सीवानः शहर के बीचों बीच गुजरती दाहा नदी जिसे बाण गंगा भी कहते हैं आज अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष कर रही हैं. भगवान श्रीराम के बारातियों की प्यास बुझाने के लिए लक्ष्मण के बाणों से उत्पन्न बाण गंगा नदी आज विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुकी हैं.
बाण गंगा नदी
मान्यता है कि भगवान श्रीराम सीता से विवाह कर अयोध्या जाने के क्रम में गोपालगंज के सासामूसा चंवर में अपने बारातियों साथ रुके थे. तभी सीता और बारातियों को प्यास लगी. आसपास पानी की कोई व्यवस्था नहीं होने पर श्रीराम के आदेश पर लक्ष्मण ने अपने बाणों से धरती के अंदर छेदकर पानी निकाला था. लक्ष्मण के बाणों से उत्पन्न हुई यह नदी बाण गंगा नदी कहलाई.
स्थानीय लोगों ने बताया कि पहले इस नदी का जल इतना स्वच्छ था कि इससे लोग खाना बनाते थे. इसके साथ ही इस नदी में नहाने से कई बीमारियों से छुटकारा भी मिलता था. आज नदी की स्थिति काफी खराब हो चुकी है. उन्होंने बताया कि इसमें अब कूड़े कचरे का अंबार लगा रहता है. साथ ही मृत जानवरों का शव भी तैरता दिखता है. गंदगी के कारण नदी काफी पतली भी हो गई है.