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वैशाली के शख्स ने कोरोना की आपदा को अवसर में बदला, हैंड मेड जूतों की दुकान खोल बना आत्मिनर्भर

वैशाली में आपदा में अवसर की मिसाल (Opportunity in disaster in Vaishali) पेश करते हुए एक शख्स ने लॉकडाउन में बड़े जूते की कंपनी में काम छोड़कर गांव में ही हैंड मेड जूतों की दुकान खोल ली. ओरिजिनल चमड़े के बेहद सस्ते जूते पाकर लोग तारीफ करते नहीं थक रहे हैं. ये जूते बेहद सस्ते हैं, जो महज 600 रुपए में मिल जाते हैं. पढ़ें रिपोर्ट..

वैशाली में हैंड मेड जूतों की दुकान
वैशाली में हैंड मेड जूतों की दुकान
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Published : Jan 16, 2022, 8:01 AM IST

वैशाली: वैशाली जिले के गदाई सराय में एक व्यक्ति के बनाए हैंडमेड जूतों की काफी तारीफ हो रही है. महज 600 रुपए में प्योर चमड़े के जूते मिलने से स्थानीय लोग काफी खुश हैं. गदाई सराय का रहने वाला सुजीत राम ने हैंडमेड डिजाइनर जूते बनाने की कला सिलीगुड़ी से सीखी है. जिन्होंने लॉकडाउन में बड़े जूते की कंपनी में काम छोड़कर वैशाली में हैंड मेड जूतों की दुकान (Hand Made Shoes Shop in Vaishali) खोल ली.

ये भी पढ़ें- Corona Effect: बक्सर में मुरझाए किसानों के चेहरे, कहा- 'अगर लॉकडाउन लगा तो भुखमरी की कगार पर आ जाएगा परिवार'

सुजीत राम ने बताया कि सिलीगुड़ी में सबसे पहले उन्होंने जूते और सैंडल बनाना सीखा था. इसके बाद कई सालों तक सिलीगुड़ी के एक फेमस जूते की कंपनी में काम भी करता रहा. इस दौरान वह पूरी तरह जूते बनाने में पारंगत हो गया था. दो साल पहले सुजीत लॉकडाउन में घर आया था. इसके बाद उसने अपने गांव गदाई सराए में ही अपनी दुकान खोल ली. बेहद कम पूंजी होने के बावजूद स्थानीय लोगों ने उसकी मदद की और वो अब हैंडमेड जूते चप्पल की दुकान चला रहा है. जिसकी धीरे-धीरे लोकप्रियता बढ़ने लगी है. स्थानीय लोगों के अलावा दूरदराज से भी लोग यहां हैंड मेड जूते खरीदने आते हैं.

वैशाली में आपदा में अवसर की मिसाल

सुजीत का कहना है कि वो सिलीगुड़ी से जूते बनाने का हुनर सीखकर आए हैं और पटना से जूते बनाने का सामान खरीदकर लाते हैं. इसके बाद 1 से 2 घंटे में ग्राहक के पसंद के अनुसार जूते बना देते हैं, जिसकी कीमत 600 के करीब होती है. शुरुआती दिनों में स्ट्रगल के बाद अब उनकी दुकानदारी धीरे-धीरे चलने लगी है. 1 दिन में तीन जुड़े के करीब उनके बने जूते बिक रहे हैं, जिससे उनको अच्छी आमदनी हो जाती है.

ये भी पढ़ें- मकर संक्रांति पर बाबा हरिहर नाथ मंदिर में हुई विशेष पूजा, भक्तों ने किया ऑनलाइन दर्शन

वहीं, एक स्थानीय उमाशंकर भगत ने कहा कि वह एक जोड़ा जूता पहले बनवा कर ले गए थे और दूसरे जोड़े के लिए आर्डर कर दिया है. उनका कहना है कि बड़े-बड़े दुकानों में चमड़े के प्योरिटी की गारंटी नहीं होती है. अक्सर रेक्सीन का जूता दे दिया जाता है और कीमत भी ज्यादा लगती है. जबकि सुजीत राम के पास प्योर चमड़े के जूते बेहद सस्ते गारंटी के साथ में मिल जाते हैं. जिनकी कीमत 600 रुपए होती है. यही कारण है कि अब लोग सुजीत राम से जूते बनवाने लगे हैं.

