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बिहार में रविवार को श्रद्धापूर्वक मनाया जा रहा है 'छोटा छठ' का महापर्व - Chhota Chhath Festival on Sunday

लोक आस्था के महापर्व छठ की तरह अगहन मास के शुक्ल पक्ष के रविवार को छोटा छठ (Chhota Chhath Festival on Sunday) के रूप में मनाया जाता है. वैशाली में श्रद्धालु श्रद्धापूर्वक छोटा छठ पर्व को मना रहे हैं.

festival of Chhota Chhath
छोटा छठ का महापर्व
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Published : Dec 5, 2021, 5:58 PM IST

वैशाली: बिहार समेत उत्तर भारत में लोक आस्था का महापर्व छठ (Chhath Festival Celebrate in Vaishali) धूमधाम से मनाया जाता है. जो भी छठ पर्व का व्रत करते हैं, वे अगहन मास के शुक्ल पक्ष के रविवार को पड़ने वाले इस पर्व को भी मनाते हैं, इसे छोटा छठ (Chhota Chhath Festival in Vaishali) के नाम से भी जाना जाता है, जो 6 महीने तक चलता है. महापर्व छठ के बाद पड़ने वाले रविवार व्रत को पूरी आस्था के साथ किया जा रहा है.

ये भी पढ़ें- वैशालीः परिजनों का दावा- 'शराब पीने से हुई मौत', पुलिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट का कर रही इंतजार

बता दें कि महापर्व छठ के बाद रविवार व्रत यानी छोटा छठ का पूरी आस्था के साथ मनाया जा रहा है. छठ महापर्व कार्तिक माह के षष्ठी तिथि को किया जाता है. वहीं, ठीक इसके बाद आने वाले अगहन मास के शुक्ल पक्ष के रविवार को रविवार व्रत की शुरुआत होती है. अमूमन महापर्व छठ व्रत करने वाले ज्यादातर लोग रविवार व्रत को भी करते हैं. इसे छोटा छठ भी कहा जाता है.

देखें वीडियो

मान्यता के मुताबिक, अगहन मास के शुक्ल पक्ष के रविवार से व्रत की शुरुआत की जाती है. जो कि अगले 6 महीने तक वैशाख के शुक्ल पक्ष को पड़ने वाले रविवार तक पूर्ण होता है. यहां 2 तरीके से छठ व्रती रविवार के व्रत को करते हैं. पहले वह जो अगहन के रविवार से शुरुआत करते हैं और सीधे वैशाख के रविवार को व्रत बैठा देते हैं. दूसरे वे जो रविवार व्रत की शुरुआत करके लगातार शुक्ल पक्ष के सभी रविवार को बिना नमक के एक टाइम का शुद्ध भोजन करके 6 माह तक लगातार व्रत को करते हैं.

रविवार के इस व्रत में सबसे पहले भगवान सूर्य को केला, बतासा आदि से पूजा किया जाता है फिर जल अर्पित किया जाता है. इसके बाद रोटी-गुड़ के खीर से नेवज निकालने का विधान है. जिसमें तुलसी पत्र को महत्वपूर्ण माना जाता है. यह प्रसाद घर के सदस्य ग्रहण करते हैं और व्रती एक टाइम खीर-रोटी का सेवन करते है.

छोटा छठ व्रत कर रही व्रती अनुराधा पांडे ने बताया कि यह भी छठ की तरह ही होता है. छठ पूजा की तरह इसकी भी मान्यता उतनी ही है. इसे छोटा छठ भी कहा जाता है. इसमें सूर्य भगवान को जल दिया जाता है, निष्ठा और पवित्रता के साथ लोग इस व्रत को करते हैं. इसमें भगवान को जल देते हैं, पूजा करते हैं. कुछ लोग इस व्रत को नहीं भी करते हैं. रविवार से शुरुआत कर इसे 6 महीने बाद बैठाया जाता है. कुछ लोग 6 महीने करते हैं, कुछ लोग प्रथम और फिर अंतिम रविवार को करते हैं.

