वैशालीः बिहार से बाहर रहने वाले हर तपके के लोग किसी तरह छठ में शामिल होने के लिए अपने घर लौटने में लगे हुए हैं. सबसे ज्यादा लोग ट्रेनों से बिहार आ रहे हैं. वहीं रेलवे का दावा है कि रेल प्रशासन ने छठ में लोगों को सहूलियत के साथ बिहार लाने की पूरी तैयारी की है. पूर्व मध्य रेलवे का कहना है कि बीते वर्ष जहां 700 स्पेशल ट्रेनों की ट्रिप लगी थी, वहीं इस बार 1400 स्पेशल ट्रेनों की ट्रिप लगी है.
छठ पर बिहार की ट्रेनों में भीड़ः पूर्व मध्य रेलवे हाजीपुर के सीपीआरओ वीरेंद्र कुमार ने बताया कि पिछली वर्ष 56 स्पेशल ट्रेनें थीं, जो इस वर्ष 82 हो गई हैं. रेलवे लगातार भीड़ को देखकर ट्रेनों की संख्या बढ़ा रहा है. लेकिन जो भी ट्रेनें दिल्ली, पंजाब, असम, मुंबई, कोलकाता और जयपुर आदि जगहों से आ रही हैं सभी ट्रेनों में खचाखच भीड़ है. जितनी भी एसी बोगी हैं वह भी जनरल बोगी की तरह नजर आ रही हैं. स्लीपर बोगी में तो पैर रखने की भी जगह नहीं है. बाथरूम तक में लोग बैठे नजर आ रहे हैं.
56 से बढ़कर 82 हुई स्पेशल ट्रेनः रेलवे की तमाम व्यवस्थाओं के बाद भी ट्रेनों में भीड़ बेकाबू है. इस विषय में पूर्व मध्य रेलवे का कहना है कि कोविड के बाद यह दूसरा छठ है. इस वजह से ज्यादा भीड़ ट्रेनों में दिख रही है. जिस भीड़ को देखते हुए रेलवे लगातार ट्रेनों की संख्या और व्यवस्था में इजाफा कर रहा है. सीपीआरओ वीरेंद्र कुमार ने बताया कि छठ के लिए पिछले साल हम लोगों ने 700 ट्रिप गाड़ियां चलवाईं थी. टोटल 56 स्पेशल ट्रेन थी. हम लोग इस बार 82 पेयर ट्रेन चल रही हैं, जो लगभग 1400 फेरे लेंगी. यह छठ होने के 10 दिन के बाद तक का है, जो बढ़ता ही जाएगा.
"इस बार हम लोगों ने लगभग 1 लाख 75 हजार बर्थ क्रिएट किए हैं. जो हमारे डेढ़ लाख बर्थ पहले से थे उसके अलावे यह बर्थ है. जो हम लोगों ने स्पेशल ट्रेन के माध्यम से क्रिएट किए हैं. हमारे पास जो पीआरएस सिस्टम है, उसे प्रोफाइलिंग करके हमें पता चल जाता है कि किस डेस्टिनेशन की ओर लोग जाना चाह रहे हैं. स्पेशल ट्रेन में जो वेटिंग लिस्ट चलती है उसके अलावा और भी कई माध्यम है उससे आइडिया मिल जाता है कि लोग कहां से कहां ट्रैवल करते हैं"- वीरेंद्र कुमार, सीपीआरओ, पूर्व मध्य रेलवे हाजीपुर
'ट्रैवल हिस्ट्री के जरिए मिलता है आईडिया': सीपीआरओ वीरेंद्र कुमार ने बताया कि ट्रैवल हिस्ट्री भी होती है कि हर साल लोग कहां से कहां जाते हैं. यह जो सर्टेन रश होती है उसका हम लोग का हिस्टोरिकल बैकग्राउंड भी है. दूसरा पीआरएस सिस्टम है, जिससे पता होता है लोगों का फ्लो कहां से कहां तक है. उस हिसाब से हम लोग ट्रेन बढ़ाते हैं. दूसरा हम लोग देखते हैं कि टर्मिनल में कितनी गाड़ियां चल सकती हैं. कोविड के बाद यह दूसरा छठ है तो इसमें काफी संख्या में भीड़ बढ़ रही है. हम लोग प्रयास में है कि इसको हम लोग कैप्चर करें. ज्यादा से ज्यादा लोगों को सहूलियत प्रदान कर सकें.
हर साल छठ पर होती है ऐसी ही स्थिति: दरअसल, बिहार में छठ पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. घाटों को दुल्हन की तरह सजाया जाता है. इस त्योहार के प्रति बिहार के लोगों की काफी आस्था है. हर साल छठ पर घर आने वालों को परेशानियों का सामना करना ही पड़ता है. भीड़ ऐसी होती है कि आदमी पर आदमी चढ़ा होता है. रेलवे की ओर से इंतजाम तो किए जाते हैं, लेकिन वो नाकाफी होते हैं. इस साल छठ पूजा 17 नवंबर से शुरू होगी और 20 नवंबर को समाप्त होगी. छठ बाद दोबारा दूसरे प्रेदेशों में लौटना भी काफी मुशकिल होता है.
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