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वैशाली: वर्षों पहले बने मुक्तिधाम को नहीं किया आम नागरिकों के हवाले, लोगों में प्रशासन के खिलाफ आक्रोश

लगभग 40 लाख की लागत से बनी शवदाह गृह का उद्घाटन नहीं होने के कारण स्थानीय लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ग्रामीणों को शव जलाने के लिए हजारों रुपये की राशि से लकड़ी खरीदनी पड़ती है.

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Published : Feb 11, 2020, 8:36 AM IST

वैशाली: जिल में बीते 6 वर्षों से शवदाह गृह बनकर तैयार है, लेकिन इसे विडंबना ही कहेंगे कि अभी तक इसे आम नागरिकों को सुपुर्द नहीं किया गया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकारी तंत्र की आपसी लड़ाई के चलते इस शवदाह गृह का अभी तक उद्घाटन नहीं हो सका.

शवदाह गृह जर्जर और बदहाल
सामाजिक कार्यकर्ता कृष्णा कुमार की मानें तो यह शवदाह गृह 2006 में बनने का कार्य शुरू हुआ था. इसके बाद लगभग 6 वर्ष पूर्व बनकर तैयार भी हो गया. 40 लाख की लागत से बनने वाला यह शवदाह गृह असमय जर्जर और बदहाल हो गया है. उन्होंने बताया कि इस शवदाह गृह को खुलवाने के लिए वे प्रखण्ड, अनुमण्डल, जिला प्रशासन और डीएम तक गुहार लगा चुके है, लेकिन अभी तक यह चालू नहीं हो सका.

पेश है रिपोर्ट

लोगों को होती है परेशानी
बता दें कि गरीब ग्रामीणों को शव जलाने के लिए हजारों रुपये की राशि से लकड़ी खरीदनी पड़ती है. वहीं, बाढ़ प्रभावित आधे दर्जन पंचायत के सैकड़ों गांव में रहने वाले लोगों को बारिश के समय शव जलाने में और भी परेशानी उठानी पड़ती हैं.

Vaishali
बदहाली से अटा पड़ा है मुक्तिधाम

नगर पंचायत के कार्यपालक अधिकारी पंकज कुमार से जब ईटीवी भारत के संवाददाता ने पूछा, तो उन्होंने मामले पर कूछ भी बोलने से इंनकार कर दिया. साथ ही उन्होंने कहा कि मामले को लेकर विभाग को पत्र लिखा जाएगा.

वैशाली: जिल में बीते 6 वर्षों से शवदाह गृह बनकर तैयार है, लेकिन इसे विडंबना ही कहेंगे कि अभी तक इसे आम नागरिकों को सुपुर्द नहीं किया गया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकारी तंत्र की आपसी लड़ाई के चलते इस शवदाह गृह का अभी तक उद्घाटन नहीं हो सका.

शवदाह गृह जर्जर और बदहाल
सामाजिक कार्यकर्ता कृष्णा कुमार की मानें तो यह शवदाह गृह 2006 में बनने का कार्य शुरू हुआ था. इसके बाद लगभग 6 वर्ष पूर्व बनकर तैयार भी हो गया. 40 लाख की लागत से बनने वाला यह शवदाह गृह असमय जर्जर और बदहाल हो गया है. उन्होंने बताया कि इस शवदाह गृह को खुलवाने के लिए वे प्रखण्ड, अनुमण्डल, जिला प्रशासन और डीएम तक गुहार लगा चुके है, लेकिन अभी तक यह चालू नहीं हो सका.

पेश है रिपोर्ट

लोगों को होती है परेशानी
बता दें कि गरीब ग्रामीणों को शव जलाने के लिए हजारों रुपये की राशि से लकड़ी खरीदनी पड़ती है. वहीं, बाढ़ प्रभावित आधे दर्जन पंचायत के सैकड़ों गांव में रहने वाले लोगों को बारिश के समय शव जलाने में और भी परेशानी उठानी पड़ती हैं.

Vaishali
बदहाली से अटा पड़ा है मुक्तिधाम

नगर पंचायत के कार्यपालक अधिकारी पंकज कुमार से जब ईटीवी भारत के संवाददाता ने पूछा, तो उन्होंने मामले पर कूछ भी बोलने से इंनकार कर दिया. साथ ही उन्होंने कहा कि मामले को लेकर विभाग को पत्र लिखा जाएगा.

