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हथियार विहीन कोरोना योद्धा, कोरोना परामर्श केंद्र में थर्मामीटर तक नहीं

त्रिवेणीगंज रेफरल अस्पताल में बने परामर्श केंद्र पर थर्मामीटर नहीं रहने के कारण लोगों के शरीर का तापमान तक नहीं मापा जा रहा. दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों से सामान्य पूछताछ कर 14 दिन होम क्वॉरेंटाइन रहने की सलाह दी जा रही है.

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Published : Apr 21, 2020, 11:56 PM IST

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सुपौल: जिले में बिना थर्मामीटर के ही कोरोना जैसे खतरनाक संक्रमण से जंग लड़ी जा रही है. जिले के त्रिवेणीगंज रेफरल अस्पताल में बने परामर्श केंद्र पर मौजूद कर्मी बिना थर्मामीटर के संदिग्धों की पहचान कर उन्हें परामर्श दे रहे है. परामर्श केंद्र पर तैनात मका कहना है कि बाहर से आने वाले लोगों से सामान्य पूछताछ कर भेज दिया जाता है. यहां, जांच के लिए एक अदद थर्मामीटर तक नहीं है.

दिल्ली से साइकिल चलाकर 4 मजदूर त्रिवेणीगंज पहुंचे सभी लोग परामर्श केंद्र में खुद ही जांच कराने गए. लेकिन, वहां केवल उनसे पूछताछ कर उन्हें गांव के क्वॉरेंटाइन केंद्र या फिर 14 दिनों तक घर में ही होम क्वॉरेंटाइन रहने की सलाह दी गई. लेकिन परामर्श केंद्र में थर्मामीटर नहीं रहने के कारण उनके शरीर के तापमान की जांच तक नहीं की गई. मजदूरों के बताए बातों को सही मानकर उन्हें जाने दिया गया.

साइकिल से 8 दिन में पहुंचे सुपौल
दरअसल, दिल्ली के बदरपुर में काम करने वाले ये मजदूर सुपौल के प्रतापगंज और त्रिवेणीगंज के रहने वाले हैं. लॉक डाउन की वजह से दिल्ली में भोजन की समस्या उत्पन्न हो गई. इस परस्थिति में इन लोगों ने साइकिल के जरिए दिल्ली से सुपौल तक का सफर तय किया, जिसमें इन्हें 8 दिन लगे. मजदूर बताते है कि रास्ते में कहीं भी इनकी जांच नहीं हुई.

सुपौल: जिले में बिना थर्मामीटर के ही कोरोना जैसे खतरनाक संक्रमण से जंग लड़ी जा रही है. जिले के त्रिवेणीगंज रेफरल अस्पताल में बने परामर्श केंद्र पर मौजूद कर्मी बिना थर्मामीटर के संदिग्धों की पहचान कर उन्हें परामर्श दे रहे है. परामर्श केंद्र पर तैनात मका कहना है कि बाहर से आने वाले लोगों से सामान्य पूछताछ कर भेज दिया जाता है. यहां, जांच के लिए एक अदद थर्मामीटर तक नहीं है.

दिल्ली से साइकिल चलाकर 4 मजदूर त्रिवेणीगंज पहुंचे सभी लोग परामर्श केंद्र में खुद ही जांच कराने गए. लेकिन, वहां केवल उनसे पूछताछ कर उन्हें गांव के क्वॉरेंटाइन केंद्र या फिर 14 दिनों तक घर में ही होम क्वॉरेंटाइन रहने की सलाह दी गई. लेकिन परामर्श केंद्र में थर्मामीटर नहीं रहने के कारण उनके शरीर के तापमान की जांच तक नहीं की गई. मजदूरों के बताए बातों को सही मानकर उन्हें जाने दिया गया.

साइकिल से 8 दिन में पहुंचे सुपौल
दरअसल, दिल्ली के बदरपुर में काम करने वाले ये मजदूर सुपौल के प्रतापगंज और त्रिवेणीगंज के रहने वाले हैं. लॉक डाउन की वजह से दिल्ली में भोजन की समस्या उत्पन्न हो गई. इस परस्थिति में इन लोगों ने साइकिल के जरिए दिल्ली से सुपौल तक का सफर तय किया, जिसमें इन्हें 8 दिन लगे. मजदूर बताते है कि रास्ते में कहीं भी इनकी जांच नहीं हुई.

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