वैशाली: जिले के महुआ अनुमंडल में बाकरपुर पंचायत में सरकारी बदइंतजामी का अजीबोगरीब नजारा देखने को मिल रहा है. कोरोना महामारी के संकटकाल में इस इलाके का एकमात्र सरकारी अस्पताल यानी अतिरिक्त प्राथमिक उपचार केंद्र चकसिकंदर में ताला लटका पड़ा है. इस अस्पताल में न तो डॉक्टर के दर्शन होते हैं और ना ही इस अस्पताल में तैनात स्वास्थ्य कर्मी का कोई अता पता है, जिसका नतीजा है कि अस्पताल आने वाले मरीजों का इलाज पीपल के पेड़ के नीचे झोलाछाप डॉक्टर कर रहे हैं.
ये भी पढ़ें- बिहार में Black Fungus के बाद अब 'White Fungus' ने बढ़ाई टेंशन, जानिए शरीर पर कैसे करता है अटैक
कोरोना काल में अस्पताल में ताला
डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों के नदारद रहने के कारण ग्रामीणों को मजबूरन झोलाछाप डॉक्टरों का सहारा लेना पड़ रहा है. मरीजों को पीपल के पेड़ के नीचे इलाज करवाना पड़ रहा है. ईटीवी के कैमरे को देख झोलाछाप डॉक्टर भी मौके से भाग खड़े हुए. अस्पताल में तालाबंदी की वजह से बीमार मरीजों को पीपल के पेड़ का ही सहारा है.
झोलाछाप डॉक्टर कर रहे इलाज
लोगों का यह भी कहना है कि पीपल ऑक्सीजन का एक अच्छा स्रोत माना जाता है. इस कारण अस्पताल के पास पीपल के पेड़ के नीचे मरीजों का इलाज किया जा रहा है. लोगों को उम्मीद है कि सरकार भले ही संवेदनहीनता पर उतर आई हो, लेकिन ये पीपल का पेड़ जो ऑक्सीजन का स्रोत है उन्हें बचाएगा और इस तरह यहां सब कुछ भगवान भरोसे दिख रहा है. कोरोना महामारी के दौर में लोगों को लग रहा है कि अब भगवान का ही भरोसा है.
लोगों ने सरकार से छोड़ी उम्मीद
यहां के लोग सरकारी उम्मीद को छोड़ चुके हैं. ग्रामीणों का यहां तक दावा है कि बीते 1 महीने में सरकारी अनदेखी के कारण तकरीबन 40 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, लेकिन अभी भी प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है. हैरानी की बात ये है कि इन मरीजों की सही तरीके से जांच की भी सुविधा नहीं है, जिसके चलते झोलाछाप डॉक्टर अंदाजे से ही पीपल के पेड़ के नीचे जंगल झाड़ में खाट पर लिटाकर मरीजों का इलाज कर रहे हैं.
ये भी पढ़ें- देख लीजिए मंगल पांडेय जी... भगवान भरोसे है आपके जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था
सरकार की बेरुखी से ग्रामीणों में गुस्सा
स्वास्थ्य विभाग की बदइंतजामी से लोगों में भारी गुस्सा है. सरकारी बेरुखी से परेशान यहां के ग्रामीण अस्पताल के इसी पीपल के पेड़ के नीचे अपना दिन गुजारने को मजबूर है. पीपल के पेड़ के नीचे कुछ ग्रामीण ताश खेलते नजर आए.
''पीपल का पेड़ ऑक्सीजन का अच्छा स्रोत माना जाता है, इसलिए हम लोग यहां बैठकर अपना दिन गुजारते हैं. ये अस्पताल हमेशा बंद रहता है. यहां न तो डॉक्टर रहते हैं और ना दवा मिलती है. ऐसे में कोरोना महामारी काल में हम सभी ग्रामीण पीपल के पेड़ के नीचे ही शरण लिए हुए हैं, ताकि अपने आप को कोरोना महामारी के खतरे से बचा सके.''- राजकुमार राय, स्थानीय
''पंचायत में 1 महीने में तकरीबन 40 लोग से अधिक लोगों की मौत हुई है, लेकिन प्रशासन की ओर से इसकी सुध नहीं ली जा रही है. राजापाकर बिदुपुर और महनार प्रखंड के हजारों लोगों के लिए 97 साल पहले बने इस अस्पताल से बड़ी आबादी को लाभ मिलता था. लेकिन कोरोना महामारी के संकट काल में इस अस्पताल में तालाबंदी की गई है, जिससे मरीजों को परेशानियों का समना करना पड़ रहा है. सरकार की ओर से इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है.''- राजीव राय, स्थानीय मुखिया पति
जिले में अब तक कई लोगों की मौत
अगर इस इलाके में अस्पताल खुला होता और जांच की व्यवस्था होती तो शायद लोगों का जीवन बचाया जा सकता था. साथ ही ये भी पता लगाया जा सकता था कि आखिर जिन लोगों की मौतें हुई हैं, उसकी वजह क्या है.
ये भी पढ़ें- फतुहा में पुनपुन पर बना अंग्रेजों के जमाने का पुल टूटा, गोविंदपुर और सम्मसपुर का कटा संपर्क
बदइंतजामी पर सवालिया निशान
यहां की तस्वीर से साफ है कि यदि किसी की जांच ही नहीं होगी, तो ये कैसे पता चलेगा कि मरने वाले कोरोना संक्रमित होकर मौत की नींद सो गए. सरकार जो दावे कर रही है कि कोरोना महामारी की चेन को तोड़ने के लिए तमाम कोशिशें की जा रही है, लेकिन इस इलाके में लोगों की इतनी बड़ी संख्या में मौतों से सरकार की बदइंतजामी पर सवालिया निशान लगा दिए हैं.
ये भी पढ़ें- शर्मनाक: बगहा में कचरा उठाने वाले ठेले पर मरीज को लेकर अस्पताल पहुंचे परिजन
ये भी पढ़ें- सिवानः एंबुलेंस नहीं मिलने पर बेटे ने ठेला से बीमार पिता को पहुंचाया अस्पताल
ये भी पढ़ें- तेजस्वी ने नीतीश सरकार को फिर घेरा, कहा- सरकार ना काम कर रही हैं, न करने दे रही हैं
ये भी पढ़ें- देशभर में मील का पत्थर साबित होगा बिहार का 'हिट कोविड एप': जीवेश कुमार