सुपौल: बिहार में कोरोना का कहर जारी है. जिले में भी प्रतिदिन 200 से अधिक कोरोना संक्रमित मिल रहे हैं. प्राप्त जानकारी के अनुसार शुक्रवार को 216 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. जिले में कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ने के साथ ही जीवन रक्षक दवा और यंत्र की आवश्यकता बढ़ गई है, लेकिन सुपौल सदर अस्पताल की स्थिति यह है कि यहां 6 वेंटिलेटर सिर्फ शोभा की वस्तु बनकर रह गए हैं.
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जिले के सबसे बड़े अस्पताल को पीएम केअर के तहत जून 2020 में उपलब्ध कराए गए 6 वेंटिलेटर पड़े-पड़े खराब हो रहे हैं. वहीं, वेंटिलेटर के अभाव में हर दिन गंभीर मरीजों को रेफर किया जा रहा है. वेंटिलेटर की सुविधा मरीजों को मिले इस दिशा में कोई पहल नहीं की जा रही.
मरीजों को कर दिया जाता है रेफर
जानकारी के अनुसार कोरोना के मरीज को हालत गंभीर होने पर डीएमसीएच (दरभंगा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल) रेफर कर दिया जाता है. इसकी वजह से डीएमसीएच पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है. वहीं, सुपौल के मरीज वेंटिलेटर के अभाव में मौत के मुहाने पर खड़े हैं.
ऑक्सीजन से नहीं जुड़ा है वेंटिलेटर
सदर प्रखंड के बसबिट्टी निवासी राजीव कुमार ने कहा "मेरे चाचा कोरोना संक्रमित हो गए थे. उनको सदर अस्पताल से पटना रेफर कर दिया गया. इलाज के क्रम में उनकी मौत हो गई. अस्पताल के वेंटिलेटर को इस्तेमाल करना चाहिए. इससे गरीब मरीजों को लाभ मिलेगा."
"अस्पताल में टेक्नीशियन की कमी है. वेंटिलेटर को ऑक्सीजन से नहीं जोड़ा गया है, जिस कारण यह सेवा फिलहाल बाधित है."- अभिलाष वर्मा, हेल्थ मैनेजर, सदर अस्पताल सुपौल
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