वैशालीः महात्मा गांधी सेतु (Inauguration of Mahatma Gandhi Setu) का पूर्वी लेन दुल्हन की तरह सजकर तैयार है. चंद घंटे बाद ही बिहार की ये नई लाइफ लाइन शुरू हो जाएगी और लोगों को जाम की समस्या से भी निजात मिलेगी. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) सहित कई नेताओं की उपस्थित में मंगलवार को गांधी सेतु के पूर्वी लेन का उद्घाटन होने जा रहा है. 1982 में बना ये महात्मा गांधी सेतु अब नए लुक में नजर आएगा. इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री करीब 13,585 करोड़ की लागत वाली 15 अन्य परियोजनाओं का भी उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे.
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1982 में बनकर हुआ था तैयार ः आपको बता दें कि राजधानी को उत्तर बिहार से जोड़ने के लिए 1969 में महात्मा गांधी सेतु की नींव रखी गई जबकि 1972 से सेतु बनाने का काम शुरू हुआ. 1982 में इंदिरा गांधी ने इसकी एक लेन की शुरुआत की. वहीं, 1987 में गांधी सेतु का दूसरा लेन भी शुरू हुआ. पुल के 100 साल चलने का दावा किया गया लेकिन 1991 से ही मरम्मत को लेकर इस पर चर्चा शुरू हो गई. 2014 में केंद्र और राज्य सरकार ने इसकी जीर्णोद्धार करने का फैसला लिया. सुपर स्ट्रक्चर को चेंज कर स्टील का स्ट्रक्चर लगाने का निर्णय लिया गया. जीर्णोद्धार का कार्य 2017 से शुरू हुआ. पुल के ऊपरी भाग को पूरी तरह तोड़कर स्टील का बनाने का निर्णय लिया गया. 24 साल बाद अब यह पुल दोबारा मजबूती के साथ बनकर तैयार है. पहले से ही इस पुल का पश्चिमी लेन चालू था. अब पूर्वी लेन चालू करने की तमाम तैयारी कर ली गई है.
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'ये बहुत महत्वपूर्ण कार्यक्रम है. ये राज्य के लिए बहुत बड़ी चीज है. हर कोई उत्साहित है, काफी समय से लोगों को इसका इंतजार था. लोगों को जो जाम से परेशानी होती थी उससे निजात मिलेगी, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, मुख्यमंत्री और कई बड़े नेता मौजूद रहेंगे. बाई रोड ही सभी लोग यहां पहुंचेगे. इसकी पूरी तैयार हो चुकी है. कार्यक्रम के दौरान प्रशासन भी पूरी तरह से अलर्ट रहेगा'- प्रत्यय अमृत, अपर मुख्य सचिव
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2017 में शुरु हुआ था सुपरस्ट्रक्चर बदलने का कामः महात्मा गांधी सेतु में कुल 47 पाए हैं. 2017 में ही इसके सुपरस्ट्रक्चर बदलने का काम शुरू हुआ था, दोनों लेन को 2019 में ही बदल देना था. लेकिन 3 साल विलंब से दोनों लेन पर आवागमन अब शुरू होगा. जिससे उत्तर बिहार जाना और उत्तर बिहार से राजधानी पटना आना काफी आसान हो जाएगा. बताया जा रहा है कि पूर्व के पुल की अपेक्षा ये काफी हल्का है. महात्मा गांधी सेतु पुल बिहार के हृदय रेखा भी कहा जाता है. क्योंकि बिहार की राजधानी पटना से ये उत्तर बिहार को जोड़ने का काम करता है. साढ़े 5 किलोमीटर से ज्यादा लंबा यह पुल अपने जमाने में एशिया का सबसे लंबा पुल था.
21 सौ करोड़ की लागत से दिया गया नया लुक: बता दें कि 15 जून 2017 से पूर्वी लेन के निर्माण का कार्य शुरू हुआ था. जिसकी अनुमानित लागत 1382.40 करोड़ थी लेकिन बाद में यह बढ़कर लभगभ 21 सौ करोड़ हो गया है. इसके निर्माण में 66360 मीट्रिक टन स्टील, 25 लाख नट वोल्ट के अलावा 460 एलईडी लाइट भी लगाया गया है. कभी एशिया के सबसे बड़े ब्रिज का तमगा हासिल इस सेतु के बन जाने से उत्तर बिहार को बड़ी राहत मिलेगी. सेतु पर दो मीटर का फुटपाथ बनाया गया है. जिस पर साइकिल और पैदल लोग आवाजाही कर सकते है. इसके अलावा पहली बार इस सेतु में यूटिलिटी कॉरिडोर भी बनाया गया है. सेतु के पूर्वी लेन की लम्बाई 5 किलोमीटर 575 मीटर है.
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