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वैशाली: छठ महापर्व में क्या है खरना का महत्व, आइए जानते हैं - उगते सूर्य को व्रतियों की ओर से अर्घ्य

सोनपुर प्रखण्ड के कालीघाट और पुराना गंडक घाट पर सैकड़ों की संख्या में छठ व्रतियों ने स्नान कर घाटों की पूजा की. साथ ही छठ व्रतियों ने खरना के महत्व को विस्तार से बताया.

जानें खरना का प्रसाद का महत्व
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Published : Nov 1, 2019, 10:04 PM IST

वैशाली: लोक आस्था के महापर्व छठ पर पूरे प्रदेश में छठी मैया की महिमागान और छठ गीत गाए जा रहे हैं. वहीं, सोनपुर प्रखण्ड के कालीघाट और पुराना गंडक घाट पर सैकड़ों की संख्या में छठ व्रतियों ने स्नान कर घाटों की पूजा की. साथ ही छठ व्रतियों ने खरना का महत्व भी विस्तार से बताया.

छठ पर्व में शुक्रवार को खरना मनाया गया. खरना कार्तिक मास की पंचमी को नहाय खाय के बाद आता है. वहीं, खरना को लोहंडा भी कहा जाता है. खरना में व्रती दिनभर व्रत रखकर रात में खीर प्रसाद ग्रहण करते हैं. तो आइए हम आपको खरना के महत्व से परिचित कराते हैं.

वैशाली
खरना प्रसाद बनाती छठ व्रती

खरना का है विशेष महत्व
छठ में खरना का विशेष महत्व है. इस दिन प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रत करने वाला व्यक्ति छठ पूजा पूर्ण होने के बाद ही अन्न-जल ग्रहण करता है. छठ में खरना का अर्थ है शुद्धिकरण. खरना के दिन केवल रात में भोजन करके छठ के लिए तन और मन को व्रती शुद्ध करता है. खरना के बाद व्रती 36 घंटे का व्रत रखकर सप्तमी को सुबह अर्घ्य देता है.

वैशाली
खरना का महत्व बताती छठ व्रती

खरना के दिन बनती है खीर
खरना के दिन गुड़ और साठी चावल के इस्तेमाल से शुद्ध तरीके से खीर बनायी जाती है. इसके अलावा खरना की पूजा में मूली और केला रखकर पूजा की जाती है. इसके अलावा प्रसाद में पूरियां, गुड़ की पूरियां और मिठाइयां रखकर भी भगवान को भोग लगाया जाता है. छठी मइया को भोग लगाने के बाद ही इस प्रसाद को व्रत करने वाला व्यक्ति ग्रहण करता है. खरना के दिन व्रती का यही आहार होता है.

जाने खरना का महत्व

खरना में प्रसाद ग्रहण करने के भी हैं नियम
खरना के दिन व्रत रखने वाला व्यक्ति प्रसाद ग्रहण करता है तो घर के सभी सदस्य शांत रहते हैं. क्योंकि शोर होने के बाद व्रती प्रसाद खाना बंद कर देता है. घर के सभी सदस्य व्रत करने वाले का प्रसाद ग्रहण करने के बाद ही भोजन ग्रहण करते हैं.

वैशाली
छठ व्रती

वहीं, कालीघाट पर सैकड़ों की संख्या में व्रतियों ने खरना का प्रसाद बनाया. इस बीच छठ व्रतियों ने छठ की महिमा के बारे में बताया कि छठ करने वाले की मैया सभी कामनाएं पूर्ण करती हैं. बता दें कि शनिवार को संध्या में पहला अर्घ्य डूबते सूर्य को दिया जाएगा. रविवार को उगते सूर्य को व्रतियों की ओर से अर्घ्य दिया जाएगा. इस तरह चार दिनों का महापर्व संपन्न हो जाएगा.

वैशाली: लोक आस्था के महापर्व छठ पर पूरे प्रदेश में छठी मैया की महिमागान और छठ गीत गाए जा रहे हैं. वहीं, सोनपुर प्रखण्ड के कालीघाट और पुराना गंडक घाट पर सैकड़ों की संख्या में छठ व्रतियों ने स्नान कर घाटों की पूजा की. साथ ही छठ व्रतियों ने खरना का महत्व भी विस्तार से बताया.

छठ पर्व में शुक्रवार को खरना मनाया गया. खरना कार्तिक मास की पंचमी को नहाय खाय के बाद आता है. वहीं, खरना को लोहंडा भी कहा जाता है. खरना में व्रती दिनभर व्रत रखकर रात में खीर प्रसाद ग्रहण करते हैं. तो आइए हम आपको खरना के महत्व से परिचित कराते हैं.

