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Vaishali News: लंपी वायरस ने पशुपालकों की बढ़ाई मुश्किलें, सरकार से मदद की उम्मीद

राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश समेत उत्तर भारत के कई राज्यों में लंपी वायरस ने भयंकर तबाही मचाई हुई है. पशुपालकों का व्यवसाय तबाह हो गया है. वैशाली में भी पशुपालक मवेशियों की इस बीमारी से परेशान हैं. उनका कहना है कि पशुपालन विभाग इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है. पढ़ें, विस्तार से.

लंपी वायरस
लंपी वायरस
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 23, 2023, 4:25 PM IST

वैशाली में लंपी वायरस संक्रमण.

वैशालीः बिहार के वैशाली जिले के पशुपालक लंपी वायरस की बीमारी से परेशान हैं. लंपी वायरस तेजी से पशुओं को अपनी चपेट में ले रहा है. पशुपालकों का कहना है कि एक गाय के इलाज में तकरीबन 50 हजार रुपए का खर्चा हो रहा है. इसके बाद भी गाय को बचाना मुश्किल हो रहा है. किसानों का कहना है कि डेंगू बीमारी से पहले ही वे लोग परेशान थे, अब मवेशियों को हो रहे लंपी रोग ने जीना मुहाल कर दिया है.

इसे भी पढ़ेंः बिहार में लंपी वायरस की एंट्री: दो गायों की मौत, हजार से ज्यादा पशु संक्रमित

"सरकार को पशु पालन विभाग को व्यवस्था करनी चाहिए. लेकिन हमको नहीं लग रहा है कि यहां कुछ हो रहा है. टीका के बारे में भी कोई जानकारी नहीं है. कोई कुछ भी नहीं कर रहा. हम लोग अपने से जो सक्षम है वह कर रहे हैं"- अर्जुन, पशुपालक

बीमारी के ये हैं लक्ष्णः हाजीपुर के नगर थाना क्षेत्र स्थित साधु गाछी में करीब आधे दर्जन गाय की सेवा करने वाले अर्जुन ने बताया कि लोग कहते हैं कि लंपी बीमारी राजस्थान से आयी है. उन्होंने बताया कि इस बीमारी के होने के बाद मवेशी खाना छोड़ देता है. गया गर्मी से बेचैन हो जाती है. इतना बुखार हो जाता है कि पीछे वाला दोनों पैर फूल जाते हैं. जो गए बैठ जाती है वह उठती नहीं हैं. शरीर में फोड़ा हो जाता है.

पशु धन का हो सकता नुकसानः अर्जुन ने बताया कि वैशाली में यह बीमारी तेजी से फैल रही है. उनका कहना है कि करीब 10 हजार गाय में 4500 गाय इस बीमारी की चपेट में हैं. यहां बता दें कि यह सरकारी आंकड़ा नहीं है. पशु पालक अर्जुन की मानें तो इसका इलाज एलोपैथ, होम्योपैथिक और आयुर्वेद तीनों में चलता है. इसको ठीक होने में कम से कम एक महीना लगता है. करीब 15 सौ रुपए रोज का खर्च आता है. इस बीमारी से ग्रसित पशु पर ध्यान नहीं देने पर नुकसान भी हो सकता है.

पशु पालन विभाग है चुपः अर्जुन ने बताया कि सरकार को व्यवस्था करनी चाहिए. टीका के बारे में भी कोई जानकारी नहीं है. कोई कुछ भी नहीं कर रहा. हम लोग अपना से जो सक्षम है वही कर रहे है. इस विषय में जानकारी लेने के लिए जब हाजीपुर के जिला पशुपालन कार्यालय में ईटीवी भारत की टीम पहुंची तो वहां कोई भी अधिकारी या कर्मचारी इस विषय में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं थे.

वैशाली में लंपी वायरस संक्रमण.

वैशालीः बिहार के वैशाली जिले के पशुपालक लंपी वायरस की बीमारी से परेशान हैं. लंपी वायरस तेजी से पशुओं को अपनी चपेट में ले रहा है. पशुपालकों का कहना है कि एक गाय के इलाज में तकरीबन 50 हजार रुपए का खर्चा हो रहा है. इसके बाद भी गाय को बचाना मुश्किल हो रहा है. किसानों का कहना है कि डेंगू बीमारी से पहले ही वे लोग परेशान थे, अब मवेशियों को हो रहे लंपी रोग ने जीना मुहाल कर दिया है.

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"सरकार को पशु पालन विभाग को व्यवस्था करनी चाहिए. लेकिन हमको नहीं लग रहा है कि यहां कुछ हो रहा है. टीका के बारे में भी कोई जानकारी नहीं है. कोई कुछ भी नहीं कर रहा. हम लोग अपने से जो सक्षम है वह कर रहे हैं"- अर्जुन, पशुपालक

बीमारी के ये हैं लक्ष्णः हाजीपुर के नगर थाना क्षेत्र स्थित साधु गाछी में करीब आधे दर्जन गाय की सेवा करने वाले अर्जुन ने बताया कि लोग कहते हैं कि लंपी बीमारी राजस्थान से आयी है. उन्होंने बताया कि इस बीमारी के होने के बाद मवेशी खाना छोड़ देता है. गया गर्मी से बेचैन हो जाती है. इतना बुखार हो जाता है कि पीछे वाला दोनों पैर फूल जाते हैं. जो गए बैठ जाती है वह उठती नहीं हैं. शरीर में फोड़ा हो जाता है.

पशु धन का हो सकता नुकसानः अर्जुन ने बताया कि वैशाली में यह बीमारी तेजी से फैल रही है. उनका कहना है कि करीब 10 हजार गाय में 4500 गाय इस बीमारी की चपेट में हैं. यहां बता दें कि यह सरकारी आंकड़ा नहीं है. पशु पालक अर्जुन की मानें तो इसका इलाज एलोपैथ, होम्योपैथिक और आयुर्वेद तीनों में चलता है. इसको ठीक होने में कम से कम एक महीना लगता है. करीब 15 सौ रुपए रोज का खर्च आता है. इस बीमारी से ग्रसित पशु पर ध्यान नहीं देने पर नुकसान भी हो सकता है.

पशु पालन विभाग है चुपः अर्जुन ने बताया कि सरकार को व्यवस्था करनी चाहिए. टीका के बारे में भी कोई जानकारी नहीं है. कोई कुछ भी नहीं कर रहा. हम लोग अपना से जो सक्षम है वही कर रहे है. इस विषय में जानकारी लेने के लिए जब हाजीपुर के जिला पशुपालन कार्यालय में ईटीवी भारत की टीम पहुंची तो वहां कोई भी अधिकारी या कर्मचारी इस विषय में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं थे.

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