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सोनपुर मेला में लोकगीत झूमर की प्रस्तुति ने बांधा समां, लोगों ने जमकर उठाया लुत्फ

सोनपुर मेला के सरकारी पंडाल में पारंपरिक लोकगीत झूमर की गूंज (Presentation of jhoomar folk song at Sonepur mela) ने लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया. कलाकारों ने झूमर को नृत्य के साथ प्रस्तुत किया. लोगों ने जमकर परंपरागत झूमर का लुत्फ उठाया. साथ ही इस मंच से मेले में बिछड़ों को मिलाने के लिए उद्घोषणा भी की गई. पढ़ें पूरी खबर..

सोनपुर मेला में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन
सोनपुर मेला में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन
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Published : Nov 16, 2022, 8:18 AM IST

सोनपुर: बिहार के सोनपुर मेले में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में झूमर लोकगीत (Presentation of jhoomar folk song at Sonepur mela)की धूम मची रही. कलाकारों ने झूमर की नृत्य के साथ प्रस्तुति दी. सरकारी पंडाल में पारंपरिक झूमर की गूंज से रात भर समां बंधा रहा. इस दौरान मंच से मेले में बिछड़े लोगों को मिलाने के लिए उद्घोषणाएं भी होती रही.

ये भी पढ़ेंः Sonpur Mela : इसी स्थान पर मौजूद हैं भगवान विष्णु और शंकर, जानें हरिहर क्षेत्र मेले की कहानी

चुटीले अंदाज में गीत से शिकायत का इजहार: वैसे तो लोकगीत में हर मौसम, हर व्यवस्था और हर परिस्थिति के लिए गीत संगीत की परंपरा है. लेकिन खासतौर से खुशियों के चुटीले अंदाज में शिकायत के साथ इजहार के लिए लोक संगीत में झूमर की अपनी विशेषता रहे रही है. इसमें हल्के-फुल्के अंदाज में इस तरह शिकायत की जाती है कि शिकायत सुनने वाले को भी मजा आता है. कुछ इसी तरह के झूमर लोकगीत की प्रस्तुति विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेला के जनसंपर्क व पर्यटक पंडाल के माध्यम से लोगों तक पहुंचाया गया.

बालम एगो कंबल मंगा द हो.. पर झूमे दर्शकः झूमर गीत के बोल "कटे ला हमरो राजाइया बालम एगो कंबल मंगा द हो' का लोगों ने खूब आनंद उठाया. इसके बाद जनता की जोरदार डिमांड के कारण एक बार फिर जट जाटीनियां लोग गीत की की प्रस्तुति मंच से की गई. इसे भाव भंगिमा भरे नृत्य के साथ काफी खूबसूरती से प्रस्तुत किया गया था. एक महीने तक चलने वाले सोनपुर मेले में लगातार बिहार सरकार की ओर से रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. इसमें खासतौर से लोक गीत और लोक कलाकारों को तवज्जो दिया जाता है. इसे दूर-दराज मेला घूमने आए लोग भी बेहद पसंद करते हैं.

मेले में बिछड़े लोगों को मिलाया जा रहा हैः मेले में ज्यादा भीड़ होने के कारण अक्सर लोग एक दूसरे से बिछड़ जाते हैं. वही छोटे बच्चे गुम हो जाते हैं जिसकी सूचना जनसंपर्क व पर्यटक विभाग के पंडालों में पहुंचता है और इनके प्रयास बिछड़े हुए आपस में मिल जाते हैं. इस विषय पर मंच से घोषणा कर रहे उद्घोषक कौशल परवेज खान ने बताया कि देखिए मेला पर्यटन का जगह है. यहां बहुत सारे लोग बड़ी तादाद में जमा होते हैं. ऐसे में मेरा प्रयास होता है कि परिवार से बिछड़े हुए बच्चों को मिला दूं. ऐसे ही जब कोई बात मेरे कानों तक आती है तो मैं सोचता हूं पर्यटन विभाग का इतना बड़ा मंच है. चारों तरफ आवाज जा रही है तो मैं इसकी घोषणा कर देता हूं बच्चा मिल जाता है तो मैं भगवान का शुक्रिया अदा करता हूं कि, हां मिल गया. मुझे बहुत अच्छा लगा कि मीडिया भी इसको कवर करती हैं.