वैशाली
खरना प्रसाद बनाती छठ व्रती

खरना का है विशेष महत्व
छठ में खरना का विशेष महत्व है. इस दिन प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रत करने वाला व्यक्ति छठ पूजा पूर्ण होने के बाद ही अन्न-जल ग्रहण करता है. छठ में खरना का अर्थ है शुद्धिकरण. खरना के दिन केवल रात में भोजन करके छठ के लिए तन और मन को व्रती शुद्ध करता है. खरना के बाद व्रती 36 घंटे का व्रत रखकर सप्तमी को सुबह अर्घ्य देता है.

वैशाली
खरना का महत्व बताती छठ व्रती

खरना के दिन बनती है खीर
खरना के दिन गुड़ और साठी चावल के इस्तेमाल से शुद्ध तरीके से खीर बनायी जाती है. इसके अलावा खरना की पूजा में मूली और केला रखकर पूजा की जाती है. इसके अलावा प्रसाद में पूरियां, गुड़ की पूरियां और मिठाइयां रखकर भी भगवान को भोग लगाया जाता है. छठी मइया को भोग लगाने के बाद ही इस प्रसाद को व्रत करने वाला व्यक्ति ग्रहण करता है. खरना के दिन व्रती का यही आहार होता है.

जाने खरना का महत्व

खरना में प्रसाद ग्रहण करने के भी हैं नियम
खरना के दिन व्रत रखने वाला व्यक्ति प्रसाद ग्रहण करता है तो घर के सभी सदस्य शांत रहते हैं. क्योंकि शोर होने के बाद व्रती प्रसाद खाना बंद कर देता है. घर के सभी सदस्य व्रत करने वाले का प्रसाद ग्रहण करने के बाद ही भोजन ग्रहण करते हैं.

वैशाली
छठ व्रती

वहीं, कालीघाट पर सैकड़ों की संख्या में व्रतियों ने खरना का प्रसाद बनाया. इस बीच छठ व्रतियों ने छठ की महिमा के बारे में बताया कि छठ करने वाले की मैया सभी कामनाएं पूर्ण करती हैं. बता दें कि शनिवार को संध्या में पहला अर्घ्य डूबते सूर्य को दिया जाएगा. रविवार को उगते सूर्य को व्रतियों की ओर से अर्घ्य दिया जाएगा. इस तरह चार दिनों का महापर्व संपन्न हो जाएगा.

Intro:लोकेशन: वैशाली
रिपोर्टर: राजीव कुमार श्रीवास्तव ।

पूरे प्रदेश में लोक आस्था को लेकर बाजारो से लेकर घाटों पर छठी मैया की गीत से गूंज उठा हैं। हरेक जगह छठ मैया की महिमा की चर्चा और गीत गाया जा रहा हैं।
महापर्व छठ का आज दूसरा दिन शुक्रवार को भी बाजारो में जम कर खरीदारी हुई वही व्रतियों द्वारा घाट पर स्नान तब घाट की विधिवत पूजा की गई ।इसके बाद मिट्टी के चूल्हा पर पीतल के बर्तन में चावल, गुण दूध में खीर बनाने के समय छठी मैया की गीत भी गाने की रिवाज हैं। आज खीर रोटी खाकर व्रती 36 घंटे निर्जला व्रत करेंगी ।


Body:सोंनपुर प्रखण्ड के कालीघाट, पुराना गंडक घाट पर सैकड़ों की संख्या में व्रतियों द्वारा स्नान कर फिर घाटों की पूजा की गई ।इस दौरान छठ व्रती गीत भी गायी। व्रतियों ने आज का दिन खरना का महत्व के बारे में विस्तार से बताया ।
वही घाटों की साफ सफाई प्रशासन द्वारा की जा चुकी थी
वही कालीघाट पर प्रदेश के जहानाबाद से दर्जनों की संख्या में व्रतियों द्वारा छठ का दूसरा दिन खरना की प्रसाद बनाये जा रहे थे ।इस बीच छठ व्रतियों द्वारा छठ की महिमा के बारे में बताया कि छठ जो भी करता हैं मैया उसकी सभी कामनाएं पूर्ण करती हैं ।


Conclusion:बहरहाल कल शनिवार को संध्या में पहला अर्ध्य डूबते सूर्य को दिया जाता हैं । रविवार को उगते सूर्य को व्रतियों द्वारा अर्ध्य दिया जाएगा ।इस तरह चार दिनों का यह महापर्व का समाप्त हो जाएगा ।

विजुअल्स
बाइट
गीत
PTC: संवाददाता, राजीव , वैशाली

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