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सरकारी अस्पतालों की कुव्यवस्था से दलालों की चांदी, मरीजों को झांसा देकर वसूलते हैं मोटी रकम

मरीजों की मानें तो सरकारी अस्पतालों में फैली कुव्यवस्था का खामियाजा उन्हें आये दिन भुगतना पड़ता है. मरीज के परिजनों ने ईटीवी भारत के माध्यम से सरकार से अपील की कि अस्पताल की बदहाली पर सरकार ध्यान दे.

सरकारी अस्पताल की कुव्यवस्था से दलालों की चांदी
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Published : Jul 29, 2019, 10:55 AM IST

वैशाली: बिहार में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही साफ तौर पर देखने को मिल रही है. वैशाली जिले में डॉक्टरों से लेकर पारा मेडिकल के कई पद खाली हैं. इस कारण मरीजों को काफी परेशानी हो रही है. हाजीपुर के सदर अस्पताल में डॉक्टरों की कमी होने से दलालों की चांदी हो गई है. मरीज इनके बहकावे में आकर प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराने चले जाते हैं. वहां इनसे मोटी रकम वसूली जाती है.

जिले के सदर अस्पताल में डॉक्टरों की कमी होने के साथ-साथ टेक्नीशियन के पद भी रिक्त हैं. ऐसे में मरीजों को परेशान देखकर दलाल सक्रिय हो गए हैं. ये गरीब मरीजों को प्राइवेट अस्पताल में बेहतर इलाज होने का झांसा देकर उनकी लुटिया डुबोने का काम कर रहे हैं. यहां आने वाले मरीज जल्दीबाजी में होने के कारण जल्दी इन दलालों के बहकावे में आ जाते हैं.

vaishali
डॉ. इंद्रदेव रंजन, सिविल सर्जन

डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा सदर अस्पताल
सदर अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों की भारी कमी है. यहां कैंसर के डॉक्टर, टेक्नीशियन और ड्रेसर की कमी है. यहां सिटी स्कैन की मशीन भी नहीं है. अल्ट्रासाउंड की मशीन भी खराब पड़ी है. ऐसे में दूर-दराज से आये मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीण क्षेत्र से आये अशिक्षित मरीजों को दलाल उनके हावभाव से पहचान लेते हैं और प्राइवेट नर्सिंग होम में बेहतर इलाज का प्रलोभन देते हैं.

दलाल के झांसे में फंस जाते हैं मरीज
मरीज भी इनके बहकावे में आकर हजारों रुपये का नुकसान झेलते हैं. अगर कोई गरीब मरीज पैसे देने में असक्षम है, तो उनके साथ मारपीट की जाती है. कई बार तो इन्हें बंधक बना लिया जाता है और जब तक वो पूरी राशि जमा नहीं करते. उन्हें जाने नहीं दिया जाता है.

पेश है रिपोर्ट

सरकार के उदासीन रवैये से लोग मायूस
मरीजों की मानें तो सरकारी अस्पतालों में फैली कुव्यवस्था का खामियाजा उन्हें आये दिन भुगतना पड़ता है. मरीज के परिजनों ने ईटीवी भारत के माध्यम से सरकार से अपील की कि अस्पताल की बदहाली पर सरकार ध्यान दे. डॉक्टरों पारामेडिकल, टेक्नीशियन सहित रिक्त पड़े सभी पदों को सरकार जल्द से जल्द बहाली करे.

क्या कहते हैं सिविल सर्जन?
अस्पताल में डॉक्टरों की भारी कमी है, ये सिविल सर्जन ने भी माना है. डॉ. इंद्रदेव रंजन ने बताया कि यहां रोजाना दो हजार मरीज आते हैं. उस हिसाब से डॉक्टर और टेक्नीशियन जैसे पदों में भारी कमी है. यहा कैंसर के भी डॉक्टर नहीं हैं. अस्पताल परिसर में सक्रिय दलाल की बात की पुष्टि करते हुए उन्होंने बताया कि एक आशा दलाल को रंगे हाथों पकड़ा गया था और उचित कार्रवाई की गई थी.

मरीजों से अपील
सिविल सर्जन ने कहा कि भीड़ में दलालों को पहचानना मुश्किल होता है. ऐसे में मरीजों को जागरूक होने की जरूरत है. मरीजों को पहले सरकारी अस्पताल में इलाज के लिये आना चाहिए. उन्हें पता करना चाहिए कि जिस बीमारी के इलाज के लिये वो यहां आये हैं वो होगा या नहीं? अगर इलाज नहीं होगा तो परामर्श भी ले सकते हैं, जिसके वो आर्थिक नुकसान उठाने से बच सकेंगे.

