वैशालीः बिहार में विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेला (Sonpur Mela In Vaishali) है. यहां बिहार, झारखंड और यूपी के अलावा अन्य प्रदेश से लोग मेला देखने आते हैं. यहां पर मौजूद बाबा हरिहर नाथ मंदिर आस्था का केंद्र है. हर साल कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर बाबा हरिहर नाथ पर जलाभिषेक होता आ रहा है. पर इतिहास में ऐसा पहली हो रहा है कि कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर बाबा हरिहर नाथ पर जलाभिषेक नहीं होगा. ऐसा क्यों हो रहा है? इसके बारे में हरिहरनाथ मंदिर के पांडा प्रदीप कुमार पांडेय बता रहे हैं.
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हरिहर नाथ मंदिर का पट बंद रहेगाः पंडा प्रदीप कुमार पांडेय ने कहा कि इस बार कार्तिक पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण लग रह है. बताया जा रहा है कि चंद्र ग्रहण भारत में शाम 5:10 बजे प्रारंभ होगा. कार्तिक पूर्णिमा को 8 नवंबर के दिन चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है. भारत में इस चंद्र ग्रहण को देखा जा सकेगा. जिसके कारण ग्रहण का सूतक काल मान्य होगा. चंद्र ग्रहण भारत में शाम 5:10 बजे प्रारंभ होगा और शाम 06:19 बजे समाप्त होगा. लेकिन इसका सूत्र 8 घंटे पहले से ही लागू हो जाएगा. इस वजह से हरिहर नाथ मंदिर का पट बंद रहेगा.
'' यह प्रथम बार है कि कार्तिक मेला में चंद्र ग्रहण लगा है. इस कारण मंदिर का पट बंद रहेगा. इसका असर धार्मिक महत्ता के हिसाब से बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ रहा है. इससे बचने का उपाय ओम नमः शिवाय का जाप करें''. प्रदीप कुमार पांडेय, पांडा, हरिहरनाथ मंदिर
चिंतित हैं पुजारी और स्थानीयः चंद्र ग्रहण लगने के कारण मंदिर का पट बंद रहेगा. क्योंकि इस दौरान जलाभिषेक वर्जित होता है. प्रदीप कुमार पांडे व स्थानीय मानवेंद्र सिंह उर्फ सोनू से ने बताया कि चंद्र ग्रहण संध्या काल में लग रहा है. 12 घंटा पूर्व सूतक लग जाता है. इस कारण मंदिर का पट बंद रहेगा. इसका असर धार्मिक महत्ता के हिसाब से बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ रहा है.
इससे बचने का उपायः ओम नमः शिवाय का जाप करें, बाबा हरिहर नाथ की पूजा करें. वही मंदिर के विकास के लिए काम करने वाले मानवेंद्र सिंह ने बताया कि अभी तक तो हमने न ऐसा देखा है न सुना है. हम लोग पंडित जी और धर्म के जानकार लोगों से राय मशवरा कर रहे हैं कि इस ग्रहण से मुक्ति के लिए क्या करें.
सोनपुर मेले पर पड़ेगा असरः स्थानीय लोगों की माने तो पहली बार चंद्र ग्रहण का असर सोनपुर मेले पर पड़ेगा. दरअसल सोनपुर मेले की विधिवत शुरुआत धार्मिक दृष्टिकोण से कार्तिक पूर्णिमा को होती है. कार्तिक पूर्णिमा को दूरदराज से लोग सोनपुर में गंगा और गंडक के संगम स्थल पर स्नान करने आते हैं और स्नान के बाद बाबा हरिहर नाथ मंदिर में स्थापित हरि और हर शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं.
जलाभिषेक करना बेहद खासः मान्यता है कि इस दिन गंगा और गंडक के संगम स्थल पर स्नान कर हरिहर नाथ बाबा पर जलाभिषेक करने का बेहद खास महत्व है. भक्ति, मुक्ति और सांसारिक सुख तीनों की प्राप्ति होती है. गंगा भोलेनाथ को बेहद प्रिय है और गंडक भगवान विष्णु से निकली नदी मानी जाती है. इसीलिए गंडक को नारायणी नदी भी कहते हैं. यह एकमात्र ऐसा नदी है जहां से भगवान विष्णु के स्वरुप शालिग्राम की प्राप्ति होती है.
बड़े-बड़े साधु संत भी आते हैंः बाबा हरिहर नाथ मंदिर में भगवान विष्णु और शिव दोनों का वास होता है. यही कारण है कि कार्तिक पूर्णिमा को संगम स्नान करें और हरिहरनाथ में जलाभिषेक करने आम लोगों के अलावा बड़े-बड़े साधु संत भी आते हैं. लेकिन इस बार चंद्र ग्रहण लगने से इन सभी के जलाभिषेक की इच्छा पूरी नहीं हो पाएगी क्योंकि मंदिर प्रशासन की ओर से मंदिर का पट बंद रहेगा.