गौरतलब है कि महापर्व छठ व्रत करने वाले लोग साक्षात भगवान आदित्य की पूजा अर्चना रविवार व्रत के रूप में करते हैं. जिसे घर परिवार में बेहद ही संजीदगी व श्रद्धा पूर्वक मनाया जाता है. इसकी तैयारी कई दिनों पहले से होती है और बाजार में भी वृत्त से संबंधित सामान आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं.

ये भी पढ़ें- JDU सांसद का बड़ा बयान- 'बिहार BJP के नेता चाहते हैं जातीय जनगणना, लेकिन विरोध में हैं केंद्र के बड़े नेता'

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वैशाली: बिहार समेत उत्तर भारत में लोक आस्था का महापर्व छठ (Chhath Festival Celebrate in Vaishali) धूमधाम से मनाया जाता है. जो भी छठ पर्व का व्रत करते हैं, वे अगहन मास के शुक्ल पक्ष के रविवार को पड़ने वाले इस पर्व को भी मनाते हैं, इसे छोटा छठ (Chhota Chhath Festival in Vaishali) के नाम से भी जाना जाता है, जो 6 महीने तक चलता है. महापर्व छठ के बाद पड़ने वाले रविवार व्रत को पूरी आस्था के साथ किया जा रहा है.

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बता दें कि महापर्व छठ के बाद रविवार व्रत यानी छोटा छठ का पूरी आस्था के साथ मनाया जा रहा है. छठ महापर्व कार्तिक माह के षष्ठी तिथि को किया जाता है. वहीं, ठीक इसके बाद आने वाले अगहन मास के शुक्ल पक्ष के रविवार को रविवार व्रत की शुरुआत होती है. अमूमन महापर्व छठ व्रत करने वाले ज्यादातर लोग रविवार व्रत को भी करते हैं. इसे छोटा छठ भी कहा जाता है.

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मान्यता के मुताबिक, अगहन मास के शुक्ल पक्ष के रविवार से व्रत की शुरुआत की जाती है. जो कि अगले 6 महीने तक वैशाख के शुक्ल पक्ष को पड़ने वाले रविवार तक पूर्ण होता है. यहां 2 तरीके से छठ व्रती रविवार के व्रत को करते हैं. पहले वह जो अगहन के रविवार से शुरुआत करते हैं और सीधे वैशाख के रविवार को व्रत बैठा देते हैं. दूसरे वे जो रविवार व्रत की शुरुआत करके लगातार शुक्ल पक्ष के सभी रविवार को बिना नमक के एक टाइम का शुद्ध भोजन करके 6 माह तक लगातार व्रत को करते हैं.

रविवार के इस व्रत में सबसे पहले भगवान सूर्य को केला, बतासा आदि से पूजा किया जाता है फिर जल अर्पित किया जाता है. इसके बाद रोटी-गुड़ के खीर से नेवज निकालने का विधान है. जिसमें तुलसी पत्र को महत्वपूर्ण माना जाता है. यह प्रसाद घर के सदस्य ग्रहण करते हैं और व्रती एक टाइम खीर-रोटी का सेवन करते है.

छोटा छठ व्रत कर रही व्रती अनुराधा पांडे ने बताया कि यह भी छठ की तरह ही होता है. छठ पूजा की तरह इसकी भी मान्यता उतनी ही है. इसे छोटा छठ भी कहा जाता है. इसमें सूर्य भगवान को जल दिया जाता है, निष्ठा और पवित्रता के साथ लोग इस व्रत को करते हैं. इसमें भगवान को जल देते हैं, पूजा करते हैं. कुछ लोग इस व्रत को नहीं भी करते हैं. रविवार से शुरुआत कर इसे 6 महीने बाद बैठाया जाता है. कुछ लोग 6 महीने करते हैं, कुछ लोग प्रथम और फिर अंतिम रविवार को करते हैं.

गौरतलब है कि महापर्व छठ व्रत करने वाले लोग साक्षात भगवान आदित्य की पूजा अर्चना रविवार व्रत के रूप में करते हैं. जिसे घर परिवार में बेहद ही संजीदगी व श्रद्धा पूर्वक मनाया जाता है. इसकी तैयारी कई दिनों पहले से होती है और बाजार में भी वृत्त से संबंधित सामान आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं.

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