वैशाली: बिहार में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही साफ तौर पर देखने को मिल रही है. वैशाली जिले में डॉक्टरों से लेकर पारा मेडिकल के कई पद खाली हैं. इस कारण मरीजों को काफी परेशानी हो रही है. हाजीपुर के सदर अस्पताल में डॉक्टरों की कमी होने से दलालों की चांदी हो गई है. मरीज इनके बहकावे में आकर प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराने चले जाते हैं. वहां इनसे मोटी रकम वसूली जाती है.

जिले के सदर अस्पताल में डॉक्टरों की कमी होने के साथ-साथ टेक्नीशियन के पद भी रिक्त हैं. ऐसे में मरीजों को परेशान देखकर दलाल सक्रिय हो गए हैं. ये गरीब मरीजों को प्राइवेट अस्पताल में बेहतर इलाज होने का झांसा देकर उनकी लुटिया डुबोने का काम कर रहे हैं. यहां आने वाले मरीज जल्दीबाजी में होने के कारण जल्दी इन दलालों के बहकावे में आ जाते हैं.

vaishali
डॉ. इंद्रदेव रंजन, सिविल सर्जन

डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा सदर अस्पताल
सदर अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों की भारी कमी है. यहां कैंसर के डॉक्टर, टेक्नीशियन और ड्रेसर की कमी है. यहां सिटी स्कैन की मशीन भी नहीं है. अल्ट्रासाउंड की मशीन भी खराब पड़ी है. ऐसे में दूर-दराज से आये मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीण क्षेत्र से आये अशिक्षित मरीजों को दलाल उनके हावभाव से पहचान लेते हैं और प्राइवेट नर्सिंग होम में बेहतर इलाज का प्रलोभन देते हैं.

दलाल के झांसे में फंस जाते हैं मरीज
मरीज भी इनके बहकावे में आकर हजारों रुपये का नुकसान झेलते हैं. अगर कोई गरीब मरीज पैसे देने में असक्षम है, तो उनके साथ मारपीट की जाती है. कई बार तो इन्हें बंधक बना लिया जाता है और जब तक वो पूरी राशि जमा नहीं करते. उन्हें जाने नहीं दिया जाता है.

पेश है रिपोर्ट

सरकार के उदासीन रवैये से लोग मायूस
मरीजों की मानें तो सरकारी अस्पतालों में फैली कुव्यवस्था का खामियाजा उन्हें आये दिन भुगतना पड़ता है. मरीज के परिजनों ने ईटीवी भारत के माध्यम से सरकार से अपील की कि अस्पताल की बदहाली पर सरकार ध्यान दे. डॉक्टरों पारामेडिकल, टेक्नीशियन सहित रिक्त पड़े सभी पदों को सरकार जल्द से जल्द बहाली करे.

क्या कहते हैं सिविल सर्जन?
अस्पताल में डॉक्टरों की भारी कमी है, ये सिविल सर्जन ने भी माना है. डॉ. इंद्रदेव रंजन ने बताया कि यहां रोजाना दो हजार मरीज आते हैं. उस हिसाब से डॉक्टर और टेक्नीशियन जैसे पदों में भारी कमी है. यहा कैंसर के भी डॉक्टर नहीं हैं. अस्पताल परिसर में सक्रिय दलाल की बात की पुष्टि करते हुए उन्होंने बताया कि एक आशा दलाल को रंगे हाथों पकड़ा गया था और उचित कार्रवाई की गई थी.

मरीजों से अपील
सिविल सर्जन ने कहा कि भीड़ में दलालों को पहचानना मुश्किल होता है. ऐसे में मरीजों को जागरूक होने की जरूरत है. मरीजों को पहले सरकारी अस्पताल में इलाज के लिये आना चाहिए. उन्हें पता करना चाहिए कि जिस बीमारी के इलाज के लिये वो यहां आये हैं वो होगा या नहीं? अगर इलाज नहीं होगा तो परामर्श भी ले सकते हैं, जिसके वो आर्थिक नुकसान उठाने से बच सकेंगे.

Intro:लोकेशन : वैशाली
रिपोर्टर: राजीव कुमार श्रीवास्तवा

प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग के लापरवाही के चलते सभी जिलों में डॉक्टरों से लेकर पारा मेडिकल के पदों में भारी रिक्तियां होने के चलते मरीजों की परेशानी बढ़ती जा रही हैं। इस बाबत वैशाली जिले के सदर अस्पताल में दलाल काफी सक्रिय हो गए हैं। भोली भाली निर्दोष मरीज इनके बहकावे में आकर प्राइवेट अस्पताल में इलाज के नाम पर अपनी जिंदगी की कमाई पैसे गवाने पर मजबूर हैं ।


