सुपौल: लंबित वेतन की मांग को लेकर नियोजित शिक्षकों ने जिला शिक्षा कार्यालय परिसर में जमकर हंगामा किया. 11 महीने से बंद वेतन का भुगतान नहीं होने से आक्रोशित दर्जनों टीईटी-एसटीईटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षकों ने शुक्रवार को जिला शिक्षा कार्यालय पहुंच कर हंगाम किया. इस दौरान शिक्षकों ने स्थापना डीपीओ के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की.
क्या कहना है शिक्षकों का?
शिक्षकों का आरोप है कि वेतन की समस्या को लेकर शिक्षक पिछले चार साल से कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं. इस दौरान कई डीईओ और डीपीओ का तबादला भी हो चुका, लेकिन शिक्षकों का वेतन भुगतान नहीं किया गया. शिक्षकों का कहना है कि दिसम्बर 2018 में ही जिला शिक्षा कार्यालय की ओर से प्रमाण पत्र जांच के नाम पर 297 शिक्षकों का वेतन बंद किया गया.
प्रमाण पत्र जांच के बाद इसमें लगभग 200 शिक्षकों का वेतन भुगतान तो कर दिया गया है, लेकिन बचे शिक्षकों का वेतन भुगतान आज-कल कहकर टाला जा रहा है. जिस कारण शिक्षकों के सामने आर्थिक संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है. साथ ही शिक्षकों का कहना है कि हमारी परेशानियों पर विभाग की अनदेखी के कारण हम ऐसा करने पर विवश हैं.
'विभाग अपना रही है टालमटोल की नीति'
प्रदर्शन में शामिल टीईटी एसटीईटी उत्तीर्ण शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष ने विभागीय अधिकारी पर कई आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि जुलाई 2015 के बाद नियुक्त करीब 300 शिक्षकों का वेतन प्रमाण-पत्र जांच के नाम पर रोक दिया गया है. तत्कालीन डीइओ जगतपति चौधरी और अजय कुमार सिंह की ओर से 210 शिक्षकों का वेतन भुगतान किया जा चुका है. उसके बाद 90 शिक्षकों के वेतन भुगतान के लिए विभाग टालमटोल की नीति अपना रही है. साथ ही शिक्षक संघ जिलाध्यक्ष ने कहा कि प्रमाण पत्र सत्यापन में भी धांधली बरती जा रही है. रिश्वत देने वाले शिक्षकों का प्रमाण पत्र सत्यापन के लिए भेजा जाता है. विभाग पिक एंड चूज की नीति पर काम कर रही है.