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सुपौल में 88 साल बाद पहुंची ट्रेन, लोगों ने स्टेशन पर ताली बजाकर किया Welcome - etv bihar news

सुपौल में लोगों के लिए आद खुशी का दिन रहा. झंझारपुर से सहरसा के लिए रेल सेवा (Jhanjharpur saharsa Train) शुरू हो गई है. शनिवार को जैसे ही निर्मली रेलवे स्टेशन पर ट्रेन आई, लोगों ने ताली बजाकर ट्रेन का स्वागत किया. लगभग 88 साल बाद रेल के नक्शे पर मिथिलांचल दिखाई देगा. पढ़ें पूरी खबर...

88 साल बाद ट्रेन का परिचालन
88 साल बाद ट्रेन का परिचालन
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Published : May 7, 2022, 8:04 PM IST

सुपौल: बिहार के सुपौल में ट्रेन का परिचालन शुरू हो गया (Train Operations Started in Supaul) है. 1934 के प्रलयंकारी भूकंप में ध्वस्त कोसी में ट्रेन का परिचालन आज 88 वर्षों के बाद शुरू हुआ. दो भागों में विभक्त मिथिलांचल रेल मार्ग से जुड़ गया है जो विकास के नए पैगाम देगा. इलाके में खुशहाली होगी. व्यापार के मार्ग भी प्रसस्त होंगे. मिथिला के रेल सेवा से जुड़ने के बाद इलाके के लोगों में खुशी का माहौल है. झंझारपुर से रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव ने हरी झंडी दिखाकर ट्रेन को रवाना किया जो निर्मली के रास्ते होते हुए सहरसा तक जाएगी. कोसी की तबाही के बीच ट्रेन का परिचालन काफी अहम माना जा रहा है.

ये भी पढ़ें- 87 साल बाद कोसी से मिथिलांचल के लिए दौड़ी ट्रेन, बांग्लादेश से भी सीधे व्यापार का खुला रास्ता

1934 के बाद पहली बार ट्रेन का हुआ परिचालन: मिली जानकारी के अनुसार, 88 वर्षों से विभक्त मिथिलांचल यूं तो 6 जून 2003 को अटल बिहारी वाजपेई द्वारा रखे गए शिलान्यास के बाद एनएच 57 के जरिए कुछ साल पहले जुड़ गया था. लेकिन ट्रेन के मामले में यह इलाका आज भी पिछड़ा रहा था. लेकिन आज ट्रेन का परिचालन शुरू होते ही पूरे तरीके से मिथिलांचल का एकीकरण हो गया. कई ऐसे बुजुर्ग है जो 1934 के भूकंप में ट्रेन को ध्वस्त होते देखा था. ऐसे कई लोग हैं जिनके चेहरे पर आज खुशियां देखने लायक थी. कोसी की तबाही के बीच ट्रेन का परिचालन काफी अहम माना जा रहा है. इस इलाके में ट्रेन का परिचालन शुरू होते ही व्यापार भी लोगों का दिन-दूनी और रात चौगुनी हो जाएगा.

मिथिलांचल को मिली सौगात: मिथिलांचल के लोगों के लिए भारतीय रेलवे ने खुशी की सौगात दी है. आज से झंझारपुर से सहरसा के लिए रेल सेवा (Jhanjharpur saharsa Train) शुरू हो गई है. रेल मंत्री अश्‍विनी वैष्‍णव (Rail Minister Ashwini Vaishnaw ) ने नई दिल्‍ली से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से कोसी रेलवे पुल (kosi railway bridge ) से गुजरने वाली ट्रेन को हरी झंडी दिखाई. लगभग 88 साल बाद रेल के नक्शे पर मिथिलांचल दिखाई देगा. रेल सेवा शुरू होने से आस-पास के इलाके में विकास के लिए नऐ रास्ते खुल जाएंगे. इस बीच बसे लगभग ढाई करोड़ लोगों को इससे फायदा मिलेगा.

प्रतिदिन 3 जोड़ी पैसेंजर ट्रेन चलेंगी: तीन जोड़ी ट्रेनों का परिचालन शुरू होने के बाद कई स्टेशनों पर स्टॉपेज रखा गया है. सभी स्पेशल ट्रेन लहेरियासराय और सहरसा ट्रेन के बीच में दरभंगा, ककरघाटी, बिजुली हाल्ट, तारसराय, शहीद सुरज नारायण सिंह, सकरी, मानीगाछी,मंडन मिश्रा हाल्ट, लोहना रोड, झंझारपुर, मिथिला दाप, तमुरिया, नेमुआ, घोघरडीहा, परसा, चिकना, नर्मली, सरायगढ़, आसनपुर कुपहा हाल्ट, चांद पिपर हाल्ट, बैजनाथपुर अनदौली, कदमपुरा, थरबिटिया, विनायकमा हाल्ट, सुपौल, गढ़ बरूआरी, नन्दलाली हाल्ट, पंचगछिया, सहरसा स्टेशन पर रुकेगी.