Body:जिले के सदर अस्पताल में डॉक्टरों की कमी होने के साथ साथ यहा तकनीशियनों की पद रिक्तियां होने के चलते मरीजों को परेशान देखकर क्षेत्र में दलाल सक्रिय हो गए हैं ।वे भोले भाले गरीब मरीज को हड़बड़ी और चिंतित देखकर उन्हें प्राइवेट अस्पताल में ले जाकर उनकी लोटिया डुबोने का कार्य काफी आसानी से करते हैं। यहा आने वाले मरीज जल्दीबाजी होने के चलते जल्दी इन दलालों के बहकावे में आ जाते हैं।

जिले के इस सदर अस्पताल में सिर्फ नाम मात्र के दर्जनों डॉक्टर तो जरूर हैं पर कई विशेषज्ञ के चिकित्सकों की भारी कमी हैं । यहा कैंसर के डॉक्टर, तकनीशियनों ,ड्रेसरो की कमी हैं .. Etv भारत द्वारा पड़ताल करने पर यहा मामूली रूप से सिटी स्कैन की मशीन तक नहीं हैं ।वही रोजमर्रा जीवन मे जांच की जरूरत के हिसाब से अल्ट्रासाउंड का मशीन खराब पड़ा रहता हैं। इसके चलते मरीज दूरी से आने के चलते उन्हें परेशान होना पड़ता हैं । ग्रामीण क्षेत्र से आये अशिक्षित मरीजों को दलाल उनके हाव् भाव देखकर आसानी से समझ जाते हैं और उनके द्वारा उन्हें प्रलोभन देकर बेहतर इलाज के बहाने शहर में कुकुरमुते कई तरह उगते जा रहें प्राइवेट नर्सिंग होम लेकर चले जाते हैं जहां उन्हें सैकड़ो रुपये इलाज के जगह पर हजारो का नुकसान उठाना पड़ता हैं। वही मरीजो द्वारा राशि नही दिए जाने पर उनके रखे गुंडे द्वारा मारपीट की जाती है ।कई बार तो इन्हें बंधक बना लिया जाता हैं और जब तक वे पूरी राशि जमा नही करते हैं उन्हें जाने तक नही देते हैं।

मरीजों की माने तो सरकारी अस्पतालों में फैली अव्यवस्था के चलते ही यहा निर्दोष मरीजो को दलाल अपने झांसे में लेकर ऐसा वारदात का अंजाम देते हैं । मरीजो ने आगें बताया कि सरकार अस्पतालों में डॉक्टरों की रिक्तियां वाले पदों को भरने में आखिर क्यों कोताही करता हैं। एक महिला ने बताया कि यहा अल्ट्रासाउंड मशीन ज्यादातर बार खराब ही पाया गया ।उंसने बताया कि जिले में जिस हिसाब से तेज़ी से जनसंख्या में इजाफा हो रही है उसके मुताबिक यहा डॉक्टरों, पारामेडिकल सहित जरुरुई के रिक्त पड़े पदों को सरकार की ओर से जल्दी भरे जाना चाहिए ।

इस संबंध में जिला के सिविल सर्जन डॉ इंद्रदेव रंजन ने बताया कि यहा रोजाना दो हजार मरीज आते हैं उस हिसाब से हमारे यहा डॉक्टर, तकनीशियन जैसे पदों में भारी कमी हैं ।उन्होंने आगे बताया कि हमारे यहा कैंसर के डॉक्टर नही हैं ।उन्होंने माना कि यहा सिटी स्कैन की मशीन जल्दी आ जाएगा ।उन्होंने परिसर में सक्रिय दलाल की बात किं पुष्टि करते हुए एक आशा दलाल को रंगे हाथों पकड़ने की बात बताई साथ ही उसपर कारवाही की भी अपनी बात कही ।उन्होंने निर्दोष मरीज को ऐसे दलालों के चक्कर मे नही पड़ने की बात कही ।आगें कहा कि मरीज को पहले सरकारी अस्पताल में इलाज के लिये आकर यह जानना भी उनका हक़ हैं कि जिस बीमारी की इलाज के लिये वे यहा आते है यहा वो इलाज होगा या नही ? अगर नहीं होगा तो परामर्श भी ले सकते हैं जिसके चलते उनकी आर्थिक नुकसान उठाने से बच सकेंगे ।


Conclusion:बहरहाल, सरकार को इस बात के लिये पूर्व में कोर्ट ने डाट पिलाने का कार्य कर चुका हैं ।बावजूद सरकार रिक्तियां वाले पदों को अभी तक कोई सुध नही लें रहीं हैं।

स्टार्टिंग VO से
बाइट मरीज
बाइट सिविल सर्जन डॉ इंद्रदेव रंजन वैशाली
PTC: संवाददाता, राजीव, वैशाली ।
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