हाजीपुर: दुनिया का सबसे पहला गणतंत्र वैशाली का इतिहास काफी पुराना है. भगवान बुद्ध की ये धरती बौद्ध धर्म की आस्था का केंद्र है. 12 अक्टूबर 1972 को मुजफ्फरपुर से अलग होकर वैशाली स्वतंत्र रूप से जिला बना. ऐतिहासिक महत्त्व के अलावा जिला मुख्यालय हाजीपुर पूर्व-मध्य रेलवे का मुख्यालय भी है.
हाजीपुर संसदीय क्षेत्र में 6 विधानसभा सीट हाजीपुर, लालगंज, महुआ, राजापाकर, राघोपुर और महनार है. इनमें से 3 सीटों पर आरजेडी और 1-1 सीट पर बीजेपी, जेडीयू और एलजेपी का कब्जा है. इस लोकसभा क्षेत्र में 18 लाख 10 हजार 137 मतदाता हैं, जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 9 लाख 74 हजार 987 तो वहीं महिला मतदाताओं की संख्या 8 लाख 35 हजार 79 है.
हाजीपुर से 8 बार सांसद चुने गए हैं पासवान
जिले के दो लोकसभा क्षेत्र में से एक हाजीपुर भारतीय राजनीति में कई मायनों में काफी अहम है. 1977 में इस सीट के अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होने का बाद से रामविलास पासवान अब तक 8 बार यहां से सांसद रह चुके हैं. वो यहां से सिर्फ दो बार चुनाव हारे हैं. 40 साल से इस संसदीय क्षेत्र की नुमाइंदगी करने वाले पासवान ने कभी यहां से रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की थी.
2014 में पासवान ने संजीव कुमार टोनी को हराया
2014 में हुए लोकसभा चुनाव में रामविलास पासवान ने कांग्रेस के संजीव प्रसाद टोनी को हराया था. पासवान को तब 4 लाख 55 हजार 652 वोट मिले थे, तो वहीं, कांग्रेस उम्मीदवार ने 2 लाख 30 हजार 152 वोट हासिल किए थे. सांसद निधि खर्च करने में रामविलास पासवान अव्वल रहे. उन्होंने निर्धारित 25 करोड़ की राशि में 23 करोड़ 81 लाख रुपये क्षेत्र में विकास के काम में खर्च किए.
हाजीपुर की जनता पासवान से नाखुश
हाजीपुर की जनता रामविलास पासवान के काम से नाराज दिख रही है. उनका कहना है कि इस बार उनके सांसद अपने वादों पर खड़े नहीं उतरे.कुछ लोगों ने एक कदम आगे बढ़कर राम विलास पासवान पर बीजेपी के दबाव में आकर दलितों के मुद्दों को दबाने का आरोप लगाया. उनका कहना है कि हमने रिकार्ड बहुमत से उन्हें संसद में पहुंचाया, लेकिन एससी-एसटी और तेरह प्वाइंट रोस्टर को लेकर हम सड़क पर उतरे तो उन्होंने हमारी आवाज को संसद तक में नहीं उठाया.
आदर्श गांव का हाल बदहाल
अन्य आदर्श गांवों की तरह हाजीपुर संसदीय क्षेत्र के आदर्श गांव का हाल भी बदहाल है. रामविलास पासवान ने अकबर मलाही गांव को गोद लिया था. लेकिन ये पंचायत विकास से कोसों दूर है. आलम ये है कि 11 हजार की आबादी वाले इस गांव को सात निश्चय योजना के तहत हर घर नल से जल का शुद्ध पानी भी मयस्सर नहीं है. पांच साल में सांसद यहां बुनियादी सुविधाएं तक मुहैया नहीं करा पाए. इसको लेकर ग्रामीणों में भी खासा आक्रोश है. पासवान ने हाजीपुर प्रखंड के बलवा कुआरी गांव को भी गोद लिया. लेकिन इस गांव में भी अपने विकास के किसी भी वादे को पूरा नहीं कर सके.
पासवान के भाई पशुपति इस बार लड़ रहे हैं चुनाव
हाजीपुर को लोक जनशक्ति पार्टी का गढ़ माना जाता है. इस सीट पर बीजेपी और आरजेडी एक बार भी चुनाव नहीं जीत पाई है. हालांकि इस बार रामविलास पासवान की जगह उनके भाई पशुपति कुमार पारस यहां से चुनावी मैदान में हैं. रामविलास पासवान इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे, उन्होंने तबीयत का हवाला देकर राज्यसभा जाने का फैसला किया है.
महागठबंधन ने शिवचंद्र राम को मैदान में उतारा
इस बार हाजीपुर में दोनों गठबंधन से नए प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं. एनडीए के पशुपति कुमार पारस के मुकाबले महागठबंधन ने आरजेडी के शिवचंद्र राम को उतारा है. शिवचंद्र राम इस बार जीत को लेकर काफी आश्वस्त हैं, उनका कहना है कि पहली बार कोई हाजीपुर का बेटा यहां से चुनाव लड़ रहा है, इसीलिए जनता अपने बेटे को ही आशीर्वाद देगी.
आरजेडी को इतिहास रचे जाने की उम्मीद
दोनों गठबंधन से नए प्रत्याशी होने की वजह से यहां के समीकरण भी बदले हुए हैं. इसीलिए महागठबंधन को विश्वास है कि आरजेडी यहां से जीतकर एक नया इतिहास रचेगी. हालांकि ये वक्त ही बताएगा कि कौन किस पर भारी पड़ेगा और और जनता किसे अपना आशीर्वाद देगी.