुछ प्रखंड कुछ ब्लॉक ऐसे हैं जहां बाढ़ की समस्या है जो आधी जमीन बची हुई है उसमें करीब करीब 30 से 35% जमीन सूखे से प्रभावित है या जलजमाव से. जैसे छपरा सिवान में चौर की समस्या बहुत बड़ी समस्या है"- प्रशांत किशोर, राजनीतिक विशेषज्ञ

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