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आखिरी बार कब मिली थी तीनों बेटों से याद नहीं, पर हर साल निर्जला जिउतिया करना नहीं भूली - ईटीवी भारत बिहार न्यूज

वैशाली की दुखिया देवी. तीन बेटाें की मां हैं. तीनों बेटे बड़े शहरों में परिवार के साथ रह रहे हैं. दुखिया काे ठीक से याद भी नहीं है कि आखिरी बार उसके बच्चे घर कब आये थे. उम्र के इस पड़ाव में भी वो बिना अन्न जल के जिउतिया का व्रत करती है (did not forget to do Nirjala Jiutiya ).

दुखिया देवी
दुखिया देवी
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Published : Sep 18, 2022, 10:27 PM IST

वैशालीः गरीबी में भी एक मां अपने बच्चों का पालन पोषण कर लेती है. लेकिन, कई कमाऊ बच्चे मिलकर भी माता पिता का सहारा नहीं बन पाते हैं. ऐसी ही कहानी है दुखिया देवी की. वो अब वृद्ध हो चुकी हैं (Dukhia Devi do Jiutia in Vaishali). उनके तीन बेटे हैं जो बाहर अपने पूरे परिवार के साथ रहते हैं. तीनों बेटों काे गरीबी के हाल में भी पढ़ाया. आज इनमें से एक दिल्ली, एक जयपुर और एक त्रिपुरा में रह रहे हैं.

इसे भी पढ़ेंः जिस मां ने बेटे की लंबी उम्र के लिए रखा जितिया का निर्जला व्रत उसी ने कर दी उसकी मांग सूनी

दुखिया देवी हर साल निर्जला जिउतिया करना नहीं भूली.

तीनों बेटाें काे मां की काेई फिक्र नहीं है. हालांकि, तीनों कभी-कभी थोड़े पैसे भेज देते हैं. आखिरी बार वे तीनों कब घर आये थे, दुखिया काे ठीक से याद भी नहीं. भले ही उन्हें अब मां की फिक्र नहीं है, लेकिन मां तो धरती की साक्षात भगवान है. वह आज भी अपने उन तीनों पुत्रों के लिए 24 घंटे का निर्जला व्रत जिउतिया करती हैं (did not forget to do Nirjala Jiutiya ). जिसमें न तो पानी पीना होता है और ना ही कुछ खाना होता है. यहां तक कि इस व्रत में कई तरह की अन्य पाबंदी निभानी होती है बावजूद अन्य माताओं की तरह यह मां भी अपने पुत्र की दीर्घायु के लिए कर रही हैं.

इसे भी पढ़ेंः वैशाली में मूर्ति विसर्जन करने गए टाटा कंपनी के दो कर्मचारी डूबे

घर में अकेली दुखिया देवी अपने पति जोगा दास के साथ अपनी दुख और पीड़ा सहन कर रही है. उम्र के इस पड़ाव पर भी वह ना अपने पति की देखभाल अच्छे से कर रही है. बल्कि घर का सारा काम करने के साथ ही जिउतिया भी कर रही हैं. जिससे एक मां द्वारा अपने बेटों के लिए किए जाने वाले इस पर्व की महत्ता को समझा जा सकता है. बता दे कि वासुदेवपुर चंदेल गांव की दुखिया देवी के तीन पुत्र, शंकर दास, उमाशंकर दास और रंजीत कुमार हैं, जो वर्षों से घर नहीं आए हैं.

इसे भी पढ़ेंः मोतिहारी में जिउतिया का स्नान करने गयी चार बच्चियां डूबीं, 3 की मौत, एक लापता

हालांकि दुखिया देवी ने बताया कि घर चलाने के लिए कुछ खर्चा बेटा भेज देता है. पर उससे किसी तरह गुजारा हो पाता है. दुखिया देवी ने बताया कि तीन बेटे हैं मेरे. सबको पढ़ा लिखा दिए हैं. शादी विवाह कर दिए हैं. सब अपने परिवार और बाल बच्चों के साथ रहते हैं. हम दोनों पति पत्नी अकेले रहते हैं. जब से बाल बच्चा हुआ तब से अपने बेटों के लिए जिउतिया कर रहे हैं.

वैशालीः गरीबी में भी एक मां अपने बच्चों का पालन पोषण कर लेती है. लेकिन, कई कमाऊ बच्चे मिलकर भी माता पिता का सहारा नहीं बन पाते हैं. ऐसी ही कहानी है दुखिया देवी की. वो अब वृद्ध हो चुकी हैं (Dukhia Devi do Jiutia in Vaishali). उनके तीन बेटे हैं जो बाहर अपने पूरे परिवार के साथ रहते हैं. तीनों बेटों काे गरीबी के हाल में भी पढ़ाया. आज इनमें से एक दिल्ली, एक जयपुर और एक त्रिपुरा में रह रहे हैं.

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दुखिया देवी हर साल निर्जला जिउतिया करना नहीं भूली.

तीनों बेटाें काे मां की काेई फिक्र नहीं है. हालांकि, तीनों कभी-कभी थोड़े पैसे भेज देते हैं. आखिरी बार वे तीनों कब घर आये थे, दुखिया काे ठीक से याद भी नहीं. भले ही उन्हें अब मां की फिक्र नहीं है, लेकिन मां तो धरती की साक्षात भगवान है. वह आज भी अपने उन तीनों पुत्रों के लिए 24 घंटे का निर्जला व्रत जिउतिया करती हैं (did not forget to do Nirjala Jiutiya ). जिसमें न तो पानी पीना होता है और ना ही कुछ खाना होता है. यहां तक कि इस व्रत में कई तरह की अन्य पाबंदी निभानी होती है बावजूद अन्य माताओं की तरह यह मां भी अपने पुत्र की दीर्घायु के लिए कर रही हैं.

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घर में अकेली दुखिया देवी अपने पति जोगा दास के साथ अपनी दुख और पीड़ा सहन कर रही है. उम्र के इस पड़ाव पर भी वह ना अपने पति की देखभाल अच्छे से कर रही है. बल्कि घर का सारा काम करने के साथ ही जिउतिया भी कर रही हैं. जिससे एक मां द्वारा अपने बेटों के लिए किए जाने वाले इस पर्व की महत्ता को समझा जा सकता है. बता दे कि वासुदेवपुर चंदेल गांव की दुखिया देवी के तीन पुत्र, शंकर दास, उमाशंकर दास और रंजीत कुमार हैं, जो वर्षों से घर नहीं आए हैं.

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हालांकि दुखिया देवी ने बताया कि घर चलाने के लिए कुछ खर्चा बेटा भेज देता है. पर उससे किसी तरह गुजारा हो पाता है. दुखिया देवी ने बताया कि तीन बेटे हैं मेरे. सबको पढ़ा लिखा दिए हैं. शादी विवाह कर दिए हैं. सब अपने परिवार और बाल बच्चों के साथ रहते हैं. हम दोनों पति पत्नी अकेले रहते हैं. जब से बाल बच्चा हुआ तब से अपने बेटों के लिए जिउतिया कर रहे हैं.

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