ये भी पढ़ें- मिथिलांचल के लिए ऐतिहासिक दिन, दरभंगा से शुरू हुआ इलेक्ट्रिक ट्रेनों का परिचालन

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सुपौल: बिहार के सुपौल में ट्रेन का परिचालन शुरू हो गया (Train Operations Started in Supaul) है. 1934 के प्रलयंकारी भूकंप में ध्वस्त कोसी में ट्रेन का परिचालन आज 88 वर्षों के बाद शुरू हुआ. दो भागों में विभक्त मिथिलांचल रेल मार्ग से जुड़ गया है जो विकास के नए पैगाम देगा. इलाके में खुशहाली होगी. व्यापार के मार्ग भी प्रसस्त होंगे. मिथिला के रेल सेवा से जुड़ने के बाद इलाके के लोगों में खुशी का माहौल है. झंझारपुर से रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव ने हरी झंडी दिखाकर ट्रेन को रवाना किया जो निर्मली के रास्ते होते हुए सहरसा तक जाएगी. कोसी की तबाही के बीच ट्रेन का परिचालन काफी अहम माना जा रहा है.

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1934 के बाद पहली बार ट्रेन का हुआ परिचालन: मिली जानकारी के अनुसार, 88 वर्षों से विभक्त मिथिलांचल यूं तो 6 जून 2003 को अटल बिहारी वाजपेई द्वारा रखे गए शिलान्यास के बाद एनएच 57 के जरिए कुछ साल पहले जुड़ गया था. लेकिन ट्रेन के मामले में यह इलाका आज भी पिछड़ा रहा था. लेकिन आज ट्रेन का परिचालन शुरू होते ही पूरे तरीके से मिथिलांचल का एकीकरण हो गया. कई ऐसे बुजुर्ग है जो 1934 के भूकंप में ट्रेन को ध्वस्त होते देखा था. ऐसे कई लोग हैं जिनके चेहरे पर आज खुशियां देखने लायक थी. कोसी की तबाही के बीच ट्रेन का परिचालन काफी अहम माना जा रहा है. इस इलाके में ट्रेन का परिचालन शुरू होते ही व्यापार भी लोगों का दिन-दूनी और रात चौगुनी हो जाएगा.

मिथिलांचल को मिली सौगात: मिथिलांचल के लोगों के लिए भारतीय रेलवे ने खुशी की सौगात दी है. आज से झंझारपुर से सहरसा के लिए रेल सेवा (Jhanjharpur saharsa Train) शुरू हो गई है. रेल मंत्री अश्‍विनी वैष्‍णव (Rail Minister Ashwini Vaishnaw ) ने नई दिल्‍ली से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से कोसी रेलवे पुल (kosi railway bridge ) से गुजरने वाली ट्रेन को हरी झंडी दिखाई. लगभग 88 साल बाद रेल के नक्शे पर मिथिलांचल दिखाई देगा. रेल सेवा शुरू होने से आस-पास के इलाके में विकास के लिए नऐ रास्ते खुल जाएंगे. इस बीच बसे लगभग ढाई करोड़ लोगों को इससे फायदा मिलेगा.

प्रतिदिन 3 जोड़ी पैसेंजर ट्रेन चलेंगी: तीन जोड़ी ट्रेनों का परिचालन शुरू होने के बाद कई स्टेशनों पर स्टॉपेज रखा गया है. सभी स्पेशल ट्रेन लहेरियासराय और सहरसा ट्रेन के बीच में दरभंगा, ककरघाटी, बिजुली हाल्ट, तारसराय, शहीद सुरज नारायण सिंह, सकरी, मानीगाछी,मंडन मिश्रा हाल्ट, लोहना रोड, झंझारपुर, मिथिला दाप, तमुरिया, नेमुआ, घोघरडीहा, परसा, चिकना, नर्मली, सरायगढ़, आसनपुर कुपहा हाल्ट, चांद पिपर हाल्ट, बैजनाथपुर अनदौली, कदमपुरा, थरबिटिया, विनायकमा हाल्ट, सुपौल, गढ़ बरूआरी, नन्दलाली हाल्ट, पंचगछिया, सहरसा स्टेशन पर रुकेगी.

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