सुपौलः जातीय जनगणना (Caste Census) को लेकर जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि करीब 100 साल पुराने आंकड़ों के आधार पर योजनाएं बनाई जा रही है, जो समाज के समुचित विकास के लिए सही नहीं है. कुशवाहा ने कहा कि जातीय जनगणना हो जाने से आरक्षण में अधिक हिस्सेदारी लेने वालों को आरक्षण (Reservation) छोड़ना भी होगा.
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गुरूवार को अपनी बिहार यात्रा के छठे चरण में सुपौल पहुंचे उपेन्द्र कुशवाहा ने जातीगत जनगणना के मुद्दे पर बोलते हुए कहा कि देशभर में इसे लागू किए जाने की मांग को लेकर विपक्षी दलों के साथ सीएम नीतीश कुमार ने पीएम नरेंद्र मोदी से मिलकर उन्हें आवेदन दिया है.
"देश में जातिगत जनगणना बहुत जरूरी है. जातिगत जनगणना नहीं होने का आलम ये है कि सरकार 100 साल पुराने आंकड़ों के आधार पर योजनाएं बना रही है. इस कारण से इन योजनाओं का स्पष्ट लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है. जातीय जनगणना के संदर्भ में भ्रम भी फैलाया जा रहा है. जबकि सच्चाई यह है कि जातीय जनगणना हो जाने के बाद हर जाति के बारे में स्पष्ट जानकारी मिलेगी. इससे सामाजिक विषमता को दूर करने में सहूलितय होगी."- उपेन्द्र कुशवाहा, संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष, जदयू
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उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि जातीय जनगणना के आंकड़े मिल जाने के बाद आरक्षण में यदि सुधार की जरूरत होगी तो उसमें सुधार भी किया जाएगा. जिन जातियों को अनुपात के मुताबिक आरक्षण में अधिक हिस्सेदारी मिल रही है, उन्हें आरक्षण को छोड़ना भी पड़ेगा.
यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि उनकी पार्टी एनडीए के साथ रहकर चुनाव लड़ना चाहती है. अगर इसमें किसी तरह की परेशानी होती है तो पार्टी (जदयू) अलग से चुनाव लड़ने के लिए तैयार है. वहीं, चिराग पासवान को लेकर कुशवाहा ने कहा कि किसी व्यक्ति के आने-जाने से पार्टी को कोई फर्क नहीं पड़ता है.
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कार्यकर्ताओं को संबोधित करने के बाद उपेन्द्र कुशवाहा ने दिवंगत पार्टी कार्यकर्ता लालेश्वर विश्वास और अंशु पौद्दार के घर पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि भी दी. इस दौरान उनके साथ दर्जनों नेता-कार्यकर्ता मौजूद रहे.