"देखिए मेला में बहुत सारे लोग बड़ी तादाद में जमा होते हैं. ऐसे में मेरा प्रयास होती है कि परिवार से बिछड़े हुए बच्चों को मिला दूं. ऐसे ही जब कोई बात मेरे कानों तक आती है तो मैं सोचता हूं पर्यटन विभाग का इतना बड़ा मंच है चारों तरफ आवाज जा रही हैं तो मैं इसकी घोषणा कर देता हूं. बच्चा मिल जाता है तो मैं भगवान का शुक्रिया अदा करता हूं कि हां मिल गया. मुझे बहुत अच्छा लगा कि मीडिया भी इसे कवर करती है. इसके लिए बहुत-बहुत आभार बहुत बधाई" - कौशल परवेज खान, उद्घोषक सोनपुर मेला

सोनपुर: बिहार के सोनपुर मेले में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में झूमर लोकगीत (Presentation of jhoomar folk song at Sonepur mela)की धूम मची रही. कलाकारों ने झूमर की नृत्य के साथ प्रस्तुति दी. सरकारी पंडाल में पारंपरिक झूमर की गूंज से रात भर समां बंधा रहा. इस दौरान मंच से मेले में बिछड़े लोगों को मिलाने के लिए उद्घोषणाएं भी होती रही.

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चुटीले अंदाज में गीत से शिकायत का इजहार: वैसे तो लोकगीत में हर मौसम, हर व्यवस्था और हर परिस्थिति के लिए गीत संगीत की परंपरा है. लेकिन खासतौर से खुशियों के चुटीले अंदाज में शिकायत के साथ इजहार के लिए लोक संगीत में झूमर की अपनी विशेषता रहे रही है. इसमें हल्के-फुल्के अंदाज में इस तरह शिकायत की जाती है कि शिकायत सुनने वाले को भी मजा आता है. कुछ इसी तरह के झूमर लोकगीत की प्रस्तुति विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेला के जनसंपर्क व पर्यटक पंडाल के माध्यम से लोगों तक पहुंचाया गया.

बालम एगो कंबल मंगा द हो.. पर झूमे दर्शकः झूमर गीत के बोल "कटे ला हमरो राजाइया बालम एगो कंबल मंगा द हो' का लोगों ने खूब आनंद उठाया. इसके बाद जनता की जोरदार डिमांड के कारण एक बार फिर जट जाटीनियां लोग गीत की की प्रस्तुति मंच से की गई. इसे भाव भंगिमा भरे नृत्य के साथ काफी खूबसूरती से प्रस्तुत किया गया था. एक महीने तक चलने वाले सोनपुर मेले में लगातार बिहार सरकार की ओर से रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. इसमें खासतौर से लोक गीत और लोक कलाकारों को तवज्जो दिया जाता है. इसे दूर-दराज मेला घूमने आए लोग भी बेहद पसंद करते हैं.

मेले में बिछड़े लोगों को मिलाया जा रहा हैः मेले में ज्यादा भीड़ होने के कारण अक्सर लोग एक दूसरे से बिछड़ जाते हैं. वही छोटे बच्चे गुम हो जाते हैं जिसकी सूचना जनसंपर्क व पर्यटक विभाग के पंडालों में पहुंचता है और इनके प्रयास बिछड़े हुए आपस में मिल जाते हैं. इस विषय पर मंच से घोषणा कर रहे उद्घोषक कौशल परवेज खान ने बताया कि देखिए मेला पर्यटन का जगह है. यहां बहुत सारे लोग बड़ी तादाद में जमा होते हैं. ऐसे में मेरा प्रयास होता है कि परिवार से बिछड़े हुए बच्चों को मिला दूं. ऐसे ही जब कोई बात मेरे कानों तक आती है तो मैं सोचता हूं पर्यटन विभाग का इतना बड़ा मंच है. चारों तरफ आवाज जा रही है तो मैं इसकी घोषणा कर देता हूं बच्चा मिल जाता है तो मैं भगवान का शुक्रिया अदा करता हूं कि, हां मिल गया. मुझे बहुत अच्छा लगा कि मीडिया भी इसको कवर करती हैं.


"देखिए मेला में बहुत सारे लोग बड़ी तादाद में जमा होते हैं. ऐसे में मेरा प्रयास होती है कि परिवार से बिछड़े हुए बच्चों को मिला दूं. ऐसे ही जब कोई बात मेरे कानों तक आती है तो मैं सोचता हूं पर्यटन विभाग का इतना बड़ा मंच है चारों तरफ आवाज जा रही हैं तो मैं इसकी घोषणा कर देता हूं. बच्चा मिल जाता है तो मैं भगवान का शुक्रिया अदा करता हूं कि हां मिल गया. मुझे बहुत अच्छा लगा कि मीडिया भी इसे कवर करती है. इसके लिए बहुत-बहुत आभार बहुत बधाई" - कौशल परवेज खान, उद्घोषक सोनपुर मेला

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