कहते हैं कि भगवान भी उसी की मदद करता है. जो अपनी मदद खुद करना चाहे. कुछ ऐसा ही सुजीत राम के साथ भी हुआ है. लॉकडाउन में जहां कई लोग बेरोजगार होकर अभी भी परेशानियों को झेल रहे हैं. वहीं, सुजीत राम जैसे कुछ लोग हैं जो अपनी काबिलियत के दम पर जहां है वहीं अपनी मंजिल को हासिल करने में लगे हुए हैं.

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वैशाली: वैशाली जिले के गदाई सराय में एक व्यक्ति के बनाए हैंडमेड जूतों की काफी तारीफ हो रही है. महज 600 रुपए में प्योर चमड़े के जूते मिलने से स्थानीय लोग काफी खुश हैं. गदाई सराय का रहने वाला सुजीत राम ने हैंडमेड डिजाइनर जूते बनाने की कला सिलीगुड़ी से सीखी है. जिन्होंने लॉकडाउन में बड़े जूते की कंपनी में काम छोड़कर वैशाली में हैंड मेड जूतों की दुकान (Hand Made Shoes Shop in Vaishali) खोल ली.

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सुजीत राम ने बताया कि सिलीगुड़ी में सबसे पहले उन्होंने जूते और सैंडल बनाना सीखा था. इसके बाद कई सालों तक सिलीगुड़ी के एक फेमस जूते की कंपनी में काम भी करता रहा. इस दौरान वह पूरी तरह जूते बनाने में पारंगत हो गया था. दो साल पहले सुजीत लॉकडाउन में घर आया था. इसके बाद उसने अपने गांव गदाई सराए में ही अपनी दुकान खोल ली. बेहद कम पूंजी होने के बावजूद स्थानीय लोगों ने उसकी मदद की और वो अब हैंडमेड जूते चप्पल की दुकान चला रहा है. जिसकी धीरे-धीरे लोकप्रियता बढ़ने लगी है. स्थानीय लोगों के अलावा दूरदराज से भी लोग यहां हैंड मेड जूते खरीदने आते हैं.

वैशाली में आपदा में अवसर की मिसाल

सुजीत का कहना है कि वो सिलीगुड़ी से जूते बनाने का हुनर सीखकर आए हैं और पटना से जूते बनाने का सामान खरीदकर लाते हैं. इसके बाद 1 से 2 घंटे में ग्राहक के पसंद के अनुसार जूते बना देते हैं, जिसकी कीमत 600 के करीब होती है. शुरुआती दिनों में स्ट्रगल के बाद अब उनकी दुकानदारी धीरे-धीरे चलने लगी है. 1 दिन में तीन जुड़े के करीब उनके बने जूते बिक रहे हैं, जिससे उनको अच्छी आमदनी हो जाती है.

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वहीं, एक स्थानीय उमाशंकर भगत ने कहा कि वह एक जोड़ा जूता पहले बनवा कर ले गए थे और दूसरे जोड़े के लिए आर्डर कर दिया है. उनका कहना है कि बड़े-बड़े दुकानों में चमड़े के प्योरिटी की गारंटी नहीं होती है. अक्सर रेक्सीन का जूता दे दिया जाता है और कीमत भी ज्यादा लगती है. जबकि सुजीत राम के पास प्योर चमड़े के जूते बेहद सस्ते गारंटी के साथ में मिल जाते हैं. जिनकी कीमत 600 रुपए होती है. यही कारण है कि अब लोग सुजीत राम से जूते बनवाने लगे हैं.

कहते हैं कि भगवान भी उसी की मदद करता है. जो अपनी मदद खुद करना चाहे. कुछ ऐसा ही सुजीत राम के साथ भी हुआ है. लॉकडाउन में जहां कई लोग बेरोजगार होकर अभी भी परेशानियों को झेल रहे हैं. वहीं, सुजीत राम जैसे कुछ लोग हैं जो अपनी काबिलियत के दम पर जहां है वहीं अपनी मंजिल को हासिल करने में लगे हुए हैं.

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