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गंगा नदी में छोड़े जाएंगे ट्रेनों से बरामद 300 दुर्लभ कछुए

सोनपुर में एक ही दिन में दो अलग-अलग ट्रेनों से 300 से भी ज्यादा कछुए की बरामदगी हुई. शनिवार को कछुओं की जांच करने डीएफओ रुचि सिंह सोनपुर पहुंची. उन्होंने कहा कि ये शेड्यूल वन में शामिल कछुए हैं. बंगाल में बेचे जाते हैं.

कछुआ
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Published : Nov 13, 2021, 3:57 PM IST

वैशालीः सोनपुर (Sonpur) में बड़े पैमाने पर ट्रेनों से कछुओं की बरामदगी के बाद पटना डीएफओ रुचि सिंह (DFO Ruchi Singh) सोनपुर पहुंची. उन्होंने बताया कि पकड़े गए कछुआ (Turtle Smuggling) की प्रजाति दुर्लभ है. ये कछुए शेड्यूल वन प्रजाति के कछुए हैं. इनकी प्रजाति इंडियन फ्लैक्सिबल टर्टल और निल्सोनिया गैंजेटिका हैं. पकड़े गए कछुए की तस्करी मीट के लिए की जाती है. इन्हें उत्तर प्रदेश के गंगा किनारे से पकड़ कर पश्चिम बंगाल की मंडियों में बेचा जाता है. खासकर यह सीजन कछुओं की तस्करी के लिए जाना जाता है. जानकारी दें कि एक ही दिन में दो-दो ट्रेनों से 300 से भी ज्यादा कछुए की बरामदगी हुई है.

यह भी पढ़ें- भागलपुर में खुला बिहार का पहला टर्टल रेस्क्यू सेंटर, विलुप्त हो रही प्रजाति हो रही संरक्षित

डीएफओ रुचि सिंह ने बताया कि इस सीजन में ट्रेनों बसों एवं अन्य माध्यमों से कछुओं की धड़ल्ले से तस्करी होती है. यही कारण है कि एक ही दिन में दो अलग-अलग स्टेशनों पर अलग-अलग ट्रेनों से 300 से भी ज्यादा की संख्या में कछुओं की बरामदगी की गई है.

देखें वीडियो

कछुओं की जांच करने पटना डीएफओ पहुंची थी. उन्होंने बोरों में बंद कछुओं को बाहर निकालकर जांच पड़ताल किया. साथ ही कर्मचारियों को उनकी अविलंब इलाज कराने का निर्देश दिया. पकड़े गए कछुए में एक बड़े साइज का कछुआ भी शामिल है. जिसके पैर को बांध कर रखा गया था. उसके शरीर पर धारदार हथियार से किए गए प्रहार के कई जख्म भी मौजूद हैं.

'इन कछुओं की स्मगलिंग मीट के लिए की जाती है. इन्हें उत्तर प्रदेश के गंगा किनारे क्षेत्र से पकड़कर बंगाल भेजा जाता है. कछुओं की जांच की गई है. पीएसएल यूनियन के कछुए हैं. इनकी प्रजाति इंडियन फ्लैक्सिबल टर्टल और निल्सोनिया गैंजेटिका है, जो कि दुर्लभ प्रजाति है.' -रुचि सिंह, डीएफओ

बता दें कि शेड्यूल वन में शामिल दुर्लभ प्रजाति के कछुओं को एक साथ एक ही दिन दो-दो ट्रेनों से बरामद किया जाना निश्चित तौर पर चिंता का विषय है. साथ में इस मामले में काम कर रहे विभाग के लापरवाही को भी दर्शाता है. बहुत हद तक यह भी संभावना है कि कई ट्रेनों से भारी मात्रा में कछुओं की तस्करी की जा चुकी होगी. आने वाले दिनों में भी तस्करी होने की संभावना है. ऐसे में फॉरेस्ट विभाग, रेल पुलिस और राज्य पुलिस को भी बेहद सतर्कता से चौकसी बरतनी होगी. जिससे शेड्यूल वन में शामिल प्राणियों की रक्षा हो सके.

यह भी पढ़ें- भागलपुर: तस्करों के चंगुल से छुड़ाकर लाए गए कछुओं का रेस्क्यू सेंटर में चल रहा इलाज

वैशालीः सोनपुर (Sonpur) में बड़े पैमाने पर ट्रेनों से कछुओं की बरामदगी के बाद पटना डीएफओ रुचि सिंह (DFO Ruchi Singh) सोनपुर पहुंची. उन्होंने बताया कि पकड़े गए कछुआ (Turtle Smuggling) की प्रजाति दुर्लभ है. ये कछुए शेड्यूल वन प्रजाति के कछुए हैं. इनकी प्रजाति इंडियन फ्लैक्सिबल टर्टल और निल्सोनिया गैंजेटिका हैं. पकड़े गए कछुए की तस्करी मीट के लिए की जाती है. इन्हें उत्तर प्रदेश के गंगा किनारे से पकड़ कर पश्चिम बंगाल की मंडियों में बेचा जाता है. खासकर यह सीजन कछुओं की तस्करी के लिए जाना जाता है. जानकारी दें कि एक ही दिन में दो-दो ट्रेनों से 300 से भी ज्यादा कछुए की बरामदगी हुई है.

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डीएफओ रुचि सिंह ने बताया कि इस सीजन में ट्रेनों बसों एवं अन्य माध्यमों से कछुओं की धड़ल्ले से तस्करी होती है. यही कारण है कि एक ही दिन में दो अलग-अलग स्टेशनों पर अलग-अलग ट्रेनों से 300 से भी ज्यादा की संख्या में कछुओं की बरामदगी की गई है.

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कछुओं की जांच करने पटना डीएफओ पहुंची थी. उन्होंने बोरों में बंद कछुओं को बाहर निकालकर जांच पड़ताल किया. साथ ही कर्मचारियों को उनकी अविलंब इलाज कराने का निर्देश दिया. पकड़े गए कछुए में एक बड़े साइज का कछुआ भी शामिल है. जिसके पैर को बांध कर रखा गया था. उसके शरीर पर धारदार हथियार से किए गए प्रहार के कई जख्म भी मौजूद हैं.

'इन कछुओं की स्मगलिंग मीट के लिए की जाती है. इन्हें उत्तर प्रदेश के गंगा किनारे क्षेत्र से पकड़कर बंगाल भेजा जाता है. कछुओं की जांच की गई है. पीएसएल यूनियन के कछुए हैं. इनकी प्रजाति इंडियन फ्लैक्सिबल टर्टल और निल्सोनिया गैंजेटिका है, जो कि दुर्लभ प्रजाति है.' -रुचि सिंह, डीएफओ

बता दें कि शेड्यूल वन में शामिल दुर्लभ प्रजाति के कछुओं को एक साथ एक ही दिन दो-दो ट्रेनों से बरामद किया जाना निश्चित तौर पर चिंता का विषय है. साथ में इस मामले में काम कर रहे विभाग के लापरवाही को भी दर्शाता है. बहुत हद तक यह भी संभावना है कि कई ट्रेनों से भारी मात्रा में कछुओं की तस्करी की जा चुकी होगी. आने वाले दिनों में भी तस्करी होने की संभावना है. ऐसे में फॉरेस्ट विभाग, रेल पुलिस और राज्य पुलिस को भी बेहद सतर्कता से चौकसी बरतनी होगी. जिससे शेड्यूल वन में शामिल प्राणियों की रक्षा हो सके.

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