Intro:लोकेशन: वैशाली ।
रिपोर्टर: राजीव कुमार श्रीवास्तवा ।

: प्रदेश की सरकार विकास की भले लाख दावा कर लें पर जमीनी हकीकत कुछ और हीं हैं ।इसकी बानगी दिखीं प्रदेश के सोंनपुर प्रखण्ड क्षेत्र के बदहाल शवदाह गृह का । 40 लाख की लागत की बना यह शवदाह गृह 6 वर्ष से बनकर तैयार हैं ।पर सरकारी उदासीनता के चलते आज तक इसका उद्घाटन नहीं हों सकां । आज यह पूरी तरह से बदहाल हैं। पेश हैं हमारें संवाददाता राजीव का स्पेशल रिपोर्ट ।


Body:: : ढ़ाई लाख की आबादी की बीच सरकार द्वारा क्षेत्र में आज से 13 वर्ष पूर्व शवदाह गृह बनवाने के लिये 40 लाख रुपये मुहैया कराया था । कि लोगों को शव जलाने के लिये सुविधा हों जाएंगी। पर सरकारी तंत्र की आपसी लड़ाई के चलते यह योजना आज से 6 वर्ष पूर्व बनकर पूरी तरह तैयार तो हों गयीं पर उद्घाटन को लेकर आज देखते ही देखते छः वर्ष बीत गया पर यह आज यह अपनी बदहाली पर आंसू बहाते नजर मिल जाएगा आपको ।


ईटीवी भारत द्वारा पड़ताल किये जानें पर सोंनपुर प्रखण्ड क्षेत्र के यह शवदाह गृह का मुख्य गेट पर ताला बंद पाया ।इसका बोर्ड तक नहीं दिखा। परिसर में जंगली घास उगें हैं ।वहीं शव को जलाने के लिये लाखों का उपकरण रखा रखाया खराब होता जा रहा हैं। जगह जगह गंदगी ढ़ेर भी देखा गया ।वहीँ सभी सेड लगभग खराब हो गया हैं।

यहां के एक सामाजिक कर्ता कृष्णा कुमार की मानें तो यह शवदाह गृह 2006 में बनने का कार्य शुरू हुआ था ।लगभग छह सात वर्ष पूर्व बनकर तैयार भी था । 40 लाख की लागत से बनने वाला यह शवदाह गृह असमय जर्जर और बदहाल हो गया हैं। उन्होंने आगें बताया कि इसके लिये वे प्रखण्ड, अनुमण्डल, जिला प्रशासन के डीएम तक खुलवाने के लिये गुहार लगाया पर स्थिति जस की तस बनीं रहीं।

इसके अभाव में गरीब ग्रामीणों को शव जलाने के लिये हजारों रुपये की राशि की लकड़ी खरीदनी पड़ती हैं ।वहीं बाढ़ प्रभावित आधे दर्जन पंचायत में सैकड़ों गाँव मे रहने वाले लोगों को वारिस के समय शव जलाने में और भी परेशानी उठानी पड़ती हैं।

इस संबंध में प्रखण्ड के 23 पंचायत में सिर्फ एक। नगर पंचायत के कार्य पालक पदाधिकारी पंकज कुमार की दलील कुछ और ही हैं। ईटीवी भारत द्वारा इस बाबत पूछें जानें पर वे अपना पल्ला झाड़ते हुए बिहार सरकार के पर्यटन विभाग की योजना बताने में थोड़ी भी गुरेज नहीं करते ।उनसे हमारे द्वारा यह पूछने पर कि शहरी क्षेत्र में शवदाह गृह होने पर आपकी जिम्मेवारियां नहीं बनती ।इस पर उन्होंने कहा कि इसके लिये विभाग को पत्रचार करेंगे ।


Conclusion:बहरहाल, इस शवदाह गृह को आम आदमी के लिये जल्द शुलभ कराने के लिये मुहिम शुरू कर दी हैं। जनता को भी इसपर भरोसा इस बात को लेकर बढ़ती जा रहीं हैं।

स्टोरी
रेडी अपलोड स्टोरी ।
OPENING PTC संवाददाता, राजीव, वैशाली ।
01.VO:
बाइट: कृष्णा सामाजिक कर्ता, सोंनपुर ।
MIDIL PTC संवाददाता, राजीव, वैशाली ।
बाइट: भगवान श्रीराम , संत( साधु), सोंनपुर ।

02.VO:
बाइट: पंकज कुमार, कार्यपालक पदाधिकारी , नगर पंचायत, सोंनपुर ।

03. VO:
FINAL PTC संवाददाता, राजीव, वैशाली।
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