सिवान: बिहार के सभी जिले इन दिनों इंसेफेलाइटिस की चपेट में हैं. मुजफ्फरपुर सहित कई जिलों में एईएस बीमारी के कारण 186 बच्चों की जान जा चुकी है. ज्यादातर डॉक्टरों का मानना है कि उचित रख-रखाव, खानपान की जानकारी के अभाव और सही समय पर इलाज ना मिल पाने के कारण ही बच्चों की मौत हुई है.
सिवान के सदर अस्पताल में भी डॉक्टरों की भारी कमी है. जिस कारण जिले की एक बड़ी आबादी को भारी समस्या से जूझना पड़ता है. जिले के मरीज निजी क्लिनिक में इलाज कराने को विवश हैं. सदर अस्पताल में कुव्यवस्था व्याप्त है.
'स्वास्थ्य मंत्री अपने जिले की अनदेखी ना करें'
मालूम हो कि सिवान जिले की आबादी लगभग 30 लाख की है. जिसकी देखरेख का जिम्मा मात्र 37 डॉक्टरों के कंधे पर है. जिससे मरीजों को परेशानी हो रही है. स्वास्थ्य मंत्री का गृह जिला होने का बावजूद यहां कुव्यवस्था चरम पर होने से लोग खासे नाराज हैं. लोगों की मांग है कि स्वास्थ्य मंत्री कम से कम अपने गृह जिले की अनदेखी ना करें.
सिविल सर्जन का बयान
अस्पताल में डॉक्टरों की कमी की बात पर सिविल सर्जन ने बताया कि जिले में कुल 237 डॉक्टर होने चाहिए. लेकिन, अभी मात्र 37 डॉक्टर हैं. अधिकारियों को कहने के बावजूद भी अबतक बहाली नहीं हुई. उन्होंने यह भी कहा कि कम ही लोग मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं, इसलिए भी डॉक्टरों